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सावधानी और समय पर इलाज से बचाई जा सकती है आंखें: ' प्रिवेंशन ऑफ ब्लाइंडनेस वीक’ - Prevention of Blindness Week

Prevention of Blindness Week : आम जन को नेत्रों को स्वस्थ तथा सुरक्षित बनाए रखने के लिए सही व नियमित देखभाल व जांच के लिए प्रेरित करने तथा नेत्र स्वास्थ्य से जुड़े अन्य जरूरी मुद्दों जिसमें अंधता से बचाव भी शामिल हैं, को लेकर आम जन में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा हर साल 1 से 7 अप्रैल तक 'प्रिवेंशन ऑफ ब्लाइंडनेस वीक' मनाया जाता है. पढ़ें पूरी खबर...

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Mar 31, 2024, 3:13 PM IST

Prevention of Blindness Week
Prevention of Blindness Week

हैदराबाद : नेत्रों को स्वस्थ रखने के लिए उनकी स्वच्छता व देखभाल का ध्यान रखना तथा उनकी नियमित जांच करवाने के साथ रोगों व विशेष अवस्थाओं में उनका पूरा व सही इलाज करना बेहद जरूरी है. लेकिन बहुत से लोग कभी जानकारी के अभाव में तो कभी लापरवाही के चलते उन आंखों के स्वास्थ्य की अनदेखी भी कर देते हैं जो उन्हे पूरी दुनिया दिखाती है. कई बार ऐसा करना उनमें स्थाई व अस्थाई अंधता या दृष्टि हानि का कारण भी बन सकता है.

लोगों को नेत्र स्वास्थ्य का ध्यान रखने, नियमित नेत्र जांच कराने के लिए प्रेरित करने, उन्हे आंखों से जुड़ी किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या को अनदेखा ना करने और किसी समस्या के होने पर इलाज में लापरवाही ना बरतने के लिए जागरूक व शिक्षित करने के उद्देश्य से हर साल भारत सरकार द्वारा 1 से 7 अप्रैल तक 'प्रिवेंशन ऑफ ब्लाइंडनेस वीक का आयोजन किया जाता है.

क्या कहते हैं आंकड़े
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की वेबसाइट पर उपलब्ध सूचना के अनुसार वर्ष 2022 तक भारत में लगभग 4.95 मिलियन पूर्ण अंधता से पीड़ित तथा लगभग 70 मिलियन दृष्टिबाधित व्यक्ति थे. जिनमें से नेत्रहीन बच्चों का आंकड़ा 0.24 मिलियन था. वहीं विभिन्न उपलब्ध आंकड़ों व सूचनाओं की मानें तो भारत में लगभग 68 लाख लोग दो या कम से कम 1 आंख में कॉर्नियल ब्लाइंडनेस से पीड़ित हैं. जिनमें से दस लाख लोग पूरी तरह से अंधता से पीड़ित हैं.

कुछ अन्य आंकड़ों के अनुसार भारत मे हर साल दृष्टि दोष के जितने मामले आते हैं उनमें से लगभग 73% मामले ऐसे होते हैं जिनका पूरी तरह से इलाज संभव होता है. बशर्ते उनका इलाज तथा समस्या से जुड़ी देखभाल समय से शुरू हो जाए.

कारण तथा बचाव
नई दिल्ली के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. आर एस अग्रवाल बताते हैं जन्मजात कारणों के अलावा कई बार किसी दुर्घटना या नेत्र रोग/विकार के कारण अगर आंखों की ऑप्टिक नर्व या रेटिना के कुछ हिस्से प्रभावित होने की अवस्था में आंशिक या स्थाई दृष्टि हानि हो सकती है. विशेषतौर पर रोगों की बात करें तो अलग-अलग प्रकार का मैक्युलर डिजनरेशन , ग्लूकोमा, मोतियाबिंद तथा डायबिटिक रेटिनोपैथी सहित कई रोग या अवस्थाएं हैं जो समय से ध्यान ना देने पर आंशिक या पूर्ण अंधता का कारण बन सकते हैं.

