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क्यों मनाया जाता है नेशनल हार्ट ट्रांसप्लांट दिवस, भारत में क्या है स्थिति, जानें - National Heart Transplant Day - NATIONAL HEART TRANSPLANT DAY

NATIONAL HEART TRANSPLANT DAY: वैश्विक स्तर की सर्जरी भारत में भी संभव है. विकसित देशों की तुलना में भारत में इन पर काफी कम खर्च आता है. कई देशों से बड़ी संख्या में लोग भारत में सर्जरी के लिए आते हैं. पढ़ें पूरी खबर...

national heart transplant day
नेशनल हार्ट ट्रांसप्लांट दिवस (Getty Images)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 3, 2024, 6:11 AM IST

हैदराबादः हर साल 3 अगस्त को राष्ट्रीय हृदय प्रत्यारोपण दिवस मनाया जाता है. इसी दिन 2015 में महाराष्ट्र में पहली बार हार्ट ट्रांसप्लांट किया गया था. आधिकारिक तौर पर 2003 में पहली बार राष्ट्रीय हृदय प्रत्यारोपण दिवस का आयोजन किया गया था. 2003 में पहली बार तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के सरकारी आवास पर राष्ट्रीय हृदय प्रत्यारोपण दिवस मनाया गया था. इसी दौरान आधिकारिक तौर पर इस दिवस को मनाये जाने की घोषणा की गई. इसी दौरान उन्होंने एम्स के ऑर्गन रिट्रीवल बैंकिंग संगठन को राष्ट्रीय सुविधा घोषित करने को भी अपनी मंजूरी दी.

भारत में हृदय प्रत्यारोपण:
हृदय प्रत्यारोपण एक सर्जिकल प्रक्रिया है जो हृदय फेल होने की स्थिति में उपचार के लिए की जाती है. इसमें रोगग्रस्त या विफल हृदय को किसी मृत व्यक्ति या किसी ऐसे दाता से स्वस्थ हृदय से प्रतिस्थापित किया जाता है जो मेल खाता हो. यदि हृदय क्षतिग्रस्त या रोगग्रस्त है, तो रक्त शरीर के सभी अंगों तक नहीं पहुंच पाता है और व्यक्ति बहुत बीमार हो सकता है. हृदय क्षति विभिन्न कारकों के कारण हो सकती है. तीव्र हृदय विफलता वाले लोग आमतौर पर दवा का विकल्प चुनते हैं लेकिन पुरानी हृदय विफलता के मामले में, हृदय प्रत्यारोपण ही एकमात्र विकल्प है.

भारत में हार्ट अटैक के कारणों से होने वाली मौतों के बारे में सटीक जानकारी का अभाव है. इसके पीछे मुख्य कारण है कि अस्पतालों से बाहर होने वाली मौत का डेटा नहीं होता है. इस कारण सरकार/ स्वास्थ्य संगठनों के पास इस बारे में परफेक्ट डेटा नहीं है. अतारांकित प्रश्न के माध्यम से 10 फरवरी 2023 की देश के कई सांसदों ने तात्कालीन स्वास्थ्य मंत्रालय से देश में हार्ट अटैक के मामलों में सवाल उठाया था. इस पर सरकार की ओर से संसद में जवाब दिया था.

आईसीएमआर की अध्ययन रिपोर्ट-'भारत: राष्ट्र के राज्यों का स्वास्थ्य' के अनुसार 2016 में भारत में कुल मौतों में हृदय रोगों का योगदान 28.1 फीसदी था. जबकि 1990 में यह 15.2 फीसदी था. गैर-संचारी रोगों से जुड़े कई जोखिम कारक हैं. जैसे तंबाकू का सेवन, शराब का सेवन, अपर्याप्त शारीरिक गतिविधि और अस्वास्थ्यकर आहार है.-डॉ. भारती प्रवीण पवार, तत्कालीन, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में राज्य मंत्री, भारत सरकार

डॉ. भारती प्रवीण पवार ने लिखित उत्तर में बताया कि राष्ट्रीय एनसीडी निगरानी सर्वेक्षण (2017-18) के अनुसार 18-69 वर्ष के बीच एनसीडी से जुड़े जोखिम कारकों की व्यापकता का विवरण नीचे दिया गया है: जोखिम कारक व्यापकता दैनिक तंबाकू का सेवन 32.8 फीसदी, शराब का सेवन 15.9 फीसदी अपर्याप्त शारीरिक गतिविधियां 41.3 फीसदी, अपर्याप्त फल और/या सब्जियों का सेवन 98.4 फीसदी है.

2012 से 2019 तक भारत में हृदय प्रत्यारोपण का रुझान
संयुक्त राज्य सरकार की आधिकारिक वेबसाइट नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में गौरांग वैद्य के 'भारत में हृदय प्रत्यारोपण' शोध पत्र प्रकाशित है. हाल के वर्षों में भारत में हृदय प्रत्यारोपण की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है. 2014 में 53 हृदय प्रत्यारोपण से 2018 में 241 प्रत्यारोपण और 2019 में 187. लेख में दावा किया गया है कि 2018 में, विश्व स्वास्थ्य संगठन के सदस्य देशों में संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद भारत में दूसरे स्थान पर सबसे अधिक ठोस अंग प्रत्यारोपण हुआ.

