ETV Bharat / entertainment

'माचिस' से 'क्रू' तक कैसा रहा तब्बू का फिल्मी करियर, पढ़ें ये स्पेशल स्टोरी - Tabu - TABU

Tabu Bollywood Actress : बॉलीवुड में अधिकांश अभिनेत्रियां अपने पहनावे, अभिनय के तरीके और अपनी अभिव्यंजक आंखों से एक-दूसरे की नकल करती हैं. तीन दशक बिताने के बाद, जब आज भी तब्बू स्क्रीन पर चमकती हैं तो सब दंग रह जाते हैं. महिला-केंद्रित 'क्रू' तब्बू के लिए एक और सफलता है. तब्बू अच्छी तरही जानती हैं कि जब उनके अधिकांश समकालीन निबंध-सहायक भूमिकाओं में स्थानांतरित हो गए हैं, तब प्रासंगिक कैसे बने रहना है.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By Toufiq Rashid

Published : Apr 2, 2024, 4:04 PM IST

Updated : Apr 2, 2024, 4:15 PM IST

हैदराबाद : वर्ष 2003 में तब्बू की 'मकबूल' रिलीज हुई, जो काफी चर्चा का विषय बनी रही. उस समय हमारे प्रधान संपादक एक लोकप्रिय टेलीविजन टॉक शो की मेजबानी किया करते थे. युवा पत्रकारों के रूप में, हमने अपने संपादक से तब्बू को बुलाने का अनुरोध किया. अखबार के वरिष्ठों में से एक ने सहमति व्यक्त जताई. उन्होंने 'मानवता की खातिर' हमारे अनुरोध का समर्थन किया.

मकबूल: विशाल भारद्वाज की 'मकबूल' शेक्सपियर की त्रासदी 'मैकबेथ' की साजिश थी. इसे मुंबई अंडरवर्ल्ड में कलाकारों की टोली के साथ प्रसारित किया गया था. तब्बू ने इसमें निम्मी की भूमिका निभाई. तब्बू ने एक उम्रदराज गैंगस्टर की महत्वाकांक्षी युवा मालकिन का किरदार निभाया है. उसे उसके गुर्गे से प्यार हो जाता है. फिल्म में वह गैंगस्टर को मारने की साजिश रचती है.

निम्मी ने फिल्म में हर तरह का किरदार निभाया था. फिल्म में एक पीड़िता, पुरुषों का शोषण करने वाली, हत्याओं और तख्तापलट की साजिश रचने वाली, वह सब कुछ बनी थी.

चांदनी बार: 2001 में आयी 'चांदनी बार' तब्बू के करियर की सबसे यादगार फिल्मों में से एक साबित हुई. ये मुंबई के बार नर्तकियों और गंभीर अंडरवर्ल्ड के जीवन का चित्रण था, लेकिन निम्मी कोई मुमताज नहीं थी. 'चांदनी बार' को तब्बू के नाम से हाइलाइट किया गया था. यह बहुत ही अपरंपरागत था. ना ही इसमें कोई बढ़िया संगीत था, और ना ही किसी पुरुष सितारे की मौजूदगी थी.

  • " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="">

पिछले 30 वर्षों से तब्बू के अभिनय की खूबसूरती उन्हें आज भी प्रासंगिक बनाती है. एक तरफ, उनके पहले के कुछ पुरुष कलाकार भी आराम से पिता/माता की भूमिका में आ गए हैं, वह आसानी से एक चरित्र से दूसरे चरित्र में स्विच करने में सक्षम है. वह एक के बाद एक जीवन की कहानियों की समान प्रतिभा के साथ नकल करती है. उनकी अभिव्यक्तियां दर्शकों को उनमें से प्रत्येक की प्रामाणिकता पर विश्वास कराती हैं.

दो राष्ट्रीय पुरस्कार और एक पद्म श्री मिला: तीन दशकों के अपने करियर में, तब्बू ने दो राष्ट्रीय पुरस्कार, एक पद्म श्री जीते हैं. इसके अलावा, उन्हें एक फिल्मोग्राफी भी मिली है. इसमें मुख्यधारा और स्वतंत्र सिनेमा दोनों के रत्नों के साथ-साथ द नेमसेक और लाइफ ऑफ पाई जैसी प्रशंसित हॉलीवुड परियोजनाएं भी शामिल हैं.

