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खुलासा: प्रेग्नेंट महिलाओं में शुगर नहीं बनेगा बाधक, फर्स्ट स्टेज से ही होगा बचाव - Diabetes In Pregnant Women

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jun 22, 2024, 2:51 PM IST

Diabetes In Pregnant Women: वैज्ञानिकों का कहना है कि गर्भवती महिलाओं में मधुमेह एक बड़ी समस्या है. दुनिया भर में ऐसे मामले बढ़ रहे हैं. लेकिन एक शोध में पता चला है कि प्रेगनेंसी के दौरान शुरुआती चरण में मधुमेह को नियंत्रित करने से कई स्वास्थ्य समस्याओं से बचा जा सकता है. पढ़ें खबर...

DIABETES IN PREGNANT WOMEN
गर्भवतियों में शुगर का जल्द इलाज बेहतर (IANS)

हैदराबाद: गर्भावस्था के दौरान प्रेग्नेंट मह‍िला को कई कठिनाइयों से गुजरना पड़ता है. प्रेग्नेंसी में शुगर का लेवल बढ़ने से जेस्‍टेशनल डायब‍िटीज की समस्‍या होती है. इस बीमारी के कारण ड‍िलीवरी के दौरान रिस्क ज्यादा बढ़ सकता है. अगर इस डायब‍िटीज का इलाज न क‍िया जाए, तो होने वाले श‍िशु की जान भी जोखिम में पड़ सकती है.

गर्भ में बढ़ते बच्चे पर रहता है खतरा
मधुमेह एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता है, या इंसुलिन का सामान्य रूप से उपयोग नहीं कर पाता है. इंसुलिन एक हार्मोन है. यह रक्त में ग्लूकोज को शरीर की कोशिकाओं में फ्यूल के रूप में उपयोग करने में मदद करता है. जब ग्लूकोज कोशिकाओं में प्रवेश नहीं कर पाता है, तो यह रक्त में जमा हो जाता है. इससे हाई ब्लड शुगर (हाइपरग्लाइसेमिया) होता है.

हाई ब्लड शुगर पूरे शरीर में समस्याएं पैदा होने की संभावना बनी रहती है. यह ब्लड वेसल्स और नसों को भी नुकसान पहुंचा सकता है. यह आंखों, गुर्दे और हृदय को प्रभावित कर सकता है. वहीं, गर्भावस्था की शुरुआत में, हाई ब्लड शुगर बढ़ते बच्चे में जन्म दोष पैदा कर सकता है.

दो तरह के होते है डायबिटीज
कुछ महिलाओं को गर्भवती होने से पहले ही मधुमेह हो जाता है. इसे प्रीजेस्टेशनल डायबिटीज कहते हैं. दूसरी महिलाओं को एक प्रकार का मधुमेह हो सकता है जो केवल गर्भावस्था में होता है. इसे जेस्टेशनल डायबिटीज कहते हैं. गर्भावस्था के दौरान महिला के शरीर में ग्लूकोज का उपयोग करने का तरीका बदल सकता है. इससे मधुमेह और भी खराब हो सकता है या जेस्टेशनल डायबिटीज हो सकता है.

गर्भावस्था के दौरान, प्लेसेंटा नामक अंग बढ़ते हुए बच्चे को पोषक तत्व और ऑक्सीजन देता है. प्लेसेंटा हार्मोन भी बनाता है. गर्भावस्था के अंतिम चरण में, एस्ट्रोजन, कोर्टिसोल और ह्यूमन प्लेसेंटल लैक्टोजेन हार्मोन इंसुलिन को ब्लॉक कर सकते हैं. जब इंसुलिन ब्लॉक हो जाता है, तो इसे इंसुलिन प्रतिरोध कहा जाता है. ग्लूकोज शरीर की कोशिकाओं में नहीं जा सकता. ग्लूकोज रक्त में रहता है और रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ाता है.

क्या कहना है वैज्ञानिकों का
इस बीच, वैज्ञानिकों का कहना है कि प्रेगनेंसी के दौरान शुरुआती चरण में मधुमेह को नियंत्रित करने से कई स्वास्थ्य समस्याओं से बचा जा सकता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, मधुमेह को नियंत्रित करने से प्रेगनेंट महिलाएं बच्चे को बिना किसी जोखिम के जन्म दे सकती हैं. मतलब उनकी डिलीवरी का रास्ता आसान हो सकता है.

वैज्ञानिकों ने यह जानकारी एक शोध के माध्यम से इकट्ठा की है. यह शोध अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की एक टीम ने किया है. इसमें भारत में एम्स के शोधकर्ताओं ने भी हिस्सा लिया था.

