वाराणसी : फिल्म 'वनवास' के प्रमोशन के लिए फिल्म स्टार नाना पाटेकर, उत्कर्ष शर्मा और फिल्म अभिनेत्री सिमरत कौर वाराणसी पहुंचे. फिल्म के कलाकार दो दिन तक रहेंगे और गंगा आरती समेत तमाम कार्यक्रमों में शामिल होंगे. शुक्रवार को नाना पाटेकर और अन्य कलाकारों ने मीडिया से बातचीत करते हुए अपनी इस फिल्म के बारे में अपने अनुभवों को साझा किया.
अभिनेता नाना पाटेकर ने बातचीत करते हुए बनारस के बदले हुए स्वरूप पर आश्चर्य जाहिर किया और कहा कि 34 वर्षों पहले जब मैं बनारस आया था तो यहां पर कुछ नहीं था, लेकिन आज बनारस का एक बदला हुआ स्वरूप देखकर बहुत अच्छा लगा. बता दें कि फिल्म वनवास वाराणसी समेत कई हिस्सों में शूट की गई है. फिल्म 20 दिसंबर को रिलीज हो रही है. नाना पाटेकर ने अपने मैनेजर की तरफ से मिस मैनेजमेंट पर नाराजगी जताते हुए कहा कि यह मैनेजर नहीं डैमेजर है. इतना ही नहीं नाना पाटेकर ने अपनी फिल्म के जरिए समाज में आ रहे बदलाव पर भी टिप्पणी की.
उन्होंने कहा कि आज अभिभावक चाहते हैं कि बच्चे बाहर जाएं, पढ़े लिखें और विदेश में ही सेट हो जाएं, लेकिन किस तरह से विदेश में रहने वाले बच्चे अपने अभिभावक और अपने परिवार को भूल जाते हैं, वह इस कहानी के जरिए आपको समझ में आ जाएगा. नाना पाटेकर ने अपने जीवन के अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि मैं अपने जीवन की शुरुआत जेबरा क्रॉसिंग बनाने से की थी. मुझे 15 रुपये एक जेबरा क्रॉसिंग के मिलते थे. हम तीन दोस्त मिलकर 300 रुपए दिन में कमाते थे और 100-100 रुपये आपस में बांट लेते थे. इस वजह से मुझे किसी चीज की जरूरत महसूस नहीं होती. मेरी जरूरत काम है. मैं मुंबई से दूर अपने गांव में पहाड़ों के बीच रहता हूं. यही वजह है कि मैं खेती बाड़ी में ज्यादा बिजी रहता हूं और फिल्में भी गिनी चुनी करता हूं.
अभिनेता नाना पाटेकर ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि यह फिल्म सिर्फ एक स्टोरी नहीं, बल्कि समाज के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण संदेश है. उन्होंने कहा कि यह फिल्म सिर्फ एक पिक्चर नहीं बल्कि समाज के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण संदेश है. मेरे निजी अनुभव के साथ ही मैं इस फिल्म को साइन भी किया था. उन्होंने कहा कि मेरी मां और मेरे एक मित्र के पिता के नजदीक मेरा किरदार है