ETV Bharat / entertainment

टॉलीवुड ने 2 साल पहले सौंपी थी हेमा कमेटी जैसी रिपोर्ट, अब उठी इसे सार्वजनिक करने की मांग - Committee Report In Tollywood

Committee report In Tollywood: हेमा कमेटी की रिपोर्ट सामने आने के बाद फिल्म इंडस्ट्री में हलचल मच गई है. इसका असर अब तेलुगू फिल्म इंडस्ट्री में भी देखने को मिल रहा है. दो साल पहले टॉलीवुड में हाई लेवल कमेटी रिपोर्ट सरकार को भेजी गई थी. अब तेलंगाना में इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग बढ़ रही है.

Sexual harassment
फिल्म इंडस्ट्री में उत्पीड़न का मामला (प्रतीकात्मक फोटो) (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Entertainment Team

Published : Sep 10, 2024, 1:10 PM IST

हैदराबाद: केरल में जस्टिस हेमा कमेटी की रिपोर्ट सामने आने के बाद मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में हलचल मच गई है. इस बैकग्राउंड में तेलुगू फिल्म इंडस्ट्री के बारे में रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग की जा रही है. यह रिपोर्ट पिछले 2 साल से जारी नहीं की गई है.

अक्टूबर 2018 में तेलंगाना हाई कोर्ट ने एक आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि सरकार ने अप्रैल 2019 में 25 सदस्यों वाली एक कमेटी का गठन किया था. इस कमेटी में 12 महिलाओं की एक सब-कमेटी बनी थी . इस हाई लेवल कमेटी के स्टडी में पता चला कि इंडस्ट्री में अभिनेत्रियां, गीतकार, जूनियर आर्टिस्ट जैसी कई महिलाओं को असुरक्षा और लैंगिग भेदभाव का सामना करना पड़ा. इतना ही नहीं कई पदों पर पुरुषों का वर्चस्व भी देखने को मिला.

इंडस्ट्री में कई ऐसी महिलाएं हैं, जिनके लिए अभद्र और अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया जाता है. इतना ही नहीं, महिलाओं को बिना सेफ्टी ट्रांसपोर्ट के लेट नाइट तक काम करना पड़ता है. कई महिलाओं को रिकॉर्डिंग स्टूडियो और फिल्म सेट पर अपमानजनक अनुभवों का सामना करना पड़ता है. अगर वे इस तरह के व्यवहार के खिलाफ बोलती हैं तो उन्हें अवसर नहीं दिए जाते हैं.

1 जून 2022 को सरकार को एक रिपोर्ट सौंपी गई, जिसमें कहा गया कि वे धमकियां दे रहे हैं. इस मामले का अब तक खुलासा नहीं किया गया है और ना ही की गई सिफारिशों को लागू नहीं किया गया है.

रिपोर्ट में क्या कहा गया?

फिल्म इंडस्ट्री की कई महिलाओं ने अपने साथ हो रहे उत्पीड़न की शिकायत हमसे की है. उन्होंने बताया कि रिकॉर्डिंग स्टूडियो के साथ-साथ फिल्म सेट और ऑडिशन चैंबर में भी उन्हें अपमानित किया जाता है. उन्होंने बताया कि कई जूनियर और डायलॉग आर्टिस्ट को अपनी दिहाड़ी के लिए कई दिनों तक दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते हैं.
कुछ का कहना है कि वे कोऑर्डिनेटर और बिचौलियों पर निर्भर हैं. इस पर तेलुगू सिनेमा आर्टिस्ट एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने कहा कि उन्होंने खुलासा किया है कि जिन लोगों का नाम उनके एसोसिएशन में रजिस्टर नहीं हैं, उनका कोऑर्डिनेटर के भरोसे यौन शोषण किया जा रहा है.

रिपोर्ट्स में कहा कि वे फिल्मों, टीवी और यूट्यूब चैनलों के नाम पर महिलाओं को बुलाते हैं और बंद कमरों में ऑडिशन लेते हैं. वहां कोई और महिला नहीं होती है. ऑडिशन की रिकॉर्डिंग भी नहीं की जाती है. डांस स्कूलों में भी उन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है. एक महिला पत्रकार ने हमें बताया कि ऑडिशन में उत्पीड़न के बीज बोए जा रहे हैं और इसके लिए मैनेजर और एजेंट जिम्मेदार हैं.

अगर कोई यौन उत्पीड़न के बारे में सवाल करता है, तो उसे अवसर नहीं दिए जाते और इंडस्ट्री से बाहर निकाल दिया जाता है. कई लोग इससे डरते हैं और सच नहीं बताते. फिल्म इंडस्ट्री एसोसिएशन में कम महिलाओं को सदस्यता दी जाती है. इनमें सदस्यता शुल्क बहुत ज्यादा है, जिसकी कीमत लगभग 2 लाख से 3 लाख रुपये है. महिलाएं इसे देने में असमर्थ हैं.