अभिनय की अद्धुत मिसाल है तब्बू: 'दृश्यम' में जहां वह एक खून की प्यासी प्रतिशोधी मां और पुलिस वाली है. वहीं अगले ही पल वह 'भूल भुलैया' की प्यारी भूत बन जाती है.

'क्रू' 2024 की भारतीय हिंदी भाषा की कॉमेडी फिल्म है. इसमें तब्बू, करीना कपूर खान और कृति सेनन ने एयर होस्टेस की भूमिका निभाई है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, फिल्म ने अपने प्रीमियर के दिन 9.25 करोड़ रुपये की कमाई की. पहले दिन से ही फिल्म की कमाई में लगातार बढ़ोतरी ही देखी गई है.

तीन औरतों की कहानी है 'क्रू': तब्बू ने हमेशा की तरह सही प्रहार किया है. उन्हें गीता सेठी जैसे निडर किरदार के लिए प्रशंसा मिल रही है. वह अन्य दो के भरपूर समर्थन के साथ स्क्रिप्ट को अपने कंधों पर उठाती है. 'क्रू' तीन एयर होस्टेस की कहानी है जो परिस्थितियों के जाल में फंसी हुई हैं. उन्हें अपनी जरूरतों और उन्हें पूरा करने के सही या गलत के बीच चयन करना होता है.

बहुमुखी प्रतिभा से बटोरी सुर्खियां: दो बार की राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता ने एक बार फिर अपनी बहुमुखी प्रतिभा साबित की है. करीना और कृति के साथ फिल्म की सफलता का एक मजबूत कारण है. इस कम बजट वाली महिला-प्रधान फिल्म में, तीनों भारी मात्रा में सोना चुराने की साजिश रचते हैं, जो उनकी झोली में गिर जाता है. तब्बू की उनकी कॉमिक टाइमिंग और एक मध्यवर्गीय भारतीय महिला के आदर्श अवतार के लिए प्रशंसा की जा रही है. चाहे वह उनकी और करीना द्वारा उम्र के बारे में की गई व्यंग्यपूर्ण टिप्पणियां हों या अपने पति को सुरक्षा निर्देश समझाने का कठिन कार्य ही हो.

महिला-प्रधान फिल्म 'क्रू': तब्बू उभरती हुई इंडस्ट्री का एक बेहतरीन उदाहरण हैं. अपनी पहले की फिल्मों और एक बार अब 'क्रू' के साथ उन्होंने साबित कर दिया है कि सफल फिल्मों का कोई निश्चित शॉट फॉर्मूला नहीं होता है. क्रू की सफलता एक बार फिर लचीली मांसपेशियों, सिक्स पैक्स, सेक्सी लोकेशंस का उल्लेख कर रही है. पुरुष सुपरस्टार की उपस्थिति ही एकमात्र जीत का फार्मूला नहीं है.

'विजयपथ' में निभाया ग्लैमरस अभिनय: जीवन से जुड़े किरदार भी बॉक्स ऑफिस पर बड़ी कमाई कर सकते हैं. 52 वर्षीय तब्बू फातिमा ने अपना मार्ग प्रशस्त करने के लिए कड़ी मेहनत की. पहली बार 1994 में 'विजयपथ' में एक ग्लैमरस भूमिका निभाते हुए देखा गया.

'माचिस' से मिला नेशनल अवॉर्ड: 1996 में रिलीज हुई गुलजार की 'माचिस' में वीरा की अपरंपरागत भूमिका ने दुनिया ने उनकी अभिनय शक्ति को स्वीकार किया. वह उन पहली अभिनेत्रियों में से एक थीं, जिन्होंने ऐसी भूमिकाएं चुनीं. जहां, कई फिल्मों में उनके किरदारों को आगे बढ़ाने के लिए हीरो मौजूद थे तो वह इसमें वह अपने नायकों की सहायक नहीं थीं. 'माचिस' ने तब्बू को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय पुरस्कार दिलाया. 2001 में आई 'चांदनी बार' में उन्हें दूसरा दूसरा नेशनल अवॉर्ड मिला.

तब्बू फिल्मोग्राफी: उनकी फिल्मोग्राफी में 'विरासत' में गांव की लड़की, 'शेक्सपियर' के हेमलेट का रूपांतरण हैदर जैसे जटिल किरदार हैं. कभी उन्होंने शाहिद कपूर के हेमलेट की मां गर्ट्रूड की भूमिका निभाई, तो कभी 'चीनी कम' में अपने पिता से बड़े आदमी से प्यार करने वाली एक युवा महिला की किरदार निभाया. कभी खतरनाक पुलिस वाले के अभनिय के रूप में खुद को साबित किया. 'अंधदुन' की सिमी ने अपने ग्रे किरदार के चित्रण से आलोचकों को प्रभावित कर दिया.