डॉ. अग्रवाल बताते हैं कि आंखों के स्वास्थ्य की देखभाल या इलाज में लापरवाही जैसी आदतें महिलाओं व पुरुषों दोनों में आमतौर पर देखी जाती है. जो कई मामलों में समस्या के बढ़ने का कारण बन जाती है. वहीं आजकल हर उम्र के लोगों में हर तरह की स्क्रीन टाइम के बढ़ने तथा शरीर में पोषण की कमी जैसी समस्याओं के बढ़ने के कारण भी नेत्र रोगों व समस्याओं के मामले बढ़ रहे हैं. दरअसल आजकल बच्चों व बड़ों , सभी की थाली में पोषण से युक्त दाल ,सब्जी, फलों, अनाज व सूखे मेवों की जगह अपौष्टिक आहार जैसे जंक फूड, प्रोसेस्ड फूड, चिप्स तथा ऐसे आहार जो शरीर में समस्याओं के ज्यादा बढ़ने का कारण बन सकते हैं, ज्यादा नजर आते हैं. शरीर में पोषण की कमी हर अंग के स्वास्थ्य को प्रभावित करती है. वही कई बार शरीर के किसी अन्य अंग को प्रभावित करने वाला रोग (मधुमेह, मोटापा या उच्च रक्तचाप आदि ) प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में नेत्र स्वास्थ्य को भी काफी ज्यादा प्रभावित कर सकता है और कुछ मामलों में अस्थाई या स्थाई दृष्टि हानि या नेत्र पर किसी अन्य प्रकार के प्रभाव का कारण भी बन सकता है.

वह बताते हैं कि कुछ बातों तथा सावधानियों का ध्यान रख कर नेत्रों को समस्याओं से बचाया जा सकता है. जैसे ..

  1. आंखों से जुड़े व्यायाम करें.
  2. नेत्र स्वच्छता का ध्यान रखें.
  3. नियमित नेत्र जांच करवाएं.
  4. हर उम्र में पौष्टिक आहार के सेवन किया जाए.
  5. स्मार्ट स्क्रीन के उपयोग में सावधानी बरतें तथा उससे जुड़े नियमों का पालन करें.
  6. पूरी नींद लें तथा काम के बीच में भी थोड़े-थोड़े अंतराल पर आंखों को आराम देने का प्रयास करें.
  7. आंखों में खुजली, शुष्कता या अस्थाई धुंधलेपन जैसी छोटी से छोटी समस्या को भी नजर अंदाज ना करें तथा चिकित्सक से परामर्श लें.

'प्रिवेंशन ऑफ ब्लाइंडनेस वीक’ का उद्देश्य
आज के दौर में भी जब आम लोगों तक स्वास्थ्य को स्वस्थ बनाए रखने से जुड़ी जानकारियां आसानी से पहुंच रही हैं , लोग जानते-बुझते अपने स्वास्थ्य विशेषकर नेत्रों के स्वास्थ्य को लेकर लापरवाही बरतते हैं. बहुत से लोग आंखों में परेशानी ता समस्या महसूस होने के बावजूद समय पर चिकित्सक से परामर्श नहीं लेते हैं.

वहीं ऐसे लोगों को , जो पहले से मधुमेह, मोटापा या उच्च रक्तचाप या ऐसे अन्य रोगों से पीड़ित हैं जो उनके नेत्र स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं, ज्यादातर मालूम ही नहीं होता है कि उनके द्वारा स्वास्थ्य की अनदेखी या नियमित नेत्र जांच ना करवाना उनकी आंखों के लिए कितना नुकसानदायक हो सकता है.

हल्की सी नेत्र समस्या या कोई अन्य रोग या अवस्था स्थाई या अस्थाई नेत्रहीनता का कारण ना बन जाए इसलिए आमजन को, जागरूक व जिम्मेदार बनाने के उद्देश्य के साथ हर साल प्रिवेंशन ऑफ ब्लाइंडनेस वीक मनाया जाता है. इस अवसर पर नेत्रहीन लोगों के उत्थान तथा पुनर्वास से जुड़े मुद्दों को लेकर भी चर्चा व प्रयास किए जाते हैं.

