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70 साल बाद अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए पहली बार दोबारा होगी उम्मीदवारों की दावेदारी, बाइडेन और ट्रंप आमने-सामने

Joe Biden And Donald Trump Facing Each Other In Presidential Election : बाइडेन ने मंगलवार को चुनावी डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से नामाकंन के लिए जरूरी संख्याबल हासिल कर लिया. चुनाव के इस स्तर पर उनके समर्थन में पर्याप्त प्रतिनिधि अब तक मतदान कर चुके हैं.

Presidential election
प्रतीकात्मक तस्वीर. (AP)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Mar 13, 2024, 12:56 PM IST

वाशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने वाशिंगटन में डेमोक्रेटिक प्राइमरी चुनाव में, वहीं पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रिपब्लिकन प्राइमरी चुनाव में जीत हासिल कर अपनी पार्टियों की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी की ओर कदम बढ़ा दिया है. राष्ट्रपति बाइडन (81) ने जॉर्जिया में पार्टी के प्राइमरी चुनाव में आसानी से जीत हासिल की. अब वह राष्ट्रपति चुनाव के लिए पार्टी के संभावित उम्मीदवार बन गए हैं.

बाइडेन को कुल 3,933 डेलीगेट्स (मतदाताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले पार्टी सदस्य) में से आध से अधिक का समर्थन मिल चुका है. डेमोक्रेट उम्मीदार बनने के लिए 1,968 डेलीगेट्स की जरूरत होती है. बाइडेन को अगस्त में शिकागो में 'डेमोक्रेटिक नेशनल कन्वेंशन' के दौरान औपचारिक रूप से पार्टी का उम्मीदवार घोषित किया जाएगा. ट्रंप (77) को अब तक 1,215 डेलिगेट का समर्थन मिल चुका है. ट्रंप को जुलाई में मिल्वॉकी में ‘रिपब्लिकन नेशनल कन्वेंशन’ में आधिकारिक तौर पर उम्मीदवार घोषित किया जाएगा.

उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने बाइडेन का अपनी पार्टी का उम्मीदवार बनने पर प्रसन्नता व्यक्त की. वहीं बाइडेन की ओर से एक बयान जारी करके जीत तथा उम्मीदवारी पर प्रसन्नता व्यक्त की गई और ट्रंप को लोकतंत्र के लिए खतरा करार दिया गया.

बाइडन ने कहा कि ट्रंप आक्रोश, प्रतिशोध का अभियान चला रहे हैं जो अमेरिका के मूल विचार को खतरे में डालता है. मंगलवार को प्राइमरी चुनाव की पूर्व संध्या पर ट्रंप ने स्वीकार किया था कि बाइडन ही उनके सामने डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार होंगे.

अमेरीका के लगभग 70 साल के इतिहास में यह पहली बार हैं जब जो बाइडेन और डोनाल्ड ट्रंप आमने- सामने होगें. 2020 के चुनाव की अगली कड़ी आधिकारिक तौर पर तय हो गई है. 2020 के चुनाव की तरह ही इस बार भी राष्ट्रपति जो बाइडेन और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच मुकाबला होगा. बाइडेन और ट्रंप पहले भी इस अमेरिकी महाचुनाव में एक दूसरे का सामना कर चुके हैं. हालांकि, इससे पहले ट्रंप राष्ट्रपति थे और बाइडेन उन्हें चुनौती दे रहे थे. तब मुकाबला काफी स्पष्ट था जो इस बार ज्यादा सघन हो गया है.

आपको बता दे बाइडेन ने मंगलवार को चुनावी डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से नामाकंन के लिए जरूरी संख्याबल हासिल कर लिया. चुनाव के इस स्तर पर उनके समर्थन में पर्याप्त प्रतिनिधि अब तक मतदान कर चुके हैं.

क्यों खास है बाइडेन और ट्रंप का एक बार फिर मुकाबले में रहना: अमेरिकी इतिहास में ऐसा बहुत कम बार हुआ है कि लगातार दो चुनावों में दो समान दावेदार राष्ट्रपति पद के लिए आमने-सामने हों. इससे पहले ऐसा मुकाबला 1956 में हुआ था. जब रिपब्लिकन राष्ट्रपति ड्वाइट डी. आइजनहावर ने चार साल पहले अपने डेमोक्रेटिक प्रतिद्वंद्वी एडलाई स्टीवेन्सन को फिर से हरा दिया था. ग्रोवर क्लीवलैंड, इस बीच देश के 22वें और 24वें राष्ट्रपति थे, जिन्होंने 1884 और 1892 में चुनाव जीते.