इसके साथ ही उन्हें 'बीवी नंबर 1', 'हम साथ-साथ हैं', 'हेरा फेरी' और 'गोलमाल अगेन' जैसी हास्य फिल्मों में तब्बू को व्यावसायिक सफलता मिली. तब्बू तमिल सिनेमा की कुछ बेहतरीन फिल्मों का भी हिस्सा रही हैं. इनमें मणिरत्नम की 'इरुवर' और राजीव मेनन की 'कंदुकोंदैन कंदुकोंदैन' शामिल हैं. यह उनके करियर का शुरुआती दौर था. उन्होंने साबित कर दिया कि वह कुछ भी कर सकती हैं. चाहे वह मुख्यधारा हो या फिर नए जमाने का सिनेमा.

फिल्मों के अपने चयन से उन्होंने हमेशा यह साबित किया है कि अगर उन्हें जटिल किरदार निभाने की इजाजत दी जाए, तो उनके जैसे कलाकार जीवन को चतुराई से चित्रित कर सकते हैं. उन्होंने अपने नाम पर फिल्मों का नेतृत्व किया है. उन्होंने इरफान खान और अजय देवगन जैसे नायकों के साथ अपनी केमिस्ट्री साझा की है.

उनकी पसंद को हमेशा आत्मघाती माना गया है. अपने करियर के शुरुआती वर्षों में मां की भूमिका निभाना, 'विजयपथ' की सफलता के तुरंत बाद 'माचिस' जैसी फिल्म करना. वहीं, निम्मी जैसे खतरनाक किरदार को चित्रित करना, हर फिल्म में तब्बू ने खुद को बखूबी साबित किया है.

फिल्म उद्योग में, वह आसानी से पहला और एकमात्र चेहरा हो सकती हैं, जब लोग एक ऐसे चरित्र के बारे में सोच कर बात करते हैं. तब्बू कभी-कभी अपने द्वारा निभाए गए किरदारों का आदर्श अवतार लगती हैं. हम उनकी जगह किसी और की कल्पना भी नहीं कर सकते. निम्मी, मुमताज, सिमी, मीरा या अब गीता के रूप में उनकी जगह कौन ले सकता है?

पढ़ें: 'क्रू' के ट्रेलर लॉन्च पर स्टाइल में पहुंची करीना, तब्बू और कृति, खूबसूरत एयर होस्टेस को देख फैंस हुए गदगद

हैदराबाद : वर्ष 2003 में तब्बू की 'मकबूल' रिलीज हुई, जो काफी चर्चा का विषय बनी रही. उस समय हमारे प्रधान संपादक एक लोकप्रिय टेलीविजन टॉक शो की मेजबानी किया करते थे. युवा पत्रकारों के रूप में, हमने अपने संपादक से तब्बू को बुलाने का अनुरोध किया. अखबार के वरिष्ठों में से एक ने सहमति व्यक्त जताई. उन्होंने 'मानवता की खातिर' हमारे अनुरोध का समर्थन किया.

मकबूल: विशाल भारद्वाज की 'मकबूल' शेक्सपियर की त्रासदी 'मैकबेथ' की साजिश थी. इसे मुंबई अंडरवर्ल्ड में कलाकारों की टोली के साथ प्रसारित किया गया था. तब्बू ने इसमें निम्मी की भूमिका निभाई. तब्बू ने एक उम्रदराज गैंगस्टर की महत्वाकांक्षी युवा मालकिन का किरदार निभाया है. उसे उसके गुर्गे से प्यार हो जाता है. फिल्म में वह गैंगस्टर को मारने की साजिश रचती है.

निम्मी ने फिल्म में हर तरह का किरदार निभाया था. फिल्म में एक पीड़िता, पुरुषों का शोषण करने वाली, हत्याओं और तख्तापलट की साजिश रचने वाली, वह सब कुछ बनी थी.

