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चीन ने अरुणाचल प्रदेश पर फिर किया दावा, जताया विरोध

China opposes : चीन अपनी हरकत से बाज नहीं आ रहा है. उसने अरुणाचल को लेकर फिर विरोध जताया है. उसने कहा कि जांगनान चीन का क्षेत्र है और वह अरुणाचल प्रदेश को कभी मान्यता नहीं देता है. ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता चंद्रकला चौधरी की रिपोर्ट.

China never recognizes
भारत चीन संबंध
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Mar 17, 2024, 3:31 PM IST

नई दिल्ली: चीन ने एक बार फिर भारत को उकसाते हुए कहा है कि वह भारत द्वारा तथाकथित 'अरुणाचल प्रदेश' की अवैध स्थापना को कभी मान्यता नहीं देता है और इसका कड़ा विरोध करता है.

शनिवार को एक मीडिया ब्रीफिंग को संबोधित करते हुए चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल झांग शियाओगांग ने कहा, 'जांगनान चीन का अंतर्निहित क्षेत्र है और चीन कभी भी भारत की तथाकथित 'अरुणाचल प्रदेश' की अवैध स्थापना को मान्यता नहीं देता है और इसका दृढ़ता से विरोध करता है.

उन्होंने कहा कि वर्तमान में चीन-भारत सीमा क्षेत्रों में समग्र स्थिति स्थिर है और दोनों पक्ष आपसी चिंता के सीमा मुद्दों को संबोधित करने के लिए राजनयिक और सैन्य चैनलों के माध्यम से प्रभावी संचार बनाए रखते हैं.

यह घटनाक्रम चीनी विदेश मंत्रालय द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अरुणाचल प्रदेश यात्रा पर भारत के साथ राजनयिक विरोध दर्ज कराने के बाद आया है, जहां उन्होंने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सेला सुरंग का उद्घाटन किया था. चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत के रूप में दावा करता है. उसने कहा कि भारत का कदम सीमा मुद्दे को 'केवल जटिल' करेगा.

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा था, 'चीन ने भारत द्वारा अवैध रूप से स्थापित तथाकथित अरुणाचल प्रदेश को कभी मान्यता नहीं दी और वह इसका कड़ा विरोध करता है.'

वेनबिन ने कहा कि भारत को चीन के जांगनान क्षेत्र को मनमाने ढंग से विकसित करने का कोई अधिकार नहीं है. चीन ने अरुणाचल प्रदेश का नाम जांगनान रखा है.

कर्नल झांग शियाओगांग ने कहा, 'भारत की कार्रवाई सीमा पर स्थिति को आसान बनाने के दोनों पक्षों के प्रयासों के विपरीत है और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखने के लिए अनुकूल नहीं है. हम चाहते हैं कि भारतीय पक्ष सीमा प्रश्न को जटिल बनाने वाली किसी भी कार्रवाई को रोके और ईमानदारी से सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखे. चीनी सेना अत्यधिक सतर्क रहती है और राष्ट्रीय संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की दृढ़ता से रक्षा करेगी.'

ये है मामला : गौरतलब है कि 9 मार्च को पीएम मोदी ने दुनिया की सबसे लंबी बाइ-लेन सुरंग सेला सुरंग का उद्घाटन किया था. ये असम के तेजपुर को अरुणाचल के तवांग से जोड़ेगी. 825 करोड़ रुपये की लागत से बनी यह सुरंग 13,000 फीट की ऊंचाई पर बनाई गई है.

इस बीच भारत ने प्रधानमंत्री की अरुणाचल प्रदेश यात्रा के संबंध में चीन की ओर से की गई टिप्पणियों को खारिज करते हुए कहा कि ऐसी यात्राओं या भारत की विकासात्मक परियोजनाओं पर आपत्ति करना तर्कसंगत नहीं है.

इस मामले पर मीडिया के सवालों के जवाब में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, 'हम प्रधानमंत्री की अरुणाचल प्रदेश यात्रा के संबंध में चीनी पक्ष द्वारा की गई टिप्पणियों को खारिज करते हैं. भारतीय नेता समय-समय पर अरुणाचल प्रदेश का दौरा करते हैं, जैसे वे भारत के अन्य राज्य के अन्य दौरे करते हैं.'

