सरगुजा : मध्यप्रदेश राज्य में विचरण कर रहे हाथियों के शरीर में जानलेवा वायरस होने की जानकारी सामने आई है. मध्यप्रदेश के पांच हाथी ईईएचवी एसडी वायरस से ग्रसित हैं.जिसके बाद अब छत्तीसगढ़ के हाथियों में भी इस वायरस के आने का खतरा मंडराने लगा है.आपको बता दें कि ये वायरस मुख्यत: अफ्रीकन नस्ल के हाथियों में पाया जाता है. जिसे एशियन हाथियों में हर्पिस के नाम से जाना जाता है.
युवा हाथियों के ऊपर मंडराया खतरा : हर्पिस वायरस के प्रकोप से हाथियों के शावक और युवा हाथी प्रभावित होते हैं. बड़े हाथियों में इसका खास असर नहीं होता है. इस वायरस के कारण हाथियों के शरीर मे खून के थक्के जम जाते हैं. नसों और चमड़ियों के फटने से खून का रिसाव होता है. बड़ी बात ये है कि अब तक इस वायरस का कोई टीका उपलब्ध नही है.
सरगुजा और बिलासपुर संभाग में सबसे ज्यादा हाथी : छत्तीसगढ़ के जंगलों में करीब 300 से 320 हाथी हैं. इनमें सबसे अधिक हाथी उत्तर छत्तीसगढ़ यानी सरगुजा और बिलासपुर संभाग के जंगलों में हैं. सरगुजा में करीब 120 और बिलासपुर क्षेत्र में 130 हाथियों का आवागमन बना रहता है. ये दोनों ही क्षेत्र मध्यप्रदेश की सीमा से लगे हैं. ऐसे में एलिफेंट रिजर्व और रेस्क्यू सेंटर के अधिकारी अलर्ट हैं. सरगुजा में उच्च कार्यालय से निर्देश प्राप्त हो चुके हैं कि हाथियों में वायरस जांच के लिए सैंपल लिए जाएं.
''वायरस के पुष्टि के बाद हाथियों को आइसोलेट किया गया है. प्रभावित हाथी सतपुड़ा टाइगर रिजर्व और कान्हा नेशनल पार्क में मौजूद है. ऐसे में सरगुजा संभाग एमपी से लगा हुआ है. ये वायरस सरगुजा संभाग के हाथियों को भी प्रभावित कर सकता है".- अमलेंदु मिश्र, हाथी विशेषज्ञ
इस विषय पर एलिफेंट रिजर्व के उप संचालक श्री निवास तन्नेटी का कहना है कि "उच्च कार्यालय से निर्देश प्राप्त हुए हैं, छत्तीसगढ़ में भी इसके बचाव को लेकर सर्कुलर जारी किया गया है.
''छत्तीसगढ़ के हाथियों में अब तक इसकी पुष्टि नहीं हुई है. एहतियात के तौर पर हाथियों के सैम्पल लिए जाएंगे.फिर उन्हें परीक्षण के लिए भी भेजा जाएगा, ऐसे किसी वायरस की पुष्टि होती है तो प्रोटोकॉल का पालन किया जाएगा"- श्रीनिवास तन्नेटी, उपसंचालक,एलिफेंट रिजर्व
आपको बता दें कि मध्यप्रदेश के हाथियों में वायरस मिलने की खबर ने छत्तीसगढ़ के अधिकारियों को भी अलर्ट कर दिया है. क्योंकि जंगली हाथियों के साथ ही तमोर पिंगला अभ्यारण में 8 हाथी प्रशिक्षण केंद्र में है. ऐसे में विभाग जल्द ही इनके सैम्पल भेजने की तैयारी कर रहा है. ताकि हाथियों को जानलेवा बीमारी से बचाया जा सके.