सिनेमेटोग्राफी एसोसिएशन में 400 में से 2 सदस्य हैं, प्रोडक्शन एग्जीक्यूटिव एसोसिएशन में 580 में से 1 सदस्य है, कॉस्ट्यूमर्स यूनियन में 500 में से 20 सदस्य हैं. तेलुगू फिल्म डायरेक्टर्स एसोसिएशन में 1200 में से 25 सदस्य हैं और राइटर्स एसोसिएशन में 1500 में से 75 सदस्य हैं.

समिति ने कहा, 'फिल्म इंडस्ट्री में काम करने का कोई निश्चित समय नहीं है. महिलाओं ने बताया कि उन्हें सुबह 5 बजे से रात 10 बजे तक काम करना पड़ता है. टीवी इंडस्ट्री में सुबह 4 बजे से रात 8 बजे तक काम करना पड़ता है. वर्कप्लेस पर महिलाओं के लिए रहने की उचित व्यवस्था नहीं है. बाथरूम, भोजन और परिवहन की सुविधा मुश्किल है. कोई चेंजिंग रूम नहीं है. उन्हें ठीक से पेमेंट भी नहीं दिया जाता है. एजेंट उनसे कमीशन वसूल रहे हैं'.

ये हैं सिफारिशें

  • फिल्म और टीवी इंडस्ट्री में महिलाओं को सुरक्षा और संरक्षण प्रदान किया जाना चाहिए. सरकार, सिनेमेटोग्राफी, महिला एवं बाल कल्याण, श्रम और पुलिस विभागों को इसके लिए पहल करनी चाहिए.
  • महिलाओं की शिकायतों के निवारण के लिए पुलिस टीम के तहत एक हेल्पलाइन स्थापित की जानी चाहिए.
  • तेलुगू फिल्म चैंबर ऑफ कॉमर्स को उत्पीड़न की शिकायतों की जांच के लिए एक इंटर्नल कमेटी होनी चाहिए. इंडस्ट्री में हर यूनियन के पास ऐसी कमेटी होनी चाहिए.
  • यूनियनों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाया जाना चाहिए.
  • इंडस्ट्री में कोऑर्डिनेटर सिस्टम को सुव्यवस्थित किया जाना चाहिए.
  • ऑडिशन सार्वजनिक स्थानों पर आयोजित किए जाने चाहिए.
  • फिल्मांकन स्थानों पर शौचालय, चेंजिंग रूम और परिवहन सुविधाएं उपलब्ध कराई जानी चाहिए.
  • समिति ने सिफारिश की कि श्रम और महिला कानूनों को लागू किया जाना चाहिए.

यह भी पढ़ें:

हैदराबाद: केरल में जस्टिस हेमा कमेटी की रिपोर्ट सामने आने के बाद मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में हलचल मच गई है. इस बैकग्राउंड में तेलुगू फिल्म इंडस्ट्री के बारे में रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग की जा रही है. यह रिपोर्ट पिछले 2 साल से जारी नहीं की गई है.

अक्टूबर 2018 में तेलंगाना हाई कोर्ट ने एक आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि सरकार ने अप्रैल 2019 में 25 सदस्यों वाली एक कमेटी का गठन किया था. इस कमेटी में 12 महिलाओं की एक सब-कमेटी बनी थी . इस हाई लेवल कमेटी के स्टडी में पता चला कि इंडस्ट्री में अभिनेत्रियां, गीतकार, जूनियर आर्टिस्ट जैसी कई महिलाओं को असुरक्षा और लैंगिग भेदभाव का सामना करना पड़ा. इतना ही नहीं कई पदों पर पुरुषों का वर्चस्व भी देखने को मिला.

इंडस्ट्री में कई ऐसी महिलाएं हैं, जिनके लिए अभद्र और अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया जाता है. इतना ही नहीं, महिलाओं को बिना सेफ्टी ट्रांसपोर्ट के लेट नाइट तक काम करना पड़ता है. कई महिलाओं को रिकॉर्डिंग स्टूडियो और फिल्म सेट पर अपमानजनक अनुभवों का सामना करना पड़ता है. अगर वे इस तरह के व्यवहार के खिलाफ बोलती हैं तो उन्हें अवसर नहीं दिए जाते हैं.

1 जून 2022 को सरकार को एक रिपोर्ट सौंपी गई, जिसमें कहा गया कि वे धमकियां दे रहे हैं. इस मामले का अब तक खुलासा नहीं किया गया है और ना ही की गई सिफारिशों को लागू नहीं किया गया है.

रिपोर्ट में क्या कहा गया?