अड़सठ साल पहले, 1952 में आइजनहावर ने स्टीवेन्सन को हराकर नौ राज्यों को छोड़कर बाकी सभी राज्यों में जीत हासिल की, उसके बाद निवर्तमान राष्ट्रपति ने चार साल बाद फिर से स्टीवेन्सन का सामना किया और बड़ी जीत हासिल की. राष्ट्रपति पद की दौड़ में दोबारा मुकाबलों के अन्य उदाहरण हैं, लेकिन वे अमेरिकी इतिहास में बहुत पहले हुए थे.

रिपब्लिकन राष्ट्रपति विलियम मैककिनले ने 1896 के चुनाव में और फिर 1900 में डेमोक्रेट विलियम जेनिंग्स ब्रायन को पछाड़ दिया था. 1836 में, डेमोक्रेट मार्टिन वान बुरेन ने व्हिग पार्टी के विलियम हेनरी हैरिसन को हराया, लेकिन हैरिसन ने दोनों के बीच मुकाबला जीता और चार साल बाद राष्ट्रपति पद संभाला. इसी बीच राष्ट्रपति पद के लिए जॉन क्विंसी एडम्स और एंड्रयू जैक्सन का दो बार आमना-सामना हुआ.

पहली बार 1824 में, जब एडम्स की जीत हुई, और दूसरी बार 1828 में, जब जैक्सन निवर्तमान एडम्स को हराकर राष्ट्रपति बने. उसके बाद जॉन एडम्स, एक फेडरलिस्ट थे जो देश के दूसरे राष्ट्रपति थे, और थॉमस जेफरसन, इसके तीसरे और एक डेमोक्रेटिक-रिपब्लिकन थे.

1796 में जॉर्ज वाशिंगटन के उत्तराधिकारी के लिए पहली बार लड़े गए राष्ट्रपति चुनाव के दौरान दोनों ने राष्ट्रपति पद के लिए प्रतिस्पर्धा की, जिसमें एडम्स जीत गए और जेफरसन उपराष्ट्रपति चुन लिए गए. चार साल बाद, जेफरसन मौजूदा एडम्स के खिलाफ लडे़ और उन्हें हरा दिया. अब तक केवल एक ग्रोवर क्लीवलैंड अमेरिकी इतिहास में लगातार दो कार्यकाल तक सेवा देने वाले एकमात्र राष्ट्रपति हैं.

उन्होंने सफलतापूर्वक वह कर दिखाया जो ट्रंप अब करने का प्रयास कर रहे हैं. व्हाइट हाउस को उस प्रतिद्वंद्वी से वापस जीतना जिसने इसे उनसे छीन लिया था. एक डेमोक्रेटिक भ्रष्टाचार-विरोधी योद्धा और न्यूयॉर्क के गवर्नर, क्लीवलैंड ने 1884 के राष्ट्रपति चुनाव में मामूली अंतर से जीत हासिल की थी.

चार साल बाद, उन्होंने फिर से उम्मीदवारी हासिल की लेकिन रिपब्लिकन बेंजामिन हैरिसन से चुनावी हार गये. 1892 में क्लीवलैंड फिर से हैरिसन के खिलाफ खड़े हुए. इस बार आसानी से दूसरा कार्यकाल जीत लिया. अन्य पूर्व राष्ट्रपती अपने पूर्व पद को वापस पाने की कोशिश में असफल रहे.

1877 तक दो कार्यकाल पूरा करने के बाद, यूलिसिस एस. ग्रांट ने 1880 के चुनाव के दौरान फिर से रिपब्लिकन नामांकन की मांग की, लेकिन जेम्स ए. गारफील्ड से हार गए. तीन पूर्व राष्ट्रपतियों ने उन पार्टियों से भिन्न पार्टियों के साथ व्हाइट हाउस को पुनः प्राप्त करने का असफल प्रयास किया.

