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कैंसर जैसी घातक बीमारी से बचा सकता है मछली का तेल, रिसर्च में हुआ खुलासा

फिश ऑइल सप्लीमेंट्स में पाए जाने वाले ओमेगा 3 और ओमेगा 6 फैटी एसिड कई तरह के कैंसर को रोकने में मदद कर सकते हैं...

Consuming fish oil supplements can help prevent cancer: Research
कैंसर जैसी घातक बीमारी से बचा सकता है मछली का तेल, रिसर्च में हुआ खुलासा (PEXELS)
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By ETV Bharat Health Team

Published : Nov 21, 2024, 3:39 PM IST

ओमेगा-6 फैटी एसिड एक प्रकार का फैट है जिसे पॉलीअनसेचुरेटेड फैट कहा जाता है. ओमेगा-6 फैटी एसिड वनस्पति तेलों, मेवों और बीजों में पाए जाते हैं. शरीर को फैटी एसिड की जरूरत होती है, जिसे आवश्यक फैटी एसिड कहा जाता है. यह अपनी जरूरत के ज्यादातर फैटी एसिड बना सकता है. लेकिन शरीर लिनोलेनिक एसिड नहीं बना सकता, जो एक जरूरी फैटी एसिड है जिसमें ओमेगा-6 फैटी एसिड शामिल है. स्वस्थ आहार शरीर के लिए ओमेगा-6 फैटी एसिड का मुख्य स्रोत है.

ओमेगा-6 फैटी एसिड हार्ट हेल्थ के लिए अच्छे हो सकते हैं और हार्ट डिजीज से बचाव करते हैं. ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड कैंसर के विभिन्न प्रकारों से सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं. हाल ही में हुए एक शोध में कैंसर से बचाव में फिश ऑइल सप्लीमेंट्स जिनमें ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड होते हैं, की भूमिका तथा इनके बीच के संबंध को लेकर अध्ययन किया गया था. जानिए इसमें क्या यह बात सामने आई है...

फिश ऑइल सप्लीमेंट्स का सेवन कैंसर से बचाव में कर सकता है मदद: शोध
ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड को सेहत के लिए काफी लाभकारी माना जाता है. चिकित्सकों की माने तो ये फैटी एसिड सेहत को दुरुस्त रखने के साथ कई समस्याओं से बचाव में भी मदद करते हैं. पिछले कुछ सालों में ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड के सेहत पर प्रभाव तथा रोगों से बचाव में भूमिका को लेकर काफ़ी अध्ययन किए गए हैं. इसी श्रृंखला में हाल ही में, जॉर्जिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन प्रकाशित किया है जो बताता है कि फिश ऑइल सप्लीमेंट्स जिनमें ये दोनों आवश्यक फैटी एसिड पाए जाते हैं,कैंसर के विभिन्न प्रकारों से सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं.

अंतर्राष्ट्रीय कैंसर जर्नल में प्रकाशित हुए इस अध्ययन में मुख्य रूप से ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड और कैंसर के बीच संबंध पर ध्यान केंद्रित किया गया था.

अध्ययन का उद्देश्य
गौरतलब है कि पिछले कुछ सालों में ओमेगा-3 और ओमेगा-6 के सेहत के लिए फायदों को जानने के लिए देश-विदेश में कई अलग-अलग अध्ययन किए गए हैं. जिनमें इन तथ्यों की पुष्टि हुई है कि यह दोनों ही दिल की बीमारियों, आंखों की सेहत और टाइप 2 डायबिटीज सहित कई अवस्थाओं में काफी फायदेमंद हो सकते हैं.

लेकिन हाल ही में प्रकाशित हुए इस अध्ययन में विशेष रूप से इन फैटी एसिड्स के कैंसर से जुड़े प्रभावों पर ध्यान केंद्रित किया था. इस अध्ययन का उद्देश्य यह समझना था कि कैसे ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड शरीर में कैंसर के जोखिम को कम करने में सहायक हो सकते हैं.