चांदनी बार: 2001 में आयी 'चांदनी बार' तब्बू के करियर की सबसे यादगार फिल्मों में से एक साबित हुई. ये मुंबई के बार नर्तकियों और गंभीर अंडरवर्ल्ड के जीवन का चित्रण था, लेकिन निम्मी कोई मुमताज नहीं थी. 'चांदनी बार' को तब्बू के नाम से हाइलाइट किया गया था. यह बहुत ही अपरंपरागत था. ना ही इसमें कोई बढ़िया संगीत था, और ना ही किसी पुरुष सितारे की मौजूदगी थी.

  • " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="">

पिछले 30 वर्षों से तब्बू के अभिनय की खूबसूरती उन्हें आज भी प्रासंगिक बनाती है. एक तरफ, उनके पहले के कुछ पुरुष कलाकार भी आराम से पिता/माता की भूमिका में आ गए हैं, वह आसानी से एक चरित्र से दूसरे चरित्र में स्विच करने में सक्षम है. वह एक के बाद एक जीवन की कहानियों की समान प्रतिभा के साथ नकल करती है. उनकी अभिव्यक्तियां दर्शकों को उनमें से प्रत्येक की प्रामाणिकता पर विश्वास कराती हैं.

दो राष्ट्रीय पुरस्कार और एक पद्म श्री मिला: तीन दशकों के अपने करियर में, तब्बू ने दो राष्ट्रीय पुरस्कार, एक पद्म श्री जीते हैं. इसके अलावा, उन्हें एक फिल्मोग्राफी भी मिली है. इसमें मुख्यधारा और स्वतंत्र सिनेमा दोनों के रत्नों के साथ-साथ द नेमसेक और लाइफ ऑफ पाई जैसी प्रशंसित हॉलीवुड परियोजनाएं भी शामिल हैं.

अभिनय की अद्धुत मिसाल है तब्बू: 'दृश्यम' में जहां वह एक खून की प्यासी प्रतिशोधी मां और पुलिस वाली है. वहीं अगले ही पल वह 'भूल भुलैया' की प्यारी भूत बन जाती है.

'क्रू' 2024 की भारतीय हिंदी भाषा की कॉमेडी फिल्म है. इसमें तब्बू, करीना कपूर खान और कृति सेनन ने एयर होस्टेस की भूमिका निभाई है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, फिल्म ने अपने प्रीमियर के दिन 9.25 करोड़ रुपये की कमाई की. पहले दिन से ही फिल्म की कमाई में लगातार बढ़ोतरी ही देखी गई है.

तीन औरतों की कहानी है 'क्रू': तब्बू ने हमेशा की तरह सही प्रहार किया है. उन्हें गीता सेठी जैसे निडर किरदार के लिए प्रशंसा मिल रही है. वह अन्य दो के भरपूर समर्थन के साथ स्क्रिप्ट को अपने कंधों पर उठाती है. 'क्रू' तीन एयर होस्टेस की कहानी है जो परिस्थितियों के जाल में फंसी हुई हैं. उन्हें अपनी जरूरतों और उन्हें पूरा करने के सही या गलत के बीच चयन करना होता है.

बहुमुखी प्रतिभा से बटोरी सुर्खियां: दो बार की राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता ने एक बार फिर अपनी बहुमुखी प्रतिभा साबित की है. करीना और कृति के साथ फिल्म की सफलता का एक मजबूत कारण है. इस कम बजट वाली महिला-प्रधान फिल्म में, तीनों भारी मात्रा में सोना चुराने की साजिश रचते हैं, जो उनकी झोली में गिर जाता है. तब्बू की उनकी कॉमिक टाइमिंग और एक मध्यवर्गीय भारतीय महिला के आदर्श अवतार के लिए प्रशंसा की जा रही है. चाहे वह उनकी और करीना द्वारा उम्र के बारे में की गई व्यंग्यपूर्ण टिप्पणियां हों या अपने पति को सुरक्षा निर्देश समझाने का कठिन कार्य ही हो.

महिला-प्रधान फिल्म 'क्रू': तब्बू उभरती हुई इंडस्ट्री का एक बेहतरीन उदाहरण हैं. अपनी पहले की फिल्मों और एक बार अब 'क्रू' के साथ उन्होंने साबित कर दिया है कि सफल फिल्मों का कोई निश्चित शॉट फॉर्मूला नहीं होता है. क्रू की सफलता एक बार फिर लचीली मांसपेशियों, सिक्स पैक्स, सेक्सी लोकेशंस का उल्लेख कर रही है. पुरुष सुपरस्टार की उपस्थिति ही एकमात्र जीत का फार्मूला नहीं है.

