हैदराबाद : मानसून ब्लूज एक मानसिक स्थिति है जो मानसून के मौसम में व्यक्ति के मन व व्यवहार को प्रभावित कर सकती हैं. यह कोई मानसिक रोग नहीं होता है और ना ही ज्यादातर मामलों में यह किसी प्रकार की गंभीर अवस्था या समस्या का कारण बनता है. लेकिन कई लोगों में यह अस्थाई ही सही लेकिन कम या ज्यादा उदासी, आलस, अवसाद या व्यवहार संबंधी असहजताओं व परेशानियों का कारण बन सकता है. हालांकि जानकार मानते हैं कि सही जागरूकता और उपायों से इसे प्रभावी ढंग से प्रबंधित किया जा सकता है.
क्यों और कैसे परेशान करता है मानसून ब्लूज : मानसून का मौसम एक तरफ जहां सुहाना और रोमांटिक होता है, वहीं कुछ लोगों में इस मौसम में होने वाली लगातार बारिश अवसाद, अकेलापन, तनाव, चिड़चिड़ापन तथा आलस सहित कई अन्य समस्याओं का कारण भी बन जाती है. चिकित्सीय भाषा में इस अवस्था को मानसून ब्लूज कहा जाता है. जानकारों की मानें तो Monsoon Blues एक प्रकार का मौसम प्रभावी विकार (Seasonal Disorders OR Weather affective disorder ) है जो कई बार कुछ लोगों के मानसिक स्वास्थ्य व व्यवहार को प्रभावित कर सकता है.
क्या है मानसून ब्लूज है : What is Monsoon Blues
दिल्ली की मनोवैज्ञानिक डॉ रीना दत्ता (पीएचडी) बताती हैं कि मानसून ब्लूज़ एक सीजनल या मौसम प्रभावी विकार है जो लगातार बारिश होने की अवस्था में लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को कभी-कभी बहुत ज्यादा प्रभावित कर सकता है. यह कोई क्लीनिकल डिसऑर्डर नहीं है. लेकिन इसके चलते इसका सामना करने वाले लोगों में भावनात्मक व व्यवहारात्मक परेशानियां हो सकती हैं.
वह बताती हैं कि Monsoon के दौरान जब लगातार बारिश होती है तब लंबे समय तक सूर्य की रोशनी नहीं मिल पाती है.ऐसे में सूर्य के प्रकाश के संपर्क में कम रहने से तथा मौसम के प्रभाव में दिनचर्या, आहार या नींद के प्रभावित होने का कारण कई बार शरीर की सर्केडियन रिदम (Circadian Rhythm) प्रभावित होने लगती हैं जिसे आमतौर पर Monsoon Blues के लिए जिम्मेदार माना जाता है.
इस विकार से प्रभाव में आमतौर पर व्यक्ति लगातार उदासी, ऊर्जा की कमी, कोई भी काम ना करने की इच्छा, अनमनेपन का अनुभव, कम या अधिक नींद आना, नींद ना आना, भूख कम या ज्यादा लगना, कार्बोहाइड्रेट और शर्करा के प्रति लालसा या क्रेविंग बढ़ जाना, लोगों से बात ना करने का मन करना, अकेला रहने का मन करना, रोने का मन करना तथा सामाजिक दूरी महसूस करने जैसी समस्याएं महसूस करने लगते हैं.
कैसे करें बचाव व प्रबंधन
वह बताती हैं कि Monsoon ब्लूज़ के प्रभाव से बचने के लिए लिए जरूरी हैं कि मन को खुश रखने के प्रयास करें. इसके अलावा भी कुछ बातें हैं जिनका ध्यान रखना लाभकारी हो सकती है. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
- नियमित रूप से व्यायाम या वॉक करें. इससे शरीर में एंडोर्फिन का स्तर बढ़ता है, जिससे मूड बेहतर होता है. यदि बारिश ज्यादा हो तो घर के अंदर ही योगा या हल्का व्यायाम किया जा सकता है.
- स्वस्थ व संतुलित आहार को भोजन में प्राथमिकता दें. जिसमें फल, सब्जियाँ, और प्रोटीन शामिल हों. वहीं इस मौसम में कार्बोहाइड्रेट और शर्करा की क्रेविंग या खाने की इच्छा को नियंत्रित रखने तथा इस प्रकार के आहार का ज्यादा मात्रा में सेवन ना करने का प्रयास करें.
- ऐसी गतिविधियों का हिस्सा बने जो मनोरंजन करें व मन को खुश करें. जैसे पढ़ना, संगीत सुनना, फिल्में देखना, कॉमेडी शो देखना आदि. इसके अलावा अपनी हॉबी के लिए भी समय निकले.
- परिजनों व दोस्तों से बात करें और उनके साथ समय बिताएं.
- बारिश के बीच जब भी सूरज निकले कुछ समय सूर्य की रोशनी में बिताने का प्रयास करें. घर की खिड़कियां और दरवाजे खोलें ताकि अधिकतम रोशनी अंदर आ सके.
डॉ रीना दत्ता बताती हैं कि इन सब प्रयासों के बावजूद यदि अवसाद ज्यादा प्रभाव में ले रहा हो या अन्य कार्य व व्यवहार से जुड़ी परेशानियां महसूस हो रही हों तो मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से जरूर परामर्श लें.विशेष तौर पर ऐसे लोग जो पहले से अवसाद/ डिप्रेशन अथवा किसी अन्य प्रकार की मानसिक समस्या का सामना कर रहे हैं और उनमें अगर इस अवस्था का प्रभाव ज्यादा नजर आ रहा हो तो, उन्हे चिकित्सक से परामर्श जरूर लेना चाहिए, तथा उनके द्वारा बताई गई सावधानियों व निर्देशों का पालन करना चाहिए. Monsoon Blues Symptoms , Mental Health In Rainy Season , Health Tips For Monsoon , Mental Health . Monsoon Health Tips . Seasonal Disorders , Disorders , weather affective disorder , weather disorder . Seasonal Disorder Monsoon Blues Symptoms
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