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वायु प्रदूषण से निपटने के लिए इन शहरों के सफल मॉडल के समान योजना बनाई जाए : विशेषज्ञ - Delhi aqi

सरे विश्वविद्यालय के प्रोफेसर प्रशांत कुमार ने इस बात पर जोर दिया कि वायु प्रदूषण शहर की सीमाओं को पार कर जाता है जिसके लिए क्षेत्रीय दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है. मेक्सिको सिटी और लॉस एंजिलिस में सफल मॉडल के समान क्षेत्रीय वायु गुणवत्ता योजनाएं बनाने का प्रस्ताव करता है

air pollution prevention tips
वायु प्रदूषण
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By PTI

Published : Jan 24, 2024, 1:02 PM IST

Updated : Jan 24, 2024, 1:33 PM IST

नयी दिल्ली : विशेषज्ञों का कहना है कि वायु प्रदूषण से निपटने के लिए वर्तमान में अपनाए जा रहे शहरी-केंद्रित उपायों में ग्रामीण स्रोतों की अनदेखी की गई है. विशेषज्ञों ने मेक्सिको सिटी और लॉस एंजिलिस में सफल मॉडल से प्रेरित होकर क्षेत्रीय वायु गुणवत्ता योजनाएं बनाने की सलाह दी है. इंग्लैंड के सरे विश्वविद्यालय और दिल्ली के क्षेत्रीय सरकारी अधिकारियों के बीच एक सहयोगात्मक प्रयास के दौरान ग्रामीण स्रोतों जैसे फसल जलाने, लकड़ी के चूल्हे और बिजली संयंत्रों को शहरी धुंध के प्रमुख योगदानकर्ताओं के रूप में पहचाना गया है.

सरे विश्वविद्यालय में ग्लोबल सेंटर फॉर क्लीन एयर रिसर्च (जीसीएआरई) के निदेशक प्रोफेसर प्रशांत कुमार ने इस बात पर जोर दिया कि वायु प्रदूषण शहर की सीमाओं को पार कर जाता है जिसके लिए क्षेत्रीय दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है. कुमार और दिल्ली के विशेषज्ञों के एक अध्ययन में कहा गया है कि वर्तमान शहरी-केंद्रित उपाय जैसे कि सार्वजनिक परिवहन को बढ़ाना या औद्योगिक उत्सर्जन को नियंत्रित करना, इन ग्रामीण स्रोतों की अनदेखी करते हैं.

जीसीएआरई मेक्सिको सिटी और लॉस एंजिलिस में सफल मॉडल के समान क्षेत्रीय वायु गुणवत्ता योजनाएं बनाने का प्रस्ताव करता है. निगरानी बढ़ाने के लिए विशेषज्ञ प्रदूषण स्रोतों का पता लगाने और मौसम की स्थिति के पारस्परिक प्रभाव का अनुमान करने के लिए उपग्रह प्रौद्योगिकी का उपयोग करके ''धुंध पूर्वानुमान'' उत्पन्न करने का सुझाव देते हैं. स्थानीय, क्षेत्रीय और संघीय एजेंसियों के बीच समन्वय की सुविधा के लिए ''एयरशेड काउंसिल'' की स्थापना का भी प्रस्ताव है. अध्ययन के लेखकों में से एक दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के अनवर अली खान ने सहयोगात्मक कार्रवाई में पड़ोसी राज्यों की महत्वपूर्ण भूमिका, वैज्ञानिक रूप से सुदृढ़ कार्य योजना की आवश्यकता और बेहतर निगरानी पर जोर दिया.

नयी दिल्ली : विशेषज्ञों का कहना है कि वायु प्रदूषण से निपटने के लिए वर्तमान में अपनाए जा रहे शहरी-केंद्रित उपायों में ग्रामीण स्रोतों की अनदेखी की गई है. विशेषज्ञों ने मेक्सिको सिटी और लॉस एंजिलिस में सफल मॉडल से प्रेरित होकर क्षेत्रीय वायु गुणवत्ता योजनाएं बनाने की सलाह दी है. इंग्लैंड के सरे विश्वविद्यालय और दिल्ली के क्षेत्रीय सरकारी अधिकारियों के बीच एक सहयोगात्मक प्रयास के दौरान ग्रामीण स्रोतों जैसे फसल जलाने, लकड़ी के चूल्हे और बिजली संयंत्रों को शहरी धुंध के प्रमुख योगदानकर्ताओं के रूप में पहचाना गया है.

सरे विश्वविद्यालय में ग्लोबल सेंटर फॉर क्लीन एयर रिसर्च (जीसीएआरई) के निदेशक प्रोफेसर प्रशांत कुमार ने इस बात पर जोर दिया कि वायु प्रदूषण शहर की सीमाओं को पार कर जाता है जिसके लिए क्षेत्रीय दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है. कुमार और दिल्ली के विशेषज्ञों के एक अध्ययन में कहा गया है कि वर्तमान शहरी-केंद्रित उपाय जैसे कि सार्वजनिक परिवहन को बढ़ाना या औद्योगिक उत्सर्जन को नियंत्रित करना, इन ग्रामीण स्रोतों की अनदेखी करते हैं.

जीसीएआरई मेक्सिको सिटी और लॉस एंजिलिस में सफल मॉडल के समान क्षेत्रीय वायु गुणवत्ता योजनाएं बनाने का प्रस्ताव करता है. निगरानी बढ़ाने के लिए विशेषज्ञ प्रदूषण स्रोतों का पता लगाने और मौसम की स्थिति के पारस्परिक प्रभाव का अनुमान करने के लिए उपग्रह प्रौद्योगिकी का उपयोग करके ''धुंध पूर्वानुमान'' उत्पन्न करने का सुझाव देते हैं. स्थानीय, क्षेत्रीय और संघीय एजेंसियों के बीच समन्वय की सुविधा के लिए ''एयरशेड काउंसिल'' की स्थापना का भी प्रस्ताव है. अध्ययन के लेखकों में से एक दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के अनवर अली खान ने सहयोगात्मक कार्रवाई में पड़ोसी राज्यों की महत्वपूर्ण भूमिका, वैज्ञानिक रूप से सुदृढ़ कार्य योजना की आवश्यकता और बेहतर निगरानी पर जोर दिया.

Last Updated : Jan 24, 2024, 1:33 PM IST
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