हैदराबाद: 'मैंने उसको जब-जब देखा, लोहा देखा, लोहा जैसा–तपते देखा...' दिल को छू गई ना केदारनाथ अग्रवाल की महिला के लिए पन्नों पर उकेरी गई ये कविता...मगर अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर हम आपके लिए लेकर आए हैं चुनिंदा और प्रेरणादायक महिला लेखिकाओं के साथ ही उनकी रचनाओं की एक गठरी. महिला लेखिकाओं के द्वारा लिखी ये प्रेरणादायक रचनाएं और इस गठरी को खोलते ही आपका पाठक मन खुश हो जाएगा...तो इंटरनेशनल वुमन डे के मौके पर झटझट पढ़ डालिए ये शानदार रचनाएं.
मित्रो मरजानी: कृष्णा सोबती
कृष्णा सोबती हिंदी साहित्य की उन लेखिकाओं में शामिल हैं, जिन्हें शायद ही कोई पुस्तक प्रेमी ना पढ़ो हो. मित्रो मरजानी कृष्णा सोबती की महिला कामुकता के मुक्त प्रतिनिधित्व का प्रतीक है. इस किताब ने सन 1967 में पब्लिश होने के बाद लोगों के आक्रोश को झेला था. इस संवेदनशील मुद्दों पर लिखी कृष्णा सोबती की किताब को यदि आपने नहीं पढ़ा तो पढ़ डालिए.
देवी: मृणाल पांडे
लेखिका मृणाल पांडे महिलाओं को सशक्त मानती हैं और वह महिलाओं को मजबूत इरादों वाली योद्धा मानती हैं. अपनी रचनाओं में वह पितृसत्तात्मक समाज को भी चुनौती देती हैं.
पचपन खंबे लाल दीवारें : उषा प्रियंवदा
उषा प्रियंवदा हिंदी की अग्रणी उपन्यासकार और लघु कथाकार में से एक हैं और उनकी कहानियां महिलाओं विशेषकर पारंपरिक पृष्ठभूमि की महिलाओं के जीवन की जटिलताओं के इर्द-गिर्द घूमती हैं. पचपन खंबे लाल दीवारें वास्तविक जीवन की भारतीय महिला की परेशानियों की रचना है.
चौदह फेरे : शिवानी
शिवानी अहंकारी और अंधराष्ट्रवादी सरकारी अधिकारी पर लिखी खूबसूरत अंदाज की कहानी है. शिवानी की 'चौदह फेरे' एक आदर्श चित्रण के साथ-साथ एक महिला के साथ अपनी इच्छानुसार व्यवहार करने और उसकी ओर से निर्णय लेने के पुरुष के अधिकार के दावे की आलोचना भी है.