इस शोध के लिए जॉर्जिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने 10 वर्षों से अधिक समय तक 2.5 लाख से अधिक लोगों के मेडिकल डेटा का विश्लेषण किया. वहीं इस शोध में यूके बायो बैंक के 5 लाख से अधिक प्रतिभागियों के डेटा को भी शामिल किया गया था, जिनके ब्लड में ओमेगा-3 और ओमेगा-6 की मात्रा मापी गई थी.

शोध के परिणाम और लाभ
शोध के दौरान पाया गया कि जिन प्रतिभागियों के रक्त में ओमेगा-3 की मात्रा अधिक थी, उनमें पेट, फेफड़े और पाचन तंत्र से जुड़े कैंसर का जोखिम कम था. इसी तरह, उच्च ओमेगा-6 स्तर वाले प्रतिभागियों में मस्तिष्क, थायरॉयड, किडनी, मूत्राशय और पैंक्रियाज के कैंसर का जोखिम भी कम पाया गया.

अध्ययन के अनुसार, ओमेगा-3 और ओमेगा-6 का उच्च स्तर कुल मिलाकर कैंसर के जोखिम को 20 फीसदी तक कम कर सकता है. इसके अलावा, यह भी पाया गया कि ओमेगा-3 का कैंसर पर रक्षात्मक प्रभाव महिलाओं और कम उम्र के लोगों में अधिक था. जबकि ओमेगा-6 का प्रभाव वृद्ध पुरुषों और वर्तमान में धूम्रपान करने वाले लोगों में अधिक देखा गया. हालांकि प्रोस्टेट कैंसर के मामले में ओमेगा-3 का सकारात्मक प्रभाव ना होने की बात भी इस अध्ययन में सामने आई है.

आगे के शोध की जरूरत
शोध के निष्कर्ष में शोधकर्ताओं ने माना है कि हालांकि इस अध्ययन के परिणाम उत्साहजनक हैं, लेकिन ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड के प्रभाव को और बेहतर समझने के लिए और अधिक व्यापक शोध की आवश्यकता है. इस शोध में यह भी कहा गया है कि भले ही ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड कैंसर से सुरक्षा में सहायक हो सकते हैं. लेकिन केवल एक आहार परिवर्तन से सभी प्रकार के कैंसर का जोखिम कम नहीं किया जा सकता है .

क्यों जरूरी है ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी
नई दिल्ली की पोषण एवं आहार विशेषज्ञ डॉ. दिव्या शर्मा बताती हैं कि ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड का सेवन विशेष रूप से मस्तिष्क के कार्यों और शारीरिक विकास के साथ शरीर की कार्यप्रणाली के लिए भी जरूरी है. लेकिन ये फैटी एसिड हमारे शरीर में खुद से नहीं बनते, इसलिए इन्हें मछली के तेल,कुछ विशेष बीज तथा सूखे मेवों आदि खाद्य स्रोतों या सप्लीमेंट्स से प्राप्त करना होता है. नियमित रूप से इन फैटी एसिड का सेवन दिल की सेहत को बेहतर बनाने, सूजन को कम करने, दिमाग की ताकत को बढ़ाने के साथ जोड़ों के दर्द में भी मदद करता हैं. वहीं इससे त्वचा में निखार आ सकता है और इम्यून सिस्टम भी मजबूत होता है.

वह बताती हैं कि इन सप्लीमेंट्स का सेवन आमतौर पर कैप्सूल या तरल रूप में किया जाता है. इन्हे भोजन के साथ लेना बेहतर होता है ताकि शरीर इसे अच्छी तरह से अवशोषित कर सके और पेट में कोई दिक्कत ना हो. लेकिन इन सप्लीमेंट की खुराक लेने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना भी जरूरी है, क्योंकि इसकी मात्रा व्यक्ति की उम्र, सेहत और खानपान पर निर्भर करती है. आमतौर पर, एक स्वस्थ वयस्क व्यक्ति के लिए रोजाना 250-500 मिलीग्राम ओमेगा-3 का सेवन फायदेमंद माना जाता है, लेकिन किसी विशेष स्वास्थ्य समस्या के लिए यह मात्रा अलग हो सकती है.

