ETV Bharat / health

जड़ से खत्म हो जाएगा बोन कैंसर, बशर्ते हो जाए ये काम - Bone cancer

Bone Cancer : बोन या अस्थि कैंसर, कैंसर के अन्य प्रकारों की भांति एक गंभीर रोग ही है जिसके प्रभाव जटिल और कई बार जानलेवा भी हो सकते हैं. लेकिन यदि कैंसर के इस प्रकार की पहचान शुरुआत में ही हो जाए और पीड़ित को सही समय पर सही इलाज मिल जाए तो कुछ मामलों में इसका पूरी तरह निस्तारण संभव है.

BONE CANCER TREATMENT IS POSSIBLE AND BONE CANCER SYMPTOMS CAUSE
कॉन्सेप्ट इमेज (Getty Images)
author img

By ETV Bharat Health Team

Published : Aug 21, 2024, 6:57 AM IST

Updated : Aug 21, 2024, 8:12 AM IST

हैदराबाद : कैंसर की कोशिकाएं हमारे शरीर के किसी भी हिस्से में पनप सकती हैं यहां तक की हमारी हड्डियां भी इससे सुरक्षित नहीं है. हड्डियों का कैंसर या बोन कैंसर वैसे तो कैंसर के कम प्रचलित प्रकारों में से एक माना जाता है यानी इसके अपेक्षाकृत कम मामले देखने-सुनने में आते हैं, लेकिन ज्यादा चिंता की बात यह है कि बोन कैंसर के ज्यादा मामले बच्चों और युवाओं में देखने में आते हैं.

हड्डियों में कैंसर का कारण : देहरादून के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ हेम जोशी बताते हैं कि हड्डियों का कैंसर एक गंभीर और जटिल बीमारी है, जो हड्डियों के ऊतकों में असामान्य और अनियंत्रित कोशिका वृद्धि के कारण होती है. वह बताते हैं कि वैसे तो यह बीमारी जीवन के किसी भी चरण में हो सकती है, लेकिन आमतौर पर यह बच्चों और युवाओं में अधिक देखी जाती है. यही नहीं पुरुषों में हड्डियों के कैंसर का जोखिम महिलाओं की तुलना में थोड़ा अधिक होता है.

वह बताते हैं कि कैंसर कोशिकाओं के पनपने के स्थान तथा कुछ अन्य अवस्थाओं के आधार पर बोन या अस्थि कैंसर के आमतौर पर चार प्रकार माने जाते हैं, ऑस्टियो सारकोमा, इविंग सारकोमा, चोंड्रोसारकोमा और कॉड्रोमा. इनमें ऑस्टियो सारकोमा के सबसे ज्यादा मामले देखे जाते हैं और इसके मामले युवाओं में अधिक देखे जाते हैं. वहीं चोंड्रोसारकोमा बुजुर्गों में अधिक पाया जाता है. डॉ हेम जोशी बताते हैं कि हड्डियों में कैंसर के लिए कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.

  • आनुवंशिक कारक: यदि परिवार में किसी को हड्डियों का कैंसर हुआ है, तो अन्य सदस्यों में इसके होने की संभावना बढ़ जाती है.
  • आयनीकरण विकिरण: उच्च स्तर के विकिरण के संपर्क में आने से हड्डियों के कैंसर का जोखिम बढ़ सकता है. यह विकिरण चिकित्सा उपचार या परमाणु दुर्घटनाओं के कारण हो सकता है.
  • अन्य कैंसर: कुछ मामलों में, शरीर के अन्य भागों में कैंसर हड्डियों में फैल सकता है. इसे मेटास्टैटिक बोन कैंसर कहते हैं.

हड्डियों में कैंसर के लक्षण
डॉ हेम जोशी बताते हैं कि प्रभावित स्थान व कैंसर के प्रभाव के आधार पर हड्डियों में कैंसर के लक्षण भिन्न-भिन्न हो सकते हैं. यहां यह जानना भी जरूरी हैं इस कैंसर के बहुत से कुछ प्रकारों में बीमारी के प्रारंभिक चरणों में लक्षण अस्पष्ट हो सकते हैं. लेकिन जैसे-जैसे रोग का प्रभाव बढ़ने लगता है, लक्षणों को समझा जा सकता है बशर्ते व्यक्ति अपने स्वास्थ्य तथा शरीर को लेकर सचेत हो. बोन कैंसर के कुछ सामान्य लक्षण जो लगभग सभी प्रकार के कैंसर में नजर आ सकते हैं उनमें से कुछ इस प्रकार हैं.