जायसवाल ने कहा, 'ऐसी यात्राओं या भारत की विकासात्मक परियोजनाओं पर आपत्ति करना उचित नहीं है. इसके अलावा यह इस वास्तविकता को नहीं बदलेगा कि अरुणाचल प्रदेश राज्य भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा था, है और हमेशा रहेगा. चीनी पक्ष को कई मौकों पर इस सतत स्थिति से अवगत कराया गया है.'

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नई दिल्ली: चीन ने एक बार फिर भारत को उकसाते हुए कहा है कि वह भारत द्वारा तथाकथित 'अरुणाचल प्रदेश' की अवैध स्थापना को कभी मान्यता नहीं देता है और इसका कड़ा विरोध करता है.

शनिवार को एक मीडिया ब्रीफिंग को संबोधित करते हुए चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल झांग शियाओगांग ने कहा, 'जांगनान चीन का अंतर्निहित क्षेत्र है और चीन कभी भी भारत की तथाकथित 'अरुणाचल प्रदेश' की अवैध स्थापना को मान्यता नहीं देता है और इसका दृढ़ता से विरोध करता है.

उन्होंने कहा कि वर्तमान में चीन-भारत सीमा क्षेत्रों में समग्र स्थिति स्थिर है और दोनों पक्ष आपसी चिंता के सीमा मुद्दों को संबोधित करने के लिए राजनयिक और सैन्य चैनलों के माध्यम से प्रभावी संचार बनाए रखते हैं.

यह घटनाक्रम चीनी विदेश मंत्रालय द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अरुणाचल प्रदेश यात्रा पर भारत के साथ राजनयिक विरोध दर्ज कराने के बाद आया है, जहां उन्होंने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सेला सुरंग का उद्घाटन किया था. चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत के रूप में दावा करता है. उसने कहा कि भारत का कदम सीमा मुद्दे को 'केवल जटिल' करेगा.

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा था, 'चीन ने भारत द्वारा अवैध रूप से स्थापित तथाकथित अरुणाचल प्रदेश को कभी मान्यता नहीं दी और वह इसका कड़ा विरोध करता है.'

वेनबिन ने कहा कि भारत को चीन के जांगनान क्षेत्र को मनमाने ढंग से विकसित करने का कोई अधिकार नहीं है. चीन ने अरुणाचल प्रदेश का नाम जांगनान रखा है.

कर्नल झांग शियाओगांग ने कहा, 'भारत की कार्रवाई सीमा पर स्थिति को आसान बनाने के दोनों पक्षों के प्रयासों के विपरीत है और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखने के लिए अनुकूल नहीं है. हम चाहते हैं कि भारतीय पक्ष सीमा प्रश्न को जटिल बनाने वाली किसी भी कार्रवाई को रोके और ईमानदारी से सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखे. चीनी सेना अत्यधिक सतर्क रहती है और राष्ट्रीय संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की दृढ़ता से रक्षा करेगी.'

ये है मामला : गौरतलब है कि 9 मार्च को पीएम मोदी ने दुनिया की सबसे लंबी बाइ-लेन सुरंग सेला सुरंग का उद्घाटन किया था. ये असम के तेजपुर को अरुणाचल के तवांग से जोड़ेगी. 825 करोड़ रुपये की लागत से बनी यह सुरंग 13,000 फीट की ऊंचाई पर बनाई गई है.

इस बीच भारत ने प्रधानमंत्री की अरुणाचल प्रदेश यात्रा के संबंध में चीन की ओर से की गई टिप्पणियों को खारिज करते हुए कहा कि ऐसी यात्राओं या भारत की विकासात्मक परियोजनाओं पर आपत्ति करना तर्कसंगत नहीं है.

इस मामले पर मीडिया के सवालों के जवाब में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, 'हम प्रधानमंत्री की अरुणाचल प्रदेश यात्रा के संबंध में चीनी पक्ष द्वारा की गई टिप्पणियों को खारिज करते हैं. भारतीय नेता समय-समय पर अरुणाचल प्रदेश का दौरा करते हैं, जैसे वे भारत के अन्य राज्य के अन्य दौरे करते हैं.'

जायसवाल ने कहा, 'ऐसी यात्राओं या भारत की विकासात्मक परियोजनाओं पर आपत्ति करना उचित नहीं है. इसके अलावा यह इस वास्तविकता को नहीं बदलेगा कि अरुणाचल प्रदेश राज्य भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा था, है और हमेशा रहेगा. चीनी पक्ष को कई मौकों पर इस सतत स्थिति से अवगत कराया गया है.'

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