(डिस्क्लेमर: यहां आपको दी गई सभी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी और सलाह केवल आपकी जानकारी के लिए है. हम यह जानकारी वैज्ञानिक अनुसंधान, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवर सलाह के आधार पर प्रदान कर रहे हैं. बेहतर होगा कि इन पर अमल करने से पहले आप अपने निजी डॉक्टर की सलाह ले लें.)

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ओमेगा-6 फैटी एसिड एक प्रकार का फैट है जिसे पॉलीअनसेचुरेटेड फैट कहा जाता है. ओमेगा-6 फैटी एसिड वनस्पति तेलों, मेवों और बीजों में पाए जाते हैं. शरीर को फैटी एसिड की जरूरत होती है, जिसे आवश्यक फैटी एसिड कहा जाता है. यह अपनी जरूरत के ज्यादातर फैटी एसिड बना सकता है. लेकिन शरीर लिनोलेनिक एसिड नहीं बना सकता, जो एक जरूरी फैटी एसिड है जिसमें ओमेगा-6 फैटी एसिड शामिल है. स्वस्थ आहार शरीर के लिए ओमेगा-6 फैटी एसिड का मुख्य स्रोत है.

ओमेगा-6 फैटी एसिड हार्ट हेल्थ के लिए अच्छे हो सकते हैं और हार्ट डिजीज से बचाव करते हैं. ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड कैंसर के विभिन्न प्रकारों से सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं. हाल ही में हुए एक शोध में कैंसर से बचाव में फिश ऑइल सप्लीमेंट्स जिनमें ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड होते हैं, की भूमिका तथा इनके बीच के संबंध को लेकर अध्ययन किया गया था. जानिए इसमें क्या यह बात सामने आई है...

फिश ऑइल सप्लीमेंट्स का सेवन कैंसर से बचाव में कर सकता है मदद: शोध
ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड को सेहत के लिए काफी लाभकारी माना जाता है. चिकित्सकों की माने तो ये फैटी एसिड सेहत को दुरुस्त रखने के साथ कई समस्याओं से बचाव में भी मदद करते हैं. पिछले कुछ सालों में ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड के सेहत पर प्रभाव तथा रोगों से बचाव में भूमिका को लेकर काफ़ी अध्ययन किए गए हैं. इसी श्रृंखला में हाल ही में, जॉर्जिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन प्रकाशित किया है जो बताता है कि फिश ऑइल सप्लीमेंट्स जिनमें ये दोनों आवश्यक फैटी एसिड पाए जाते हैं,कैंसर के विभिन्न प्रकारों से सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं.

अंतर्राष्ट्रीय कैंसर जर्नल में प्रकाशित हुए इस अध्ययन में मुख्य रूप से ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड और कैंसर के बीच संबंध पर ध्यान केंद्रित किया गया था.

अध्ययन का उद्देश्य
गौरतलब है कि पिछले कुछ सालों में ओमेगा-3 और ओमेगा-6 के सेहत के लिए फायदों को जानने के लिए देश-विदेश में कई अलग-अलग अध्ययन किए गए हैं. जिनमें इन तथ्यों की पुष्टि हुई है कि यह दोनों ही दिल की बीमारियों, आंखों की सेहत और टाइप 2 डायबिटीज सहित कई अवस्थाओं में काफी फायदेमंद हो सकते हैं.

लेकिन हाल ही में प्रकाशित हुए इस अध्ययन में विशेष रूप से इन फैटी एसिड्स के कैंसर से जुड़े प्रभावों पर ध्यान केंद्रित किया था. इस अध्ययन का उद्देश्य यह समझना था कि कैसे ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड शरीर में कैंसर के जोखिम को कम करने में सहायक हो सकते हैं.

इस शोध के लिए जॉर्जिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने 10 वर्षों से अधिक समय तक 2.5 लाख से अधिक लोगों के मेडिकल डेटा का विश्लेषण किया. वहीं इस शोध में यूके बायो बैंक के 5 लाख से अधिक प्रतिभागियों के डेटा को भी शामिल किया गया था, जिनके ब्लड में ओमेगा-3 और ओमेगा-6 की मात्रा मापी गई थी.

