देहरादून: गुजरात के जामनगर में अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट का प्री वेडिंग सेलिब्रेशन हुआ. जिसमें खास शख्सियतों ने शिरकत की. जहां फिल्मी सितारों से लेकर खिलाड़ी और नामचीन हस्तियां शामिल हुईं. जिसमें पूर्व भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और साक्षी सिंह भी शामिल हुए. खास बात ये थी कि साक्षी धोनी उत्तराखंडी परिधान में नजर आईं.
रंगीली पिछौड़ा में नजर आईं साक्षी: दरअसल, साक्षी धोनी ने अपने इंस्टाग्राम पर अनंत राधिका मर्चेंट की प्री वेडिंग की खास पलों की झलकियां शेयर की हैं. जिसमें साक्षी उत्तराखंड के कुमाऊं की पिछौड़ा ओढ़ी नजर आ रही हैं. साथ ही गोलबंद भी पहना है. साक्षी पिछौड़ा में खूबसूरत नजर आ रही हैं. इसके अलावा महेंद्र सिंह धोनी भी खास परिधान में नजर आए.
वहीं, साक्षी ने इस खास मौके पर उत्तराखंड की संस्कृति और विरासत की पहचान रंगीली पिछौड़ा ओढ़कर प्री वेडिंग में चार चांद लगा दिए. साक्षी ने पिछौड़ा को ओढ़कर कुमाऊं की खास पहचान को देश और दुनिया में पहुंचा दिया है. इससे न केवल पिछौड़ा को दुनिया में पहचान मिली. बल्कि, साक्षी ने एक तरह से उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व भी किया है.
मूल रूप से उत्तराखंड से ताल्लुक रखते हैं माही और साक्षी: बता दें कि साक्षी रावत उत्तराखंड के देहरादून की रहने वाली हैं. जिनका विवाह 4 जुलाई 2010 को पूर्व भारतीय क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी के साथ हुआ था. जबकि, महेंद्र सिंह धोनी का पैतृक गांव भी उत्तराखंड में ही है. एमएस धोनी का मूल गांव अल्मोड़ा के ल्वाली गांव में है. यही वजह है कि साक्षी अपनी पारंपरिक परिधान में नजर आईं.
क्या होता है पिछौड़ा? उत्तराखंड में खास मौकों पर महिलाएं पिछौड़ा पहनती या ओढ़ती हैं. शादी समारोह हो या अन्य मांगलिक कार्यक्रम परिणय, यज्ञोपवीत, नामकरण, पूजा पाठ, संस्कार और तीज त्योहार आदि में महिलाएं इस परिधान को पहनती या ओढ़ती हैं. इसे शादीशुदा महिलाओं की सुहाग का प्रतीक या सुहागन की पहचान माना जाता है. यह एक विशिष्ट परिधान होता है. जो खासकर कुमाऊं में काफी प्रचलित है.
पिछौड़ा कितना आकर्षक होता है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसे पहाड़ में हर दुल्हन को पहनाया जाता है. पिछौड़ा में इस्तेमाल होने वाले हर रंग और उन रंगों से बनने वाले डिजाइन का भी अपना खास महत्व है. पिछौड़ा तैयार करने में करीब 3 मीटर लंबा और सवा मीटर चौड़ा सफेद चिकन का कपड़ा लिया जाता है. जिसे हल्दी के पीले रंग में रंगा जाता है. जिसके बाद पिछौड़ा तैयार किया जाता है.
सफेद रंग शांति, शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है. जबकि, पीला रंग आपके मन की खुशी और प्रसन्नता को जाहिर करता है. साथ ही इसमें बने शंख और स्वास्तिक के चिन्ह ऊर्जा, वैभव और धार्मिकता के सूचक माने जाते हैं. इसके बिना हर त्योहार या मांगलिक कार्य अधूरा सा लगता है.
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