गौरतलब है कि प्रिवेंशन ऑफ ब्लाइंडनेस वीक के दौरान पूरे सप्ताह तक कई सरकारी केंद्रों तथा निजी चिकित्सालयों में सरकारी व गैर सरकारी संगठनों द्वारा आंखों की देखभाल तथा जांच को लेकर शिविर तथा विभिन्न प्रकार के जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.

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हैदराबाद : नेत्रों को स्वस्थ रखने के लिए उनकी स्वच्छता व देखभाल का ध्यान रखना तथा उनकी नियमित जांच करवाने के साथ रोगों व विशेष अवस्थाओं में उनका पूरा व सही इलाज करना बेहद जरूरी है. लेकिन बहुत से लोग कभी जानकारी के अभाव में तो कभी लापरवाही के चलते उन आंखों के स्वास्थ्य की अनदेखी भी कर देते हैं जो उन्हे पूरी दुनिया दिखाती है. कई बार ऐसा करना उनमें स्थाई व अस्थाई अंधता या दृष्टि हानि का कारण भी बन सकता है.

लोगों को नेत्र स्वास्थ्य का ध्यान रखने, नियमित नेत्र जांच कराने के लिए प्रेरित करने, उन्हे आंखों से जुड़ी किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या को अनदेखा ना करने और किसी समस्या के होने पर इलाज में लापरवाही ना बरतने के लिए जागरूक व शिक्षित करने के उद्देश्य से हर साल भारत सरकार द्वारा 1 से 7 अप्रैल तक 'प्रिवेंशन ऑफ ब्लाइंडनेस वीक का आयोजन किया जाता है.

क्या कहते हैं आंकड़े
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की वेबसाइट पर उपलब्ध सूचना के अनुसार वर्ष 2022 तक भारत में लगभग 4.95 मिलियन पूर्ण अंधता से पीड़ित तथा लगभग 70 मिलियन दृष्टिबाधित व्यक्ति थे. जिनमें से नेत्रहीन बच्चों का आंकड़ा 0.24 मिलियन था. वहीं विभिन्न उपलब्ध आंकड़ों व सूचनाओं की मानें तो भारत में लगभग 68 लाख लोग दो या कम से कम 1 आंख में कॉर्नियल ब्लाइंडनेस से पीड़ित हैं. जिनमें से दस लाख लोग पूरी तरह से अंधता से पीड़ित हैं.

कुछ अन्य आंकड़ों के अनुसार भारत मे हर साल दृष्टि दोष के जितने मामले आते हैं उनमें से लगभग 73% मामले ऐसे होते हैं जिनका पूरी तरह से इलाज संभव होता है. बशर्ते उनका इलाज तथा समस्या से जुड़ी देखभाल समय से शुरू हो जाए.

कारण तथा बचाव
नई दिल्ली के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. आर एस अग्रवाल बताते हैं जन्मजात कारणों के अलावा कई बार किसी दुर्घटना या नेत्र रोग/विकार के कारण अगर आंखों की ऑप्टिक नर्व या रेटिना के कुछ हिस्से प्रभावित होने की अवस्था में आंशिक या स्थाई दृष्टि हानि हो सकती है. विशेषतौर पर रोगों की बात करें तो अलग-अलग प्रकार का मैक्युलर डिजनरेशन , ग्लूकोमा, मोतियाबिंद तथा डायबिटिक रेटिनोपैथी सहित कई रोग या अवस्थाएं हैं जो समय से ध्यान ना देने पर आंशिक या पूर्ण अंधता का कारण बन सकते हैं.