ये भी पढ़ें

10 साल पहले महिला का हुआ था हृदय प्रत्यारोपण, अब जी रही है सामान्य जीवन

ऊपर लिखी गई खबरों में इन वेबसाइटों से जानकारी जुटाई गई है.

1. नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन

2. डॉ. भारती प्रवीण पवार

हैदराबादः हर साल 3 अगस्त को राष्ट्रीय हृदय प्रत्यारोपण दिवस मनाया जाता है. इसी दिन 2015 में महाराष्ट्र में पहली बार हार्ट ट्रांसप्लांट किया गया था. आधिकारिक तौर पर 2003 में पहली बार राष्ट्रीय हृदय प्रत्यारोपण दिवस का आयोजन किया गया था. 2003 में पहली बार तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के सरकारी आवास पर राष्ट्रीय हृदय प्रत्यारोपण दिवस मनाया गया था. इसी दौरान आधिकारिक तौर पर इस दिवस को मनाये जाने की घोषणा की गई. इसी दौरान उन्होंने एम्स के ऑर्गन रिट्रीवल बैंकिंग संगठन को राष्ट्रीय सुविधा घोषित करने को भी अपनी मंजूरी दी.

भारत में हृदय प्रत्यारोपण:
हृदय प्रत्यारोपण एक सर्जिकल प्रक्रिया है जो हृदय फेल होने की स्थिति में उपचार के लिए की जाती है. इसमें रोगग्रस्त या विफल हृदय को किसी मृत व्यक्ति या किसी ऐसे दाता से स्वस्थ हृदय से प्रतिस्थापित किया जाता है जो मेल खाता हो. यदि हृदय क्षतिग्रस्त या रोगग्रस्त है, तो रक्त शरीर के सभी अंगों तक नहीं पहुंच पाता है और व्यक्ति बहुत बीमार हो सकता है. हृदय क्षति विभिन्न कारकों के कारण हो सकती है. तीव्र हृदय विफलता वाले लोग आमतौर पर दवा का विकल्प चुनते हैं लेकिन पुरानी हृदय विफलता के मामले में, हृदय प्रत्यारोपण ही एकमात्र विकल्प है.

भारत में हार्ट अटैक के कारणों से होने वाली मौतों के बारे में सटीक जानकारी का अभाव है. इसके पीछे मुख्य कारण है कि अस्पतालों से बाहर होने वाली मौत का डेटा नहीं होता है. इस कारण सरकार/ स्वास्थ्य संगठनों के पास इस बारे में परफेक्ट डेटा नहीं है. अतारांकित प्रश्न के माध्यम से 10 फरवरी 2023 की देश के कई सांसदों ने तात्कालीन स्वास्थ्य मंत्रालय से देश में हार्ट अटैक के मामलों में सवाल उठाया था. इस पर सरकार की ओर से संसद में जवाब दिया था.

आईसीएमआर की अध्ययन रिपोर्ट-'भारत: राष्ट्र के राज्यों का स्वास्थ्य' के अनुसार 2016 में भारत में कुल मौतों में हृदय रोगों का योगदान 28.1 फीसदी था. जबकि 1990 में यह 15.2 फीसदी था. गैर-संचारी रोगों से जुड़े कई जोखिम कारक हैं. जैसे तंबाकू का सेवन, शराब का सेवन, अपर्याप्त शारीरिक गतिविधि और अस्वास्थ्यकर आहार है.-डॉ. भारती प्रवीण पवार, तत्कालीन, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में राज्य मंत्री, भारत सरकार

डॉ. भारती प्रवीण पवार ने लिखित उत्तर में बताया कि राष्ट्रीय एनसीडी निगरानी सर्वेक्षण (2017-18) के अनुसार 18-69 वर्ष के बीच एनसीडी से जुड़े जोखिम कारकों की व्यापकता का विवरण नीचे दिया गया है: जोखिम कारक व्यापकता दैनिक तंबाकू का सेवन 32.8 फीसदी, शराब का सेवन 15.9 फीसदी अपर्याप्त शारीरिक गतिविधियां 41.3 फीसदी, अपर्याप्त फल और/या सब्जियों का सेवन 98.4 फीसदी है.

2012 से 2019 तक भारत में हृदय प्रत्यारोपण का रुझान
संयुक्त राज्य सरकार की आधिकारिक वेबसाइट नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में गौरांग वैद्य के 'भारत में हृदय प्रत्यारोपण' शोध पत्र प्रकाशित है. हाल के वर्षों में भारत में हृदय प्रत्यारोपण की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है. 2014 में 53 हृदय प्रत्यारोपण से 2018 में 241 प्रत्यारोपण और 2019 में 187. लेख में दावा किया गया है कि 2018 में, विश्व स्वास्थ्य संगठन के सदस्य देशों में संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद भारत में दूसरे स्थान पर सबसे अधिक ठोस अंग प्रत्यारोपण हुआ.

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ऊपर लिखी गई खबरों में इन वेबसाइटों से जानकारी जुटाई गई है.

1. नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन

2. डॉ. भारती प्रवीण पवार

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