नयी दिल्ली : देश में 60 से अधिक पर्यावरण और सामाजिक संगठनों ने हिमालयी क्षेत्रों में रेलवे, बांध, जल संबंधी परियोजनाओं और चार-लेन के राजमार्ग से जुड़ी सभी बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की और सभी विकास परियोजनाओं के लिए जनमत संग्रह तथा जनता से विचार-विमर्श को अनिवार्य बनाने का अनुरोध किया है. 'पीपुल फॉर हिमालय' अभियान का संयुक्त रूप से नेतृत्व कर रहे संगठनों ने एक ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन के दौरान लोकसभा चुनाव के लिए सभी राजनीतिक दलों के लिए पांच सूत्री मांग रखी.
People for Himalaya ने मौजूदा परियोजनाओं के असर की व्यापक बहुविषयक समीक्षा के साथ रेलवे, बांध, जल संबंधी परियोजनाओं, सुरंग, ट्रांसमिशन लाइन और चार-लेन के राजमार्ग समेत सभी बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का आह्वान किया है. इन संगठनों ने मांग की कि जनमत संग्रह और जनता से विचार-विमर्श के जरिए लोकतांत्रिक तरीके से निर्णय निर्धारण को बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए अनिवार्य बनाया जाए.
संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने कहा, ''उद्योगपति हिमालय की चोटियों का दोहन करते हैं जबकि स्थानीय लोग आपदाओं का दंश झेलते हैं. सरकार ने पुनर्वास प्रयासों के लिए करदाताओं के धन का इस्तेमाल किया है लेकिन जो लाभ उठाते हैं उन्हें जिम्मेदार नहीं ठहराया जाता है." Sonam Wangchuk ने संविधान की छठी अनुसूची में लद्दाख को शामिल किए जाने की मांग को लेकर हाल में 21 दिन का अनशन किया था.
'नॉर्थईस्ट डायलॉग फोरम' के मोहन सैकिया ( Mohan Saikia Northeast Dialogue Forum ) ने ब्रह्मपुत्र नदी तथा उसके बेसिन पर प्रस्तावित बड़ी पनबिजली विकास परियोजनाओं के गंभीर पारिस्थितिकी असर को लेकर आगाह किया. पर्वतीय महिला अधिकार मंच, हिमाचल प्रदेश की विमला विश्वप्रेमी ने कहा कि चरवाहे, भूमिहीन दलित और महिलाएं इन नीतिगत आपदाओं और जलवायु संकट में सबसे कम योगदान देते हैं जबकि वे इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं. Sonam Wangchuk , Himalayas infrastructure projects , ban on Himalayas infrastructure projects .