डॉ. अग्रवाल बताते हैं कि आंखों के स्वास्थ्य की देखभाल या इलाज में लापरवाही जैसी आदतें महिलाओं व पुरुषों दोनों में आमतौर पर देखी जाती है. जो कई मामलों में समस्या के बढ़ने का कारण बन जाती है. वहीं आजकल हर उम्र के लोगों में हर तरह की स्क्रीन टाइम के बढ़ने तथा शरीर में पोषण की कमी जैसी समस्याओं के बढ़ने के कारण भी नेत्र रोगों व समस्याओं के मामले बढ़ रहे हैं. दरअसल आजकल बच्चों व बड़ों , सभी की थाली में पोषण से युक्त दाल ,सब्जी, फलों, अनाज व सूखे मेवों की जगह अपौष्टिक आहार जैसे जंक फूड, प्रोसेस्ड फूड, चिप्स तथा ऐसे आहार जो शरीर में समस्याओं के ज्यादा बढ़ने का कारण बन सकते हैं, ज्यादा नजर आते हैं. शरीर में पोषण की कमी हर अंग के स्वास्थ्य को प्रभावित करती है. वही कई बार शरीर के किसी अन्य अंग को प्रभावित करने वाला रोग (मधुमेह, मोटापा या उच्च रक्तचाप आदि ) प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में नेत्र स्वास्थ्य को भी काफी ज्यादा प्रभावित कर सकता है और कुछ मामलों में अस्थाई या स्थाई दृष्टि हानि या नेत्र पर किसी अन्य प्रकार के प्रभाव का कारण भी बन सकता है.

वह बताते हैं कि कुछ बातों तथा सावधानियों का ध्यान रख कर नेत्रों को समस्याओं से बचाया जा सकता है. जैसे ..

  1. आंखों से जुड़े व्यायाम करें.
  2. नेत्र स्वच्छता का ध्यान रखें.
  3. नियमित नेत्र जांच करवाएं.
  4. हर उम्र में पौष्टिक आहार के सेवन किया जाए.
  5. स्मार्ट स्क्रीन के उपयोग में सावधानी बरतें तथा उससे जुड़े नियमों का पालन करें.
  6. पूरी नींद लें तथा काम के बीच में भी थोड़े-थोड़े अंतराल पर आंखों को आराम देने का प्रयास करें.
  7. आंखों में खुजली, शुष्कता या अस्थाई धुंधलेपन जैसी छोटी से छोटी समस्या को भी नजर अंदाज ना करें तथा चिकित्सक से परामर्श लें.

'प्रिवेंशन ऑफ ब्लाइंडनेस वीक’ का उद्देश्य
आज के दौर में भी जब आम लोगों तक स्वास्थ्य को स्वस्थ बनाए रखने से जुड़ी जानकारियां आसानी से पहुंच रही हैं , लोग जानते-बुझते अपने स्वास्थ्य विशेषकर नेत्रों के स्वास्थ्य को लेकर लापरवाही बरतते हैं. बहुत से लोग आंखों में परेशानी ता समस्या महसूस होने के बावजूद समय पर चिकित्सक से परामर्श नहीं लेते हैं.

वहीं ऐसे लोगों को , जो पहले से मधुमेह, मोटापा या उच्च रक्तचाप या ऐसे अन्य रोगों से पीड़ित हैं जो उनके नेत्र स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं, ज्यादातर मालूम ही नहीं होता है कि उनके द्वारा स्वास्थ्य की अनदेखी या नियमित नेत्र जांच ना करवाना उनकी आंखों के लिए कितना नुकसानदायक हो सकता है.

हल्की सी नेत्र समस्या या कोई अन्य रोग या अवस्था स्थाई या अस्थाई नेत्रहीनता का कारण ना बन जाए इसलिए आमजन को, जागरूक व जिम्मेदार बनाने के उद्देश्य के साथ हर साल प्रिवेंशन ऑफ ब्लाइंडनेस वीक मनाया जाता है. इस अवसर पर नेत्रहीन लोगों के उत्थान तथा पुनर्वास से जुड़े मुद्दों को लेकर भी चर्चा व प्रयास किए जाते हैं.

गौरतलब है कि प्रिवेंशन ऑफ ब्लाइंडनेस वीक के दौरान पूरे सप्ताह तक कई सरकारी केंद्रों तथा निजी चिकित्सालयों में सरकारी व गैर सरकारी संगठनों द्वारा आंखों की देखभाल तथा जांच को लेकर शिविर तथा विभिन्न प्रकार के जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.

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