  • हड्डियों में दर्द हड्डियों के कैंसर का सबसे आम लक्षण है. यह दर्द रात में या गतिविधियों के दौरान बढ़ सकता है.
  • प्रभावित क्षेत्र में सूजन हो सकती है, जो कि त्वचा पर दिखाई दे सकती है या महसूस की जा सकती है.
  • हड्डियों में कमजोरी या भंगुरता आ सकती है, जिससे हड्डियां आसानी से टूट सकती हैं.
  • बिना किसी विशेष कारण के अत्यधिक थकान महसूस हो सकती है.
  • अचानक वजन कम होना भी हड्डियों के कैंसर का संकेत हो सकता है.
  • बार-बार बुखार आना और रात में अत्यधिक पसीना आना भी लक्षण हो सकते हैं.

निदान व उपचार
डॉ हेम जोशी बताते हैं कि हड्डियों में कैंसर एक गंभीर बीमारी है, लेकिन इसके जानलेवा प्रभाव अपेक्षाकृत कम देखने में आते हैं. हालांकि बोन कैंसर के कारण कुछ गंभीर मामलों में शरीर के प्रभावित स्थानों को सर्जरी की मदद से शरीर से अलग भी किया जा सकता है, जैसे यदि किसी के पांव की हड्डी में कैंसर गंभीर रूप में पनप चुका हो और दवा व सामान्य इलाज से उसके ठीक होने में मुश्किल हो रही हो तो कैंसर शरीर के अन्य अंगों में ना फैले इसके लिए सर्जरी के माध्यम से उस पैर को शरीर से अलग किया जा सकता है.

लेकिन आज के समय में बोन कैंसर को लेकर चिकित्सा के क्षेत्र में काफी तरक्की भी हुई है. इस प्रकार की अवस्था में वास्तविक या कृत्रिम अस्थि ग्राफ्ट यानी कैंसर ग्रस्त हड्डी को शरीर से बाहर निकालकर उसके स्थान पर कृत्रिम अस्थि या शरीर के किसी अन्य हिस्से से अस्थि को निकालकर ग्राफ्ट किया जा सकता है. लेकिन यहां यह जानना जरूरी हैं कि ग्राफ्टिंग प्रक्रिया कुछ विशेष मामलों में ही संभव है. वहीं ऐसे लोग जिन्हे बोन कैंसर के चलते अपना हाथ या पांव गंवाना पड़ा हो वे कृत्रिम अंगों की मदद ले सकते हैं.

वह बताते हैं कि बोन कैंसर के सामान्य उपचार के लिए चिकित्सक सर्जरी, विकिरण चिकित्सा, दवाओं, कीमोथेरेपी व कुछ अन्य प्रकार की थेरेपी जैसी प्रक्रियाओं को अपनाते हैं. लेकिन कैंसर से पूरी तरह से ठीक होना या उसके उपचार का पूरी तरह से सफल होना इस बात पर भी निर्भर करता हैं कि कैंसर किस प्रकार का है तथा किस क्षेत्र में फैल रहा है. इसके अलावा यदि समय से यानी रोग की शुरुआत में ही इसके लक्षणों को समझ कर इसका उपचार शुरू कर दिया जाय तो काफी मामलों में पीड़ित पूरी तरह से ठीक हो जाता है. और उसके दोबारा प्रभावित करने की आशंका भी कम रहती हैं.

सजग रहें
डॉ हेम जोशी बताते हैं कि चाहे कैंसर हो या कोई भी अन्य जटिल रोग, यदि समय से उसकी पहचान होकर उसका सही इलाज शुरू हो जाए तो ज्यादातर मामलों में पीड़ित के ठीक होने व स्वस्थ जीवन जीने की संभावना बढ़ जाती है. इसलिए बहुत जरूरी हैं कि लोग अपने शरीर को लेकर सचेत रहे. ना सिर्फ असामान्य बल्कि सामान्य ही सही लेकिन लगातार होने वाली समस्याओं को तथा शरीर में हो रहे परिवर्तनों व असहजता को समझे और उन्हे लेकर चिकित्सक से परामर्श लेकर जांच करवाए. इसके अलावा नियमित अंतराल पर स्वास्थ्य जांच(रक्त, पेशाब जांच आदि) करवाना भी काफी लाभकारी रहता है. ऐसा करने से यदि शरीर में कोई समस्या पनप रही है लेकिन उसके लक्षण नजर नहीं आ रहे हैं तो उनके बारें में भी समय रहते जानकारी मिल सकती है.

