कान्स: प्रसिद्ध भारतीय सिनेमैटोग्राफर संतोष सिवन को कान्स फिल्म फेस्टिवल 2024 में सिनेमैटोग्राफी सम्मान में प्रतिष्ठित पियरे एंजनीक्स एक्सेललेंस से सम्मानित किया जाएगा. यह सम्मान सिवन के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है क्योंकि वह यह सम्मान पाने वाले पहले एशियाई बन जाएंगे.
23 मई को वेलकम डिनर से पहले, यह सम्मान 24 मई को एक ऑनररी इवेंट में समाप्त होगा. सिवन की उपलब्धि का जश्न मनाने के लिए बीते बुधवार को भारत पवेलियन में एक सम्मेलन भी आयोजित किया गया, जिसमें बॉलीवुड एक्ट्रेस अदिति राव हैदरी भी मौजूद रहीं.
संतोष सिवन का शानदार करियर दशकों तक फैला है, जिसमें 55 से अधिक फीचर फिल्में और कई डॉक्ययूमेंट्री शामिल हैं. उनके उल्लेखनीय कार्यों में प्रसिद्ध निर्देशक मणिरत्नम के साथ 'रोजा,' 'थलपति,' 'दिल से,' और 'इरुवर' जैसी फिल्मों में सहयोग शामिल है. सिवन की सिनेमाई कलात्मकता गुरिंदर चड्ढा की 'ब्राइड एंड प्रेजुडिस' और एमएफ हुसैन की 'मीनाक्सी' जैसी अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं तक फैली हुई है.
2013 में, कान्स फिल्म फेस्टिवल ने सिनेमैटोग्राफी पुरस्कार में पियरे एंजनीक्स एक्सेललेंस की शुरुआत की, जिसका नाम मॉर्डन जूम लेंस के अग्रणी के नाम पर रखा गया. तब से यह पुरस्कार एडवर्ड लैचमैन, एग्नेस गोडार्ड, बैरी एक्रोयड और रोजर डीकिन्स जैसे प्रसिद्ध छायाकारों को प्रदान किया गया है. यह पुरस्कार प्राप्त करके, सिवन विजुअल स्टोरीटेलिंग की कला में अपने असाधारण योगदान को उजागर करते हुए इस प्रतिष्ठित समूह में शामिल हो गए हैं.
सिवन का काम दक्षिण भारत में उनके गृह राज्य केरल की विजुअस कल्चर गहराई से निहित है. उन्होंने अपने कलात्मक दर्शन का स्पष्ट रूप से वर्णन करते हुए कहा, 'मेरे लिए, लाइट और शेड्स मेलोडी है और कैमरे की मूवमेंट रीदम है. अगर मुझे लगता है कि ये दो चीजें एक शॉट में हैं, तो मैं सबसे अधिक उत्साहित हूं. मुझे वह पसंद है.'
सिवन ने सेल्युलाइड से डिजिटल सिनेमैटोग्राफी में अपने बदलाव के बारे में भी बात की. उनकी फिल्म 'उरुमी' (2011), जिसे उन्होंने निर्देशित किया था, ने इस बदलाव की शुरुआत की, जिसमें 'थुप्पक्की' (2012) पूरी तरह से डिजिटल पर शूट की गई उनकी पहली फिल्म थी.