पटनाः भारत में लगभग 10 करोड़ लोग मधुमेह से ग्रसित हैं. प्री स्टेज में लगभग 13 करोड़ लोग हैं. खासकर टाइप 2 डायबिटीज में लोगों का शरीर में इंसुलिन सही से बनने की प्रक्रिया प्रभावित होती. मधुमेह शरीर के अंगों को धीरे-धीरे डैमेज करना शुरू करता है. इसका बुरा असर किडनी, आंखों की रोशनी, हृदय पर पड़ता है.
इस उम्र के लोग इसके शिकारः भारत में 35 से 40 वर्ष की उम्र के युवाओं में भी मधुमेह के मामले बीते एक दशक में काफी बढ़े हैं. मधुमेह के मरीजों को नियमित रूप से प्रतिदिन दवा लेने की आवश्यकता होती है. लेकिन कई लोग बिना चिकित्सीय परामर्श के दवाई छोड़ देते हैं. जिसका व्यक्ति के शरीर पर गहरा दुष्प्रभाव होता है.
डायबिटीज का पहचान कैसे करेंः मधुमेह रोग विशेषज्ञ और पटना के बोरिंग रोड स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर के पास डायबीटिक केयर सेंटर चलने वाले डॉक्टर अरविंद लाल दास ने बताया शुरुआत में डायबिटीज का पहचान कैसे करें. अगर शुरुआत में पहचान हो जाए तो इससे छुटकारा मिल सकता है. इसके साथ ही उन्होंने पहले से ही लोगों को अपने डेली रूटीन में एक्सरसाइज को शामिल करने के लिए कहा है.
फास्ट फूड से समस्याः अरविंद लाल दास ने बताया कि बिहार और पूरे भारत में मधुमेह के रोगियों की संख्या काफी बढ़ी है. लाइफ स्टाइल इसका सबसे प्रमुख कारण है. आजकल वर्किंग एडल्ट फास्ट फूड पर काफी डिपेंडेंट हो गए हैं. पैदल चलने की आदत कम हो गई है. पैदल चलना, साइकिल चलाना एक्सरसाइज के बराबर माना जाता है. शरीर से फिजिकल वर्क अधिक नहीं हो रहा है.
डायबिटीज के लक्षणः डॉ अरविंद लाल दास ने बताया कि मोटापा भी डायबिटीज का बड़ा कारण है. जो इससे ग्रसित है उसे मधुमेह से ग्रसित होने की संभावना कई गुना अधिक बढ़ जाता है. मधुमेह जब डायग्नोज होता है उसे एक दशक पहले मधुमेह होने के लक्षण शरीर में शुरू हो गए होते हैं. उन्होंने डायबिटीज के लक्षण के बारे में पता लगाने का अचूक उपाय बताया.
"पेट की परिधि यदि 40 इंच से अधिक है तो शरीर में डायबिटीज का खतरा है. मधुमेह के कई लक्षण होते हैं, जिसमें आंखों के सामने धुंधला दिखाई देना, जल्दी थकावट महसूस होना, बार-बार पेशाब लगना, भूख नहीं लगना. यह सब लक्षण होते हैं. यदि यह लक्षण आ रहे हैं तो बिना देर किए फिजिशियन से संपर्क करें." -डॉ अरविंद लाल दास, मधुमेह रोग विशेषज्ञ
ऐसे में छोड़ सकते हैं दवाः डॉ अरविंद लाल दास ने बताया कि मधुमेह के रोगियों को नियमित रूप से दवा लेने की आवश्यकता पड़ती है. खान पान और लाइफस्टाइल बहुत अधिक संयमित है तो चिकित्सीय परामर्श पर दवाई छोड़ा जा सकता है. नियमित अंतराल पर मधुमेह की जांच की आवश्यकता पड़ती है. खान-पान को नियंत्रित नहीं रख पाते हैं तो दवा बेहद जरूरी है.
लोगों के नुस्खे को नहीं अपनाएंः उन्होंने बताया कि लोगों की बात में नहीं आएं. कई लोग कहते हैं कि सुबह यह पत्ता खाएं, वह पत्ता खाएं, दवाई की जरूरत नहीं पड़ेगी. लेकिन यह सब गलत बात है. मधुमेह का ट्रीटमेंट अभी एलोपैथिक मेडिसिन में ही है. दवाइयां के साथ अन्य औषधीय पौधे अलग-अलग लोगों के लिए फायदेमंद हो सकता है लेकिन दवाइयां बंद करने के बाद यह फायदेमंद नहीं होगा.
लाइफस्टाइल में बदलाव जरूरीः डॉ अरविंद लाल दास ने बताया कि मधुमेह को नियंत्रित रखना है और इससे बचना है तो जरूरी है कि अपने लाइफस्टाइल में बदलाव करें. दिन में तीन बार खाना खाते हैं तो एक टाइम के भोजन में रोटी और चावल दोनों को बंद किया जा सकता है. मौसमी फल, खीरा, ककड़ी का सलाद, अंकुरित पदार्थ का सेवन कर सकते हैं.
रात में हल्का भोजन करेंः इसके अलावा रात में हल्का भोजन करके बिस्तर पर सोने जाएं. रात में भरपेट अथवा पेट में ठूंस कर भोजन नहीं करें. भोजन के 10 मिनट बाद ही पानी पिए और भोजन के बाद कम से कम 100 कदम जरूर टहले. फिजिकल वर्क काम हो रहा है तो थोड़ा बहुत चलने की आदत डालें और थोड़ी दूरी को पैदल चलकर पूरी करने की कोशिश करें
ब्रिटेन में अपनी सेवा दे चुके हैं डॉ अरविंदः बता दें कि डॉ अरविंद लाल दास ने 30 वर्ष तक ब्रिटेन में अपनी सेवा दी है और अब वापस बिहार लौट आने के बाद पारस हॉस्पिटल, रुबन हॉस्पिटल जैसे पटना के बड़े प्राइवेट अस्पतालों में भी अपनी सेवा दे रहे हैं.
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