आपको बता दें कि 2020 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप को मात मिली थी. इसके बाद देश के इतिहास में पहली बार कैपिटल हिल पर जमकर उपद्रव हुआ. इस घटना के बाद ट्रंप के समर्थकों ने छह जनवरी 2021 के दिन चुनाव परिणाम स्वीकार करने से इनकार कर दिया था. यह अमेरिका के राजनितिक दौर का काला अध्याय भी कहलाता हैं.

यह भी पढे़- बाइडेन और ट्रंप होंगे राष्ट्रपति पद के मुख्य दांवेदार, दोनों पार्टियों में होगा मुकाबला

वाशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने वाशिंगटन में डेमोक्रेटिक प्राइमरी चुनाव में, वहीं पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रिपब्लिकन प्राइमरी चुनाव में जीत हासिल कर अपनी पार्टियों की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी की ओर कदम बढ़ा दिया है. राष्ट्रपति बाइडन (81) ने जॉर्जिया में पार्टी के प्राइमरी चुनाव में आसानी से जीत हासिल की. अब वह राष्ट्रपति चुनाव के लिए पार्टी के संभावित उम्मीदवार बन गए हैं.

बाइडेन को कुल 3,933 डेलीगेट्स (मतदाताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले पार्टी सदस्य) में से आध से अधिक का समर्थन मिल चुका है. डेमोक्रेट उम्मीदार बनने के लिए 1,968 डेलीगेट्स की जरूरत होती है. बाइडेन को अगस्त में शिकागो में 'डेमोक्रेटिक नेशनल कन्वेंशन' के दौरान औपचारिक रूप से पार्टी का उम्मीदवार घोषित किया जाएगा. ट्रंप (77) को अब तक 1,215 डेलिगेट का समर्थन मिल चुका है. ट्रंप को जुलाई में मिल्वॉकी में ‘रिपब्लिकन नेशनल कन्वेंशन’ में आधिकारिक तौर पर उम्मीदवार घोषित किया जाएगा.

उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने बाइडेन का अपनी पार्टी का उम्मीदवार बनने पर प्रसन्नता व्यक्त की. वहीं बाइडेन की ओर से एक बयान जारी करके जीत तथा उम्मीदवारी पर प्रसन्नता व्यक्त की गई और ट्रंप को लोकतंत्र के लिए खतरा करार दिया गया.

बाइडन ने कहा कि ट्रंप आक्रोश, प्रतिशोध का अभियान चला रहे हैं जो अमेरिका के मूल विचार को खतरे में डालता है. मंगलवार को प्राइमरी चुनाव की पूर्व संध्या पर ट्रंप ने स्वीकार किया था कि बाइडन ही उनके सामने डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार होंगे.

अमेरीका के लगभग 70 साल के इतिहास में यह पहली बार हैं जब जो बाइडेन और डोनाल्ड ट्रंप आमने- सामने होगें. 2020 के चुनाव की अगली कड़ी आधिकारिक तौर पर तय हो गई है. 2020 के चुनाव की तरह ही इस बार भी राष्ट्रपति जो बाइडेन और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच मुकाबला होगा. बाइडेन और ट्रंप पहले भी इस अमेरिकी महाचुनाव में एक दूसरे का सामना कर चुके हैं. हालांकि, इससे पहले ट्रंप राष्ट्रपति थे और बाइडेन उन्हें चुनौती दे रहे थे. तब मुकाबला काफी स्पष्ट था जो इस बार ज्यादा सघन हो गया है.

आपको बता दे बाइडेन ने मंगलवार को चुनावी डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से नामाकंन के लिए जरूरी संख्याबल हासिल कर लिया. चुनाव के इस स्तर पर उनके समर्थन में पर्याप्त प्रतिनिधि अब तक मतदान कर चुके हैं.

क्यों खास है बाइडेन और ट्रंप का एक बार फिर मुकाबले में रहना: अमेरिकी इतिहास में ऐसा बहुत कम बार हुआ है कि लगातार दो चुनावों में दो समान दावेदार राष्ट्रपति पद के लिए आमने-सामने हों. इससे पहले ऐसा मुकाबला 1956 में हुआ था. जब रिपब्लिकन राष्ट्रपति ड्वाइट डी. आइजनहावर ने चार साल पहले अपने डेमोक्रेटिक प्रतिद्वंद्वी एडलाई स्टीवेन्सन को फिर से हरा दिया था. ग्रोवर क्लीवलैंड, इस बीच देश के 22वें और 24वें राष्ट्रपति थे, जिन्होंने 1884 और 1892 में चुनाव जीते.