शोध के परिणाम और लाभ
शोध के दौरान पाया गया कि जिन प्रतिभागियों के रक्त में ओमेगा-3 की मात्रा अधिक थी, उनमें पेट, फेफड़े और पाचन तंत्र से जुड़े कैंसर का जोखिम कम था. इसी तरह, उच्च ओमेगा-6 स्तर वाले प्रतिभागियों में मस्तिष्क, थायरॉयड, किडनी, मूत्राशय और पैंक्रियाज के कैंसर का जोखिम भी कम पाया गया.

अध्ययन के अनुसार, ओमेगा-3 और ओमेगा-6 का उच्च स्तर कुल मिलाकर कैंसर के जोखिम को 20 फीसदी तक कम कर सकता है. इसके अलावा, यह भी पाया गया कि ओमेगा-3 का कैंसर पर रक्षात्मक प्रभाव महिलाओं और कम उम्र के लोगों में अधिक था. जबकि ओमेगा-6 का प्रभाव वृद्ध पुरुषों और वर्तमान में धूम्रपान करने वाले लोगों में अधिक देखा गया. हालांकि प्रोस्टेट कैंसर के मामले में ओमेगा-3 का सकारात्मक प्रभाव ना होने की बात भी इस अध्ययन में सामने आई है.

आगे के शोध की जरूरत
शोध के निष्कर्ष में शोधकर्ताओं ने माना है कि हालांकि इस अध्ययन के परिणाम उत्साहजनक हैं, लेकिन ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड के प्रभाव को और बेहतर समझने के लिए और अधिक व्यापक शोध की आवश्यकता है. इस शोध में यह भी कहा गया है कि भले ही ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड कैंसर से सुरक्षा में सहायक हो सकते हैं. लेकिन केवल एक आहार परिवर्तन से सभी प्रकार के कैंसर का जोखिम कम नहीं किया जा सकता है .

क्यों जरूरी है ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी
नई दिल्ली की पोषण एवं आहार विशेषज्ञ डॉ. दिव्या शर्मा बताती हैं कि ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड का सेवन विशेष रूप से मस्तिष्क के कार्यों और शारीरिक विकास के साथ शरीर की कार्यप्रणाली के लिए भी जरूरी है. लेकिन ये फैटी एसिड हमारे शरीर में खुद से नहीं बनते, इसलिए इन्हें मछली के तेल,कुछ विशेष बीज तथा सूखे मेवों आदि खाद्य स्रोतों या सप्लीमेंट्स से प्राप्त करना होता है. नियमित रूप से इन फैटी एसिड का सेवन दिल की सेहत को बेहतर बनाने, सूजन को कम करने, दिमाग की ताकत को बढ़ाने के साथ जोड़ों के दर्द में भी मदद करता हैं. वहीं इससे त्वचा में निखार आ सकता है और इम्यून सिस्टम भी मजबूत होता है.

वह बताती हैं कि इन सप्लीमेंट्स का सेवन आमतौर पर कैप्सूल या तरल रूप में किया जाता है. इन्हे भोजन के साथ लेना बेहतर होता है ताकि शरीर इसे अच्छी तरह से अवशोषित कर सके और पेट में कोई दिक्कत ना हो. लेकिन इन सप्लीमेंट की खुराक लेने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना भी जरूरी है, क्योंकि इसकी मात्रा व्यक्ति की उम्र, सेहत और खानपान पर निर्भर करती है. आमतौर पर, एक स्वस्थ वयस्क व्यक्ति के लिए रोजाना 250-500 मिलीग्राम ओमेगा-3 का सेवन फायदेमंद माना जाता है, लेकिन किसी विशेष स्वास्थ्य समस्या के लिए यह मात्रा अलग हो सकती है.

(डिस्क्लेमर: यहां आपको दी गई सभी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी और सलाह केवल आपकी जानकारी के लिए है. हम यह जानकारी वैज्ञानिक अनुसंधान, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवर सलाह के आधार पर प्रदान कर रहे हैं. बेहतर होगा कि इन पर अमल करने से पहले आप अपने निजी डॉक्टर की सलाह ले लें.)

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