मधुमेह एक बड़ी समस्या
वैज्ञानिकों का कहना है कि गर्भवती महिलाओं में मधुमेह एक बड़ी समस्या है. दुनिया भर में ऐसे मामले बढ़ रहे हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि इसका मुख्य कारण मोटापा है. बताया जाता है कि हर सात में से एक गर्भवती महिला को यह समस्या हो रही है. गर्भावस्था के छह महीने बाद महिलाओं का स्वास्थ्य जांच और उपचार किया जाता है. ऐसे में वक्त पर उपचार ना मिलने पर उनमें हाई ब्लड प्रेशर सिजेरियन डिलीवरी और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है. वैज्ञानिकों का दावा है कि इससे बच्चे को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं.

इस शोध में जो मुख्य बातें सामने आई है उनमें यह है कि...

  • महिलाओं मे मधुमेह की जड़ें गर्भावस्था से पहले से हो सकती हैं. गर्भावस्था के 14 सप्ताह के भीतर मेटाबॉलिज्म में होने वाले ये बदलाव महसूस किए जा सकते हैं.
  • मधुमेह से पीड़ित 30-70 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं में पहले 20 सप्ताह में हाई ब्लड शुगर होता है. गर्भधारण के बाद थोड़ी देर बाद इस विकार से पीड़ित महिलाओं की तुलना में उन्हें अधिक स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं.
  • मधुमेह का इलाज न करवाने वाली महिलाओं में समय से पहले प्रसव का जोखिम 51 प्रतिशत अधिक होता है. साथ ही, उन्हें शल्य चिकित्सा द्वारा प्रसव करवाने की संभावना 16 प्रतिशत अधिक होती है.
  • ऐसी महिला को भविष्य में टाइप-2 मधुमेह होने का जोखिम 10 प्रतिशत अधिक होता है. उन्हें हाई ब्लड प्रेशर, फैटी लीवर और हृदय रोग का भी उच्च जोखिम होता है.

गर्भावस्था के दौरान मधुमेह का इलाज कैसे किया जाता है?
इलाज आपके लक्षणों, आपकी उम्र और आपके सामान्य स्वास्थ्य पर निर्भर करेगा. यह इस बात पर भी निर्भर करेगा कि स्थिति कितनी गंभीर है. हाई ब्लड शुगर के लेवल को सामान्य सीमा में रखने के लिए-

  1. कम मात्रा में कार्बोहाइड्रेट वाले खाद्य पदार्थ और पेय पदार्थों के साथ सावधानीपूर्वक आहार
  2. व्यायाम
  3. रक्त शर्करा की निगरानी
  4. इंसुलिन इंजेक्शन
  5. हाइपोग्लाइसीमिया के लिए ओरल दवाएं

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हैदराबाद: गर्भावस्था के दौरान प्रेग्नेंट मह‍िला को कई कठिनाइयों से गुजरना पड़ता है. प्रेग्नेंसी में शुगर का लेवल बढ़ने से जेस्‍टेशनल डायब‍िटीज की समस्‍या होती है. इस बीमारी के कारण ड‍िलीवरी के दौरान रिस्क ज्यादा बढ़ सकता है. अगर इस डायब‍िटीज का इलाज न क‍िया जाए, तो होने वाले श‍िशु की जान भी जोखिम में पड़ सकती है.

गर्भ में बढ़ते बच्चे पर रहता है खतरा
मधुमेह एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता है, या इंसुलिन का सामान्य रूप से उपयोग नहीं कर पाता है. इंसुलिन एक हार्मोन है. यह रक्त में ग्लूकोज को शरीर की कोशिकाओं में फ्यूल के रूप में उपयोग करने में मदद करता है. जब ग्लूकोज कोशिकाओं में प्रवेश नहीं कर पाता है, तो यह रक्त में जमा हो जाता है. इससे हाई ब्लड शुगर (हाइपरग्लाइसेमिया) होता है.

हाई ब्लड शुगर पूरे शरीर में समस्याएं पैदा होने की संभावना बनी रहती है. यह ब्लड वेसल्स और नसों को भी नुकसान पहुंचा सकता है. यह आंखों, गुर्दे और हृदय को प्रभावित कर सकता है. वहीं, गर्भावस्था की शुरुआत में, हाई ब्लड शुगर बढ़ते बच्चे में जन्म दोष पैदा कर सकता है.