फिल्म इंडस्ट्री की कई महिलाओं ने अपने साथ हो रहे उत्पीड़न की शिकायत हमसे की है. उन्होंने बताया कि रिकॉर्डिंग स्टूडियो के साथ-साथ फिल्म सेट और ऑडिशन चैंबर में भी उन्हें अपमानित किया जाता है. उन्होंने बताया कि कई जूनियर और डायलॉग आर्टिस्ट को अपनी दिहाड़ी के लिए कई दिनों तक दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते हैं.
कुछ का कहना है कि वे कोऑर्डिनेटर और बिचौलियों पर निर्भर हैं. इस पर तेलुगू सिनेमा आर्टिस्ट एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने कहा कि उन्होंने खुलासा किया है कि जिन लोगों का नाम उनके एसोसिएशन में रजिस्टर नहीं हैं, उनका कोऑर्डिनेटर के भरोसे यौन शोषण किया जा रहा है.

रिपोर्ट्स में कहा कि वे फिल्मों, टीवी और यूट्यूब चैनलों के नाम पर महिलाओं को बुलाते हैं और बंद कमरों में ऑडिशन लेते हैं. वहां कोई और महिला नहीं होती है. ऑडिशन की रिकॉर्डिंग भी नहीं की जाती है. डांस स्कूलों में भी उन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है. एक महिला पत्रकार ने हमें बताया कि ऑडिशन में उत्पीड़न के बीज बोए जा रहे हैं और इसके लिए मैनेजर और एजेंट जिम्मेदार हैं.

अगर कोई यौन उत्पीड़न के बारे में सवाल करता है, तो उसे अवसर नहीं दिए जाते और इंडस्ट्री से बाहर निकाल दिया जाता है. कई लोग इससे डरते हैं और सच नहीं बताते. फिल्म इंडस्ट्री एसोसिएशन में कम महिलाओं को सदस्यता दी जाती है. इनमें सदस्यता शुल्क बहुत ज्यादा है, जिसकी कीमत लगभग 2 लाख से 3 लाख रुपये है. महिलाएं इसे देने में असमर्थ हैं.

सिनेमेटोग्राफी एसोसिएशन में 400 में से 2 सदस्य हैं, प्रोडक्शन एग्जीक्यूटिव एसोसिएशन में 580 में से 1 सदस्य है, कॉस्ट्यूमर्स यूनियन में 500 में से 20 सदस्य हैं. तेलुगू फिल्म डायरेक्टर्स एसोसिएशन में 1200 में से 25 सदस्य हैं और राइटर्स एसोसिएशन में 1500 में से 75 सदस्य हैं.

समिति ने कहा, 'फिल्म इंडस्ट्री में काम करने का कोई निश्चित समय नहीं है. महिलाओं ने बताया कि उन्हें सुबह 5 बजे से रात 10 बजे तक काम करना पड़ता है. टीवी इंडस्ट्री में सुबह 4 बजे से रात 8 बजे तक काम करना पड़ता है. वर्कप्लेस पर महिलाओं के लिए रहने की उचित व्यवस्था नहीं है. बाथरूम, भोजन और परिवहन की सुविधा मुश्किल है. कोई चेंजिंग रूम नहीं है. उन्हें ठीक से पेमेंट भी नहीं दिया जाता है. एजेंट उनसे कमीशन वसूल रहे हैं'.

ये हैं सिफारिशें

  • फिल्म और टीवी इंडस्ट्री में महिलाओं को सुरक्षा और संरक्षण प्रदान किया जाना चाहिए. सरकार, सिनेमेटोग्राफी, महिला एवं बाल कल्याण, श्रम और पुलिस विभागों को इसके लिए पहल करनी चाहिए.
  • महिलाओं की शिकायतों के निवारण के लिए पुलिस टीम के तहत एक हेल्पलाइन स्थापित की जानी चाहिए.
  • तेलुगू फिल्म चैंबर ऑफ कॉमर्स को उत्पीड़न की शिकायतों की जांच के लिए एक इंटर्नल कमेटी होनी चाहिए. इंडस्ट्री में हर यूनियन के पास ऐसी कमेटी होनी चाहिए.
  • यूनियनों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाया जाना चाहिए.
  • इंडस्ट्री में कोऑर्डिनेटर सिस्टम को सुव्यवस्थित किया जाना चाहिए.
  • ऑडिशन सार्वजनिक स्थानों पर आयोजित किए जाने चाहिए.
  • फिल्मांकन स्थानों पर शौचालय, चेंजिंग रूम और परिवहन सुविधाएं उपलब्ध कराई जानी चाहिए.
  • समिति ने सिफारिश की कि श्रम और महिला कानूनों को लागू किया जाना चाहिए.

यह भी पढ़ें:

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.