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दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल ने पहली बार किया सफल बाल बोन मैरो प्रत्यारोपण - Bone Marrow Transplant

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Sep 10, 2024, 10:21 AM IST

दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के पीडियाट्रिक हेमेटोलॉजी ऑन्कोलॉजी विभाग ने पहला सफल बाल चिकित्सा बोन मैरो ट्रांसप्लांट कर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की. यह प्रोसीजर एक नौ साल के बच्चे में किया गया.

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सफदरजंग अस्पताल (File Photo)

नई दिल्ली: वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज (वीएमएमसी) और सफदरजंग अस्पताल में बाल चिकित्सा हेमटोलॉजी ऑन्कोलॉजी विभाग ने अपना पहला बाल चिकित्सा बोन मैरो ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक करके एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है. यह प्रक्रिया 9 वर्षीय बच्चे पर की गई, जिसे उच्च जोखिम वाले रिलैप्स हॉजकिन लिंफोमा का पता चला था. सफदरजंग अस्पताल में बाल विभाग के प्रमुख डॉ रतन गुप्ता ने बताया कि डॉ प्रशांत प्रभाकर ने प्रत्यारोपण टीम का नेतृत्व किया.

कंडीशनिंग कीमोथेरेपी के बाद 2 अगस्त को ऑटोलॉगस प्रत्यारोपण किया गया. सफल प्रत्यारोपण के बाद रोगी को 7 सितंबर को छुट्टी दे दी गई और अगले दो महीनों तक वह कड़ी निगरानी में रहेगा. यह उपलब्धि 2021 में एक समर्पित बोन मैरो ट्रांसप्लांट यूनिट की स्थापना से प्राप्त हो सकी है, जिसका नेतृत्व महानिदेशक डॉ. अतुल गोयल कर रहे हैं.

अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक डॉ. वंदना तलवार ने कहा कि इस सफल प्रत्यारोपण से बीएमटी की आवश्यकता वाले कई बच्चों के लिए दरवाजे खुल गए हैं, जो अन्य जगहों पर इस प्रक्रिया का खर्च नहीं उठा सकते. अस्पताल प्रशासन और चिकित्सा टीम स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के मार्गदर्शन में इस महत्वपूर्ण सेवा को जारी रखने के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त करती है.

सफदरजंग अस्पताल प्रशासन के अनुसार बच्चे को हाजकिन‌ लिंफोमा की बीमारी थी. बोन मैरो प्रत्यारोपण ही इस बीमारी का स्थाई इलाज है. दो साल पहले ही सफदरजंग अस्पताल में बोनमैरो प्रत्यारोपण की सुविधा शुरू की गई थी. अब तक इस अस्पताल में चार व्यस्क मरीजों को बोन मैरो प्रत्यारोपण हो चुका है, लेकिन अब तक इस अस्पताल में बच्चों को बोन मैरो प्रत्यारोपण नहीं हुआ था.

ये भी पढ़ें: RML के डॉक्टरों से पहले सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टर भी मरीजों से रिश्वत लेकर बना चुका है करोड़ों की संपत्ति

ये भी पढ़ें: सफदरजंग अस्पताल में पहली बार किया गया अलग-अलग ब्लड ग्रुप का किडनी ट्रांसप्लांट

नई दिल्ली: वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज (वीएमएमसी) और सफदरजंग अस्पताल में बाल चिकित्सा हेमटोलॉजी ऑन्कोलॉजी विभाग ने अपना पहला बाल चिकित्सा बोन मैरो ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक करके एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है. यह प्रक्रिया 9 वर्षीय बच्चे पर की गई, जिसे उच्च जोखिम वाले रिलैप्स हॉजकिन लिंफोमा का पता चला था. सफदरजंग अस्पताल में बाल विभाग के प्रमुख डॉ रतन गुप्ता ने बताया कि डॉ प्रशांत प्रभाकर ने प्रत्यारोपण टीम का नेतृत्व किया.

कंडीशनिंग कीमोथेरेपी के बाद 2 अगस्त को ऑटोलॉगस प्रत्यारोपण किया गया. सफल प्रत्यारोपण के बाद रोगी को 7 सितंबर को छुट्टी दे दी गई और अगले दो महीनों तक वह कड़ी निगरानी में रहेगा. यह उपलब्धि 2021 में एक समर्पित बोन मैरो ट्रांसप्लांट यूनिट की स्थापना से प्राप्त हो सकी है, जिसका नेतृत्व महानिदेशक डॉ. अतुल गोयल कर रहे हैं.

अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक डॉ. वंदना तलवार ने कहा कि इस सफल प्रत्यारोपण से बीएमटी की आवश्यकता वाले कई बच्चों के लिए दरवाजे खुल गए हैं, जो अन्य जगहों पर इस प्रक्रिया का खर्च नहीं उठा सकते. अस्पताल प्रशासन और चिकित्सा टीम स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के मार्गदर्शन में इस महत्वपूर्ण सेवा को जारी रखने के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त करती है.

सफदरजंग अस्पताल प्रशासन के अनुसार बच्चे को हाजकिन‌ लिंफोमा की बीमारी थी. बोन मैरो प्रत्यारोपण ही इस बीमारी का स्थाई इलाज है. दो साल पहले ही सफदरजंग अस्पताल में बोनमैरो प्रत्यारोपण की सुविधा शुरू की गई थी. अब तक इस अस्पताल में चार व्यस्क मरीजों को बोन मैरो प्रत्यारोपण हो चुका है, लेकिन अब तक इस अस्पताल में बच्चों को बोन मैरो प्रत्यारोपण नहीं हुआ था.

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