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26 वर्षीय अनीश दुनिया से जाते-जाते 4 लोगों को दे गया नई जिंदगी, AIIMS में ऐसे हुए ऑर्गन ट्रांसप्लांट - Aiims Organ Transplant - AIIMS ORGAN TRANSPLANT

दिल्ली के एम्स अस्पताल में 26 साल के अनीश ने 4 लोगों को नई जिंदगी दी है. एक सड़क हादसे में ब्रेन डेड घोषित होने के बाद अनीश के पिता और परिवार ने उसके अंगों को दान करने का फैसला किया. जिसे 4 अन्य लोगों के शरीर में सक्सेसफुली ट्रांसप्लांट कर दिया गया है.

AIIMS में ऐसे हुए ऑर्गन ट्रांसप्लांट
AIIMS में ऐसे हुए ऑर्गन ट्रांसप्लांट (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Aug 31, 2024, 10:40 PM IST

नई दिल्ली: 26 साल के अनीश बनर्जी जीते जी तो समाज सेवा में लगकर लोगों के लिए रक्तदान करते रहे. वहीं, मरने के बाद भी अपने अंगों से चार लोगों को नया जीवन दे गए. दअसल, एक सड़क दुर्घटना में अनीश गंभीर चोट लगने से घायल हो गए. इसके बाद उन्हें एम्स के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया. यहां पर कुछ दिन इलाज के बाद 29 अगस्त को डॉक्टरों ने उन्हें ब्रेनडेड घोषित कर दिया. इसके बाद परिजनों ने उनकी समाज सेवा करने की आदत और लोगों के काम आने की प्रवृत्ति को देखते हुए उनके अंगदान करने का फैसला किया.

अनीश का परिवार दिल्ली में ही रहता है. वह बंगाल के रहने वाले हैं. परिजनों की सहमति से एम्स के डॉक्टरों ने अनीश के अंगों को अन्य गंभीर स्थिति से गुजर रहे मरीजों में प्रत्यारोपित कर उनकी जिंदगी बचाई. अनीश का हार्ट एम्स में ही एक मरीज में प्रत्यारोपित किया गया, जबकि लिवर आर्मी हॉस्पिटल रिसर्च एंड रैफरल में एक मरीज को दिया गया. इसके अलावा दोनों किडनी में से एक को एम्स में और दूसरी को सफदरजंग अस्पताल के मरीज में ट्रांसप्लांट किया गया.

एम्स के ऑर्गन रिट्रीवल एंड बैंकिंग ऑर्गेनाइजेशन (ऑर्बो) की चेयरपर्सन प्रोफेसर आरती विज ने अंगदान के लिए अनीश के परिजनों की प्रशंसा करते हुए कहा कि परिवार ने जिस साहस, समर्पण और निस्वार्थ भाव से अनीस के अंगों का दान किया है, उससे चार ऐसे लोगों को नई जिंदगी मिली है. प्रोफेसर विज ने कहा कि इस तरह के अंगदान के प्रेरक प्रसंग से दूसरे लोगों को भी सीख लेनी चाहिए. अंगदान एक ऐसा दान है जो दूसरे लोगों को जिंदगी देने के साथ ही अंग देने वाले व्यक्ति को भी लोगों के दिलों में जिंदा रखना है.

परिवार ने कुछ इस तरह बयां किया दर्द: अनीश के पिता अविजित बनर्जी ने अपने दुख दर्द को साझा करते हुए बताया कि उसका स्वभाव एक मददगार इंसान वाला था. वह हमेशा ब्लड डोनेट भी करता था. उसके निस्वार्थ भाव ने ही हमें उसके अंगदान करने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने श्रद्धांजलि स्वरूप अपने बेटे के लिए कुछ पंक्तियां भी लिखी. उन्होंने लिखा "प्रिय, मुनु तुम हमारे जीवन का सबसे सुंदर आशीर्वाद थे. तुम्हारे जाने से हमारी जिंदगी में जो खालीपन आया है उसे कोई नहीं भर सकता. तुम्हारे प्यार और दूसरों की मदद करने की तुम्हारी दयालुता और तुम्हारी मुस्कान को जानने वाले लोगों के दिलों में तुम हमेशा धड़कते रहोगे."

नई दिल्ली: 26 साल के अनीश बनर्जी जीते जी तो समाज सेवा में लगकर लोगों के लिए रक्तदान करते रहे. वहीं, मरने के बाद भी अपने अंगों से चार लोगों को नया जीवन दे गए. दअसल, एक सड़क दुर्घटना में अनीश गंभीर चोट लगने से घायल हो गए. इसके बाद उन्हें एम्स के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया. यहां पर कुछ दिन इलाज के बाद 29 अगस्त को डॉक्टरों ने उन्हें ब्रेनडेड घोषित कर दिया. इसके बाद परिजनों ने उनकी समाज सेवा करने की आदत और लोगों के काम आने की प्रवृत्ति को देखते हुए उनके अंगदान करने का फैसला किया.

अनीश का परिवार दिल्ली में ही रहता है. वह बंगाल के रहने वाले हैं. परिजनों की सहमति से एम्स के डॉक्टरों ने अनीश के अंगों को अन्य गंभीर स्थिति से गुजर रहे मरीजों में प्रत्यारोपित कर उनकी जिंदगी बचाई. अनीश का हार्ट एम्स में ही एक मरीज में प्रत्यारोपित किया गया, जबकि लिवर आर्मी हॉस्पिटल रिसर्च एंड रैफरल में एक मरीज को दिया गया. इसके अलावा दोनों किडनी में से एक को एम्स में और दूसरी को सफदरजंग अस्पताल के मरीज में ट्रांसप्लांट किया गया.

एम्स के ऑर्गन रिट्रीवल एंड बैंकिंग ऑर्गेनाइजेशन (ऑर्बो) की चेयरपर्सन प्रोफेसर आरती विज ने अंगदान के लिए अनीश के परिजनों की प्रशंसा करते हुए कहा कि परिवार ने जिस साहस, समर्पण और निस्वार्थ भाव से अनीस के अंगों का दान किया है, उससे चार ऐसे लोगों को नई जिंदगी मिली है. प्रोफेसर विज ने कहा कि इस तरह के अंगदान के प्रेरक प्रसंग से दूसरे लोगों को भी सीख लेनी चाहिए. अंगदान एक ऐसा दान है जो दूसरे लोगों को जिंदगी देने के साथ ही अंग देने वाले व्यक्ति को भी लोगों के दिलों में जिंदा रखना है.

परिवार ने कुछ इस तरह बयां किया दर्द: अनीश के पिता अविजित बनर्जी ने अपने दुख दर्द को साझा करते हुए बताया कि उसका स्वभाव एक मददगार इंसान वाला था. वह हमेशा ब्लड डोनेट भी करता था. उसके निस्वार्थ भाव ने ही हमें उसके अंगदान करने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने श्रद्धांजलि स्वरूप अपने बेटे के लिए कुछ पंक्तियां भी लिखी. उन्होंने लिखा "प्रिय, मुनु तुम हमारे जीवन का सबसे सुंदर आशीर्वाद थे. तुम्हारे जाने से हमारी जिंदगी में जो खालीपन आया है उसे कोई नहीं भर सकता. तुम्हारे प्यार और दूसरों की मदद करने की तुम्हारी दयालुता और तुम्हारी मुस्कान को जानने वाले लोगों के दिलों में तुम हमेशा धड़कते रहोगे."

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