अड़सठ साल पहले, 1952 में आइजनहावर ने स्टीवेन्सन को हराकर नौ राज्यों को छोड़कर बाकी सभी राज्यों में जीत हासिल की, उसके बाद निवर्तमान राष्ट्रपति ने चार साल बाद फिर से स्टीवेन्सन का सामना किया और बड़ी जीत हासिल की. राष्ट्रपति पद की दौड़ में दोबारा मुकाबलों के अन्य उदाहरण हैं, लेकिन वे अमेरिकी इतिहास में बहुत पहले हुए थे.

रिपब्लिकन राष्ट्रपति विलियम मैककिनले ने 1896 के चुनाव में और फिर 1900 में डेमोक्रेट विलियम जेनिंग्स ब्रायन को पछाड़ दिया था. 1836 में, डेमोक्रेट मार्टिन वान बुरेन ने व्हिग पार्टी के विलियम हेनरी हैरिसन को हराया, लेकिन हैरिसन ने दोनों के बीच मुकाबला जीता और चार साल बाद राष्ट्रपति पद संभाला. इसी बीच राष्ट्रपति पद के लिए जॉन क्विंसी एडम्स और एंड्रयू जैक्सन का दो बार आमना-सामना हुआ.

पहली बार 1824 में, जब एडम्स की जीत हुई, और दूसरी बार 1828 में, जब जैक्सन निवर्तमान एडम्स को हराकर राष्ट्रपति बने. उसके बाद जॉन एडम्स, एक फेडरलिस्ट थे जो देश के दूसरे राष्ट्रपति थे, और थॉमस जेफरसन, इसके तीसरे और एक डेमोक्रेटिक-रिपब्लिकन थे.

1796 में जॉर्ज वाशिंगटन के उत्तराधिकारी के लिए पहली बार लड़े गए राष्ट्रपति चुनाव के दौरान दोनों ने राष्ट्रपति पद के लिए प्रतिस्पर्धा की, जिसमें एडम्स जीत गए और जेफरसन उपराष्ट्रपति चुन लिए गए. चार साल बाद, जेफरसन मौजूदा एडम्स के खिलाफ लडे़ और उन्हें हरा दिया. अब तक केवल एक ग्रोवर क्लीवलैंड अमेरिकी इतिहास में लगातार दो कार्यकाल तक सेवा देने वाले एकमात्र राष्ट्रपति हैं.

उन्होंने सफलतापूर्वक वह कर दिखाया जो ट्रंप अब करने का प्रयास कर रहे हैं. व्हाइट हाउस को उस प्रतिद्वंद्वी से वापस जीतना जिसने इसे उनसे छीन लिया था. एक डेमोक्रेटिक भ्रष्टाचार-विरोधी योद्धा और न्यूयॉर्क के गवर्नर, क्लीवलैंड ने 1884 के राष्ट्रपति चुनाव में मामूली अंतर से जीत हासिल की थी.

चार साल बाद, उन्होंने फिर से उम्मीदवारी हासिल की लेकिन रिपब्लिकन बेंजामिन हैरिसन से चुनावी हार गये. 1892 में क्लीवलैंड फिर से हैरिसन के खिलाफ खड़े हुए. इस बार आसानी से दूसरा कार्यकाल जीत लिया. अन्य पूर्व राष्ट्रपती अपने पूर्व पद को वापस पाने की कोशिश में असफल रहे.

1877 तक दो कार्यकाल पूरा करने के बाद, यूलिसिस एस. ग्रांट ने 1880 के चुनाव के दौरान फिर से रिपब्लिकन नामांकन की मांग की, लेकिन जेम्स ए. गारफील्ड से हार गए. तीन पूर्व राष्ट्रपतियों ने उन पार्टियों से भिन्न पार्टियों के साथ व्हाइट हाउस को पुनः प्राप्त करने का असफल प्रयास किया.

आपको बता दें कि 2020 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप को मात मिली थी. इसके बाद देश के इतिहास में पहली बार कैपिटल हिल पर जमकर उपद्रव हुआ. इस घटना के बाद ट्रंप के समर्थकों ने छह जनवरी 2021 के दिन चुनाव परिणाम स्वीकार करने से इनकार कर दिया था. यह अमेरिका के राजनितिक दौर का काला अध्याय भी कहलाता हैं.

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