ये भी पढ़ें-

Roasted Gram Chana : एक से बढ़कर एक फायदे हैं भुने हुए चने के, लेकिन रहता है जोखिम भी

Dysuria : इस 'प्राइवेट' समस्या को महिला-पुरुष अनदेखा ना करें, खासतौर से गर्मियों के मौसम में

हैदराबाद : कैंसर की कोशिकाएं हमारे शरीर के किसी भी हिस्से में पनप सकती हैं यहां तक की हमारी हड्डियां भी इससे सुरक्षित नहीं है. हड्डियों का कैंसर या बोन कैंसर वैसे तो कैंसर के कम प्रचलित प्रकारों में से एक माना जाता है यानी इसके अपेक्षाकृत कम मामले देखने-सुनने में आते हैं, लेकिन ज्यादा चिंता की बात यह है कि बोन कैंसर के ज्यादा मामले बच्चों और युवाओं में देखने में आते हैं.

हड्डियों में कैंसर का कारण : देहरादून के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ हेम जोशी बताते हैं कि हड्डियों का कैंसर एक गंभीर और जटिल बीमारी है, जो हड्डियों के ऊतकों में असामान्य और अनियंत्रित कोशिका वृद्धि के कारण होती है. वह बताते हैं कि वैसे तो यह बीमारी जीवन के किसी भी चरण में हो सकती है, लेकिन आमतौर पर यह बच्चों और युवाओं में अधिक देखी जाती है. यही नहीं पुरुषों में हड्डियों के कैंसर का जोखिम महिलाओं की तुलना में थोड़ा अधिक होता है.

वह बताते हैं कि कैंसर कोशिकाओं के पनपने के स्थान तथा कुछ अन्य अवस्थाओं के आधार पर बोन या अस्थि कैंसर के आमतौर पर चार प्रकार माने जाते हैं, ऑस्टियो सारकोमा, इविंग सारकोमा, चोंड्रोसारकोमा और कॉड्रोमा. इनमें ऑस्टियो सारकोमा के सबसे ज्यादा मामले देखे जाते हैं और इसके मामले युवाओं में अधिक देखे जाते हैं. वहीं चोंड्रोसारकोमा बुजुर्गों में अधिक पाया जाता है. डॉ हेम जोशी बताते हैं कि हड्डियों में कैंसर के लिए कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.

  • आनुवंशिक कारक: यदि परिवार में किसी को हड्डियों का कैंसर हुआ है, तो अन्य सदस्यों में इसके होने की संभावना बढ़ जाती है.
  • आयनीकरण विकिरण: उच्च स्तर के विकिरण के संपर्क में आने से हड्डियों के कैंसर का जोखिम बढ़ सकता है. यह विकिरण चिकित्सा उपचार या परमाणु दुर्घटनाओं के कारण हो सकता है.
  • अन्य कैंसर: कुछ मामलों में, शरीर के अन्य भागों में कैंसर हड्डियों में फैल सकता है. इसे मेटास्टैटिक बोन कैंसर कहते हैं.

हड्डियों में कैंसर के लक्षण
डॉ हेम जोशी बताते हैं कि प्रभावित स्थान व कैंसर के प्रभाव के आधार पर हड्डियों में कैंसर के लक्षण भिन्न-भिन्न हो सकते हैं. यहां यह जानना भी जरूरी हैं इस कैंसर के बहुत से कुछ प्रकारों में बीमारी के प्रारंभिक चरणों में लक्षण अस्पष्ट हो सकते हैं. लेकिन जैसे-जैसे रोग का प्रभाव बढ़ने लगता है, लक्षणों को समझा जा सकता है बशर्ते व्यक्ति अपने स्वास्थ्य तथा शरीर को लेकर सचेत हो. बोन कैंसर के कुछ सामान्य लक्षण जो लगभग सभी प्रकार के कैंसर में नजर आ सकते हैं उनमें से कुछ इस प्रकार हैं.

  • हड्डियों में दर्द हड्डियों के कैंसर का सबसे आम लक्षण है. यह दर्द रात में या गतिविधियों के दौरान बढ़ सकता है.
  • प्रभावित क्षेत्र में सूजन हो सकती है, जो कि त्वचा पर दिखाई दे सकती है या महसूस की जा सकती है.
  • हड्डियों में कमजोरी या भंगुरता आ सकती है, जिससे हड्डियां आसानी से टूट सकती हैं.
  • बिना किसी विशेष कारण के अत्यधिक थकान महसूस हो सकती है.
  • अचानक वजन कम होना भी हड्डियों के कैंसर का संकेत हो सकता है.
  • बार-बार बुखार आना और रात में अत्यधिक पसीना आना भी लक्षण हो सकते हैं.

