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बांग्लादेश में 49 शिक्षकों को इस्तीफा देने के लिए किया गया मजबूर, तस्लीमा नसरीन भड़कीं - Sheikh Hasina Ouster

Bangladesh Crisis: बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद से अल्पसंख्यक समुदायों के स्थिति लगातार खराब होती जा रही है. इस बीच खबर आई है कि कम से कम 49 शिक्षकों को अपने पदों से इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया है.

बांग्लादेश हिंसा
बांग्लादेश हिंसा (AP)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 1, 2024, 5:09 PM IST

Updated : Sep 1, 2024, 7:48 PM IST

ढाका: बांग्लादेश में 5 अगस्त को शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार के पतन के बाद अल्पसंख्यक समुदायों, विशेषकर हिंदुओं के लिए स्थिति लगातार कठिन होती जा रही है. सरकार के पतन के बाद से देश के अल्पसंख्यक समुदायों के कम से कम 49 शिक्षकों को अपने पदों से इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया है.

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार कुछ को फिजिकल अटैक का भी सामना करना पड़ा है. हालांकि, उनमें से 19 को बाद में बहाल कर दिया गया. द डेली स्टार अखबार ने बांग्लादेश छात्र ओइक्या परिषद के कोर्डिनेटपर साजिब सरकार के हवाले से कहा कि इस अवधि के दौरान धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों को हमलों, लूटपाट, महिलाओं पर हमले, मंदिरों में तोड़फोड़, घरों और कारोबार पर आगजनी और हत्याओं का सामना करना पड़ा है.

निशाने पर जातीय अल्पसंख्यक
बता दें कि हाल ही में नौकरी कोटा सिस्टम के खिलाफ बड़े पैमाने पर छात्र विरोध प्रदर्शन के कारण 76 वर्षीय पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के पद से हटने और भारत भाग जाने के बाद बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति और खराब हो गई. वहीं, छात्र विरोध प्रदर्शन जल्दी ही हिंसक हो गए, जिसमें हिंदुओं, बौद्धों और ईसाइयों सहित धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया गया.

बीते 18 अगस्त को लगभग 50 छात्रों ने अजीमपुर गवर्नमेंट गर्ल्स स्कूल एंड कॉलेज में प्रिंसिपल के कार्यालय पर धावा बोला और मांग की कि वह और दो अन्य शिक्षक इस्तीफा दें. बरुआ ने डेली स्टार को बताया कि 18 अगस्त से पहले, उन्होंने कभी मेरा इस्तीफा नहीं मांगा. उस सुबह, उन्होंने मेरे ऑफिस में धावा बोला और मुझे अपमानित किया.

तस्लीमा नसरीन ने साधा निशाना
इस बीच तस्लीमा नसरीन ने बांग्लादेश की स्थिति पर प्रतिक्रिया व्यक्त की उन्होंने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त कदम न उठाने के लिए नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली वर्तमान सरकार पर निशाना साधा.

उन्होंने एक्स पर लिखा, "बांग्लादेश में शिक्षकों को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया जा रहा है. पत्रकार, मंत्री, पूर्व सरकार के अधिकारी मारे जा रहे हैं, परेशान किए जा रहे हैं, जेल में बंद किए जा रहे हैं. जनरल जेड ने अहमदिया मुसलमानों के उद्योग जला दिए हैं. सूफी मुसलमानों की मजारें और दरगाहें इस्लामी आतंकवादियों द्वारा ध्वस्त कर दी गई हैं. यूनुस इसके खिलाफ कुछ नहीं कहते."

बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद और बांग्लादेश पूजा उडजापान परिषद संगठनों द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार देश में अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों को हसीना के नेतृत्व वाली सरकार के पतन के बाद से 52 जिलों में हमलों की कम से कम 205 घटनाओं का सामना करना पड़ा है.

यह भी पढ़ें- वीजा जारी करने में देरी को लेकर ढाका में प्रदर्शन, भारत ने बंद किया IVAC

ढाका: बांग्लादेश में 5 अगस्त को शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार के पतन के बाद अल्पसंख्यक समुदायों, विशेषकर हिंदुओं के लिए स्थिति लगातार कठिन होती जा रही है. सरकार के पतन के बाद से देश के अल्पसंख्यक समुदायों के कम से कम 49 शिक्षकों को अपने पदों से इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया है.

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार कुछ को फिजिकल अटैक का भी सामना करना पड़ा है. हालांकि, उनमें से 19 को बाद में बहाल कर दिया गया. द डेली स्टार अखबार ने बांग्लादेश छात्र ओइक्या परिषद के कोर्डिनेटपर साजिब सरकार के हवाले से कहा कि इस अवधि के दौरान धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों को हमलों, लूटपाट, महिलाओं पर हमले, मंदिरों में तोड़फोड़, घरों और कारोबार पर आगजनी और हत्याओं का सामना करना पड़ा है.

निशाने पर जातीय अल्पसंख्यक
बता दें कि हाल ही में नौकरी कोटा सिस्टम के खिलाफ बड़े पैमाने पर छात्र विरोध प्रदर्शन के कारण 76 वर्षीय पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के पद से हटने और भारत भाग जाने के बाद बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति और खराब हो गई. वहीं, छात्र विरोध प्रदर्शन जल्दी ही हिंसक हो गए, जिसमें हिंदुओं, बौद्धों और ईसाइयों सहित धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया गया.

बीते 18 अगस्त को लगभग 50 छात्रों ने अजीमपुर गवर्नमेंट गर्ल्स स्कूल एंड कॉलेज में प्रिंसिपल के कार्यालय पर धावा बोला और मांग की कि वह और दो अन्य शिक्षक इस्तीफा दें. बरुआ ने डेली स्टार को बताया कि 18 अगस्त से पहले, उन्होंने कभी मेरा इस्तीफा नहीं मांगा. उस सुबह, उन्होंने मेरे ऑफिस में धावा बोला और मुझे अपमानित किया.

तस्लीमा नसरीन ने साधा निशाना
इस बीच तस्लीमा नसरीन ने बांग्लादेश की स्थिति पर प्रतिक्रिया व्यक्त की उन्होंने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त कदम न उठाने के लिए नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली वर्तमान सरकार पर निशाना साधा.

उन्होंने एक्स पर लिखा, "बांग्लादेश में शिक्षकों को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया जा रहा है. पत्रकार, मंत्री, पूर्व सरकार के अधिकारी मारे जा रहे हैं, परेशान किए जा रहे हैं, जेल में बंद किए जा रहे हैं. जनरल जेड ने अहमदिया मुसलमानों के उद्योग जला दिए हैं. सूफी मुसलमानों की मजारें और दरगाहें इस्लामी आतंकवादियों द्वारा ध्वस्त कर दी गई हैं. यूनुस इसके खिलाफ कुछ नहीं कहते."

बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद और बांग्लादेश पूजा उडजापान परिषद संगठनों द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार देश में अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों को हसीना के नेतृत्व वाली सरकार के पतन के बाद से 52 जिलों में हमलों की कम से कम 205 घटनाओं का सामना करना पड़ा है.

यह भी पढ़ें- वीजा जारी करने में देरी को लेकर ढाका में प्रदर्शन, भारत ने बंद किया IVAC

Last Updated : Sep 1, 2024, 7:48 PM IST
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