दो तरह के होते है डायबिटीज
कुछ महिलाओं को गर्भवती होने से पहले ही मधुमेह हो जाता है. इसे प्रीजेस्टेशनल डायबिटीज कहते हैं. दूसरी महिलाओं को एक प्रकार का मधुमेह हो सकता है जो केवल गर्भावस्था में होता है. इसे जेस्टेशनल डायबिटीज कहते हैं. गर्भावस्था के दौरान महिला के शरीर में ग्लूकोज का उपयोग करने का तरीका बदल सकता है. इससे मधुमेह और भी खराब हो सकता है या जेस्टेशनल डायबिटीज हो सकता है.

गर्भावस्था के दौरान, प्लेसेंटा नामक अंग बढ़ते हुए बच्चे को पोषक तत्व और ऑक्सीजन देता है. प्लेसेंटा हार्मोन भी बनाता है. गर्भावस्था के अंतिम चरण में, एस्ट्रोजन, कोर्टिसोल और ह्यूमन प्लेसेंटल लैक्टोजेन हार्मोन इंसुलिन को ब्लॉक कर सकते हैं. जब इंसुलिन ब्लॉक हो जाता है, तो इसे इंसुलिन प्रतिरोध कहा जाता है. ग्लूकोज शरीर की कोशिकाओं में नहीं जा सकता. ग्लूकोज रक्त में रहता है और रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ाता है.

क्या कहना है वैज्ञानिकों का
इस बीच, वैज्ञानिकों का कहना है कि प्रेगनेंसी के दौरान शुरुआती चरण में मधुमेह को नियंत्रित करने से कई स्वास्थ्य समस्याओं से बचा जा सकता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, मधुमेह को नियंत्रित करने से प्रेगनेंट महिलाएं बच्चे को बिना किसी जोखिम के जन्म दे सकती हैं. मतलब उनकी डिलीवरी का रास्ता आसान हो सकता है.

वैज्ञानिकों ने यह जानकारी एक शोध के माध्यम से इकट्ठा की है. यह शोध अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की एक टीम ने किया है. इसमें भारत में एम्स के शोधकर्ताओं ने भी हिस्सा लिया था.

मधुमेह एक बड़ी समस्या
वैज्ञानिकों का कहना है कि गर्भवती महिलाओं में मधुमेह एक बड़ी समस्या है. दुनिया भर में ऐसे मामले बढ़ रहे हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि इसका मुख्य कारण मोटापा है. बताया जाता है कि हर सात में से एक गर्भवती महिला को यह समस्या हो रही है. गर्भावस्था के छह महीने बाद महिलाओं का स्वास्थ्य जांच और उपचार किया जाता है. ऐसे में वक्त पर उपचार ना मिलने पर उनमें हाई ब्लड प्रेशर सिजेरियन डिलीवरी और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है. वैज्ञानिकों का दावा है कि इससे बच्चे को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं.

इस शोध में जो मुख्य बातें सामने आई है उनमें यह है कि...

  • महिलाओं मे मधुमेह की जड़ें गर्भावस्था से पहले से हो सकती हैं. गर्भावस्था के 14 सप्ताह के भीतर मेटाबॉलिज्म में होने वाले ये बदलाव महसूस किए जा सकते हैं.
  • मधुमेह से पीड़ित 30-70 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं में पहले 20 सप्ताह में हाई ब्लड शुगर होता है. गर्भधारण के बाद थोड़ी देर बाद इस विकार से पीड़ित महिलाओं की तुलना में उन्हें अधिक स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं.
  • मधुमेह का इलाज न करवाने वाली महिलाओं में समय से पहले प्रसव का जोखिम 51 प्रतिशत अधिक होता है. साथ ही, उन्हें शल्य चिकित्सा द्वारा प्रसव करवाने की संभावना 16 प्रतिशत अधिक होती है.
  • ऐसी महिला को भविष्य में टाइप-2 मधुमेह होने का जोखिम 10 प्रतिशत अधिक होता है. उन्हें हाई ब्लड प्रेशर, फैटी लीवर और हृदय रोग का भी उच्च जोखिम होता है.

गर्भावस्था के दौरान मधुमेह का इलाज कैसे किया जाता है?
इलाज आपके लक्षणों, आपकी उम्र और आपके सामान्य स्वास्थ्य पर निर्भर करेगा. यह इस बात पर भी निर्भर करेगा कि स्थिति कितनी गंभीर है. हाई ब्लड शुगर के लेवल को सामान्य सीमा में रखने के लिए-

  1. कम मात्रा में कार्बोहाइड्रेट वाले खाद्य पदार्थ और पेय पदार्थों के साथ सावधानीपूर्वक आहार
  2. व्यायाम
  3. रक्त शर्करा की निगरानी
  4. इंसुलिन इंजेक्शन
  5. हाइपोग्लाइसीमिया के लिए ओरल दवाएं

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