निदान व उपचार
डॉ हेम जोशी बताते हैं कि हड्डियों में कैंसर एक गंभीर बीमारी है, लेकिन इसके जानलेवा प्रभाव अपेक्षाकृत कम देखने में आते हैं. हालांकि बोन कैंसर के कारण कुछ गंभीर मामलों में शरीर के प्रभावित स्थानों को सर्जरी की मदद से शरीर से अलग भी किया जा सकता है, जैसे यदि किसी के पांव की हड्डी में कैंसर गंभीर रूप में पनप चुका हो और दवा व सामान्य इलाज से उसके ठीक होने में मुश्किल हो रही हो तो कैंसर शरीर के अन्य अंगों में ना फैले इसके लिए सर्जरी के माध्यम से उस पैर को शरीर से अलग किया जा सकता है.

लेकिन आज के समय में बोन कैंसर को लेकर चिकित्सा के क्षेत्र में काफी तरक्की भी हुई है. इस प्रकार की अवस्था में वास्तविक या कृत्रिम अस्थि ग्राफ्ट यानी कैंसर ग्रस्त हड्डी को शरीर से बाहर निकालकर उसके स्थान पर कृत्रिम अस्थि या शरीर के किसी अन्य हिस्से से अस्थि को निकालकर ग्राफ्ट किया जा सकता है. लेकिन यहां यह जानना जरूरी हैं कि ग्राफ्टिंग प्रक्रिया कुछ विशेष मामलों में ही संभव है. वहीं ऐसे लोग जिन्हे बोन कैंसर के चलते अपना हाथ या पांव गंवाना पड़ा हो वे कृत्रिम अंगों की मदद ले सकते हैं.

वह बताते हैं कि बोन कैंसर के सामान्य उपचार के लिए चिकित्सक सर्जरी, विकिरण चिकित्सा, दवाओं, कीमोथेरेपी व कुछ अन्य प्रकार की थेरेपी जैसी प्रक्रियाओं को अपनाते हैं. लेकिन कैंसर से पूरी तरह से ठीक होना या उसके उपचार का पूरी तरह से सफल होना इस बात पर भी निर्भर करता हैं कि कैंसर किस प्रकार का है तथा किस क्षेत्र में फैल रहा है. इसके अलावा यदि समय से यानी रोग की शुरुआत में ही इसके लक्षणों को समझ कर इसका उपचार शुरू कर दिया जाय तो काफी मामलों में पीड़ित पूरी तरह से ठीक हो जाता है. और उसके दोबारा प्रभावित करने की आशंका भी कम रहती हैं.

सजग रहें
डॉ हेम जोशी बताते हैं कि चाहे कैंसर हो या कोई भी अन्य जटिल रोग, यदि समय से उसकी पहचान होकर उसका सही इलाज शुरू हो जाए तो ज्यादातर मामलों में पीड़ित के ठीक होने व स्वस्थ जीवन जीने की संभावना बढ़ जाती है. इसलिए बहुत जरूरी हैं कि लोग अपने शरीर को लेकर सचेत रहे. ना सिर्फ असामान्य बल्कि सामान्य ही सही लेकिन लगातार होने वाली समस्याओं को तथा शरीर में हो रहे परिवर्तनों व असहजता को समझे और उन्हे लेकर चिकित्सक से परामर्श लेकर जांच करवाए. इसके अलावा नियमित अंतराल पर स्वास्थ्य जांच(रक्त, पेशाब जांच आदि) करवाना भी काफी लाभकारी रहता है. ऐसा करने से यदि शरीर में कोई समस्या पनप रही है लेकिन उसके लक्षण नजर नहीं आ रहे हैं तो उनके बारें में भी समय रहते जानकारी मिल सकती है.

ये भी पढ़ें-

Roasted Gram Chana : एक से बढ़कर एक फायदे हैं भुने हुए चने के, लेकिन रहता है जोखिम भी

Dysuria : इस 'प्राइवेट' समस्या को महिला-पुरुष अनदेखा ना करें, खासतौर से गर्मियों के मौसम में

Last Updated : Aug 21, 2024, 8:12 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.