हैदराबाद: बेंगलुरु: हाल ही में जस्टिस हेमा कमेटी की रिपोर्ट से मलयालम फिल्म इंडस्ट्री का काला सच उजागर हुआ है. इसके बाद से मलयालम फिल्म इंडस्ट्री के दिग्गजों के नाम सुनकर काफी चर्चा हो रही है. मॉलीवुड एक्टर डायरेक्टर्स पर गंभीर आरोप सुनने को मिले हैं और केस भी दर्ज हुए हैं. अब ऐसी ही एक कमेटी के गठन की आवाज सभी फिल्म इंडस्ट्री में सुनाई दे रही है. इसी तरह की आवाज कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री से भी आई है.
जी हां, कुछ साल पहले 'मी टू' मामले ने सिनेमा जगत की नींद उड़ा दी थी. फिल्म इंडस्ट्री फॉर राइट्स एंड इक्वेलिटी (FIRE) का गठन पहले फिल्म इंडस्ट्री में काम करने वाली महिलाओं के मुद्दों को उठाने के लिए किया गया था. एक्टर और सामाजिक कार्यकर्ता चेतन अहिंसा, निर्देशक कविता लंकेश, प्रियंका उपेन्द्र समेत कई एक्ट्रेस इसकी सदस्य थीं. अब फिल्म इंडस्ट्री फॉर राइट्स एंड इक्वेलिटी (FIRE) ने कर्नाटक सरकार से फायर कमेटी और रिटायर्ड न्यायाधीशों की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाने का आग्रह किया है.
कमेटी के सदस्य चेतन ने बताया कि फिल्म इंडस्ट्री फॉर राइट्स एंड इक्वेलिटी (FIRE) ने यौन उत्पीड़न सहित अन्य मुद्दों को उजागर करने के लिए रिटायर्ड न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाने के लिए कर्नाटक सरकार का ध्यान खींचा और इस मामले में सरकार को याचिका सौंपी. जिस पर कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री और विभिन्न क्षेत्रों के 153 लोगों ने इस याचिका पर हस्ताक्षर किए हैं. उन्होंने बताया कि यह आवेदन सरकार को सौंप दिया गया है. फायर कमेटी के जरिए कर्नाटक सरकार से दो मांगें की गई हैं. पहली रिटायर्ड न्यायाधीशों की एक कमेटी बनाई जाए और कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं की समस्याओं पर व्यवस्थित जांच की जाए. उन्हें नियम लाने के लिए कहा गया है ताकि महिलाएं कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री में स्वस्थ और समान रूप से काम कर सकें.