'विजयपथ' में निभाया ग्लैमरस अभिनय: जीवन से जुड़े किरदार भी बॉक्स ऑफिस पर बड़ी कमाई कर सकते हैं. 52 वर्षीय तब्बू फातिमा ने अपना मार्ग प्रशस्त करने के लिए कड़ी मेहनत की. पहली बार 1994 में 'विजयपथ' में एक ग्लैमरस भूमिका निभाते हुए देखा गया.

'माचिस' से मिला नेशनल अवॉर्ड: 1996 में रिलीज हुई गुलजार की 'माचिस' में वीरा की अपरंपरागत भूमिका ने दुनिया ने उनकी अभिनय शक्ति को स्वीकार किया. वह उन पहली अभिनेत्रियों में से एक थीं, जिन्होंने ऐसी भूमिकाएं चुनीं. जहां, कई फिल्मों में उनके किरदारों को आगे बढ़ाने के लिए हीरो मौजूद थे तो वह इसमें वह अपने नायकों की सहायक नहीं थीं. 'माचिस' ने तब्बू को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय पुरस्कार दिलाया. 2001 में आई 'चांदनी बार' में उन्हें दूसरा दूसरा नेशनल अवॉर्ड मिला.

तब्बू फिल्मोग्राफी: उनकी फिल्मोग्राफी में 'विरासत' में गांव की लड़की, 'शेक्सपियर' के हेमलेट का रूपांतरण हैदर जैसे जटिल किरदार हैं. कभी उन्होंने शाहिद कपूर के हेमलेट की मां गर्ट्रूड की भूमिका निभाई, तो कभी 'चीनी कम' में अपने पिता से बड़े आदमी से प्यार करने वाली एक युवा महिला की किरदार निभाया. कभी खतरनाक पुलिस वाले के अभनिय के रूप में खुद को साबित किया. 'अंधदुन' की सिमी ने अपने ग्रे किरदार के चित्रण से आलोचकों को प्रभावित कर दिया.

इसके साथ ही उन्हें 'बीवी नंबर 1', 'हम साथ-साथ हैं', 'हेरा फेरी' और 'गोलमाल अगेन' जैसी हास्य फिल्मों में तब्बू को व्यावसायिक सफलता मिली. तब्बू तमिल सिनेमा की कुछ बेहतरीन फिल्मों का भी हिस्सा रही हैं. इनमें मणिरत्नम की 'इरुवर' और राजीव मेनन की 'कंदुकोंदैन कंदुकोंदैन' शामिल हैं. यह उनके करियर का शुरुआती दौर था. उन्होंने साबित कर दिया कि वह कुछ भी कर सकती हैं. चाहे वह मुख्यधारा हो या फिर नए जमाने का सिनेमा.

फिल्मों के अपने चयन से उन्होंने हमेशा यह साबित किया है कि अगर उन्हें जटिल किरदार निभाने की इजाजत दी जाए, तो उनके जैसे कलाकार जीवन को चतुराई से चित्रित कर सकते हैं. उन्होंने अपने नाम पर फिल्मों का नेतृत्व किया है. उन्होंने इरफान खान और अजय देवगन जैसे नायकों के साथ अपनी केमिस्ट्री साझा की है.

उनकी पसंद को हमेशा आत्मघाती माना गया है. अपने करियर के शुरुआती वर्षों में मां की भूमिका निभाना, 'विजयपथ' की सफलता के तुरंत बाद 'माचिस' जैसी फिल्म करना. वहीं, निम्मी जैसे खतरनाक किरदार को चित्रित करना, हर फिल्म में तब्बू ने खुद को बखूबी साबित किया है.

फिल्म उद्योग में, वह आसानी से पहला और एकमात्र चेहरा हो सकती हैं, जब लोग एक ऐसे चरित्र के बारे में सोच कर बात करते हैं. तब्बू कभी-कभी अपने द्वारा निभाए गए किरदारों का आदर्श अवतार लगती हैं. हम उनकी जगह किसी और की कल्पना भी नहीं कर सकते. निम्मी, मुमताज, सिमी, मीरा या अब गीता के रूप में उनकी जगह कौन ले सकता है?

पढ़ें: 'क्रू' के ट्रेलर लॉन्च पर स्टाइल में पहुंची करीना, तब्बू और कृति, खूबसूरत एयर होस्टेस को देख फैंस हुए गदगद

Last Updated : Apr 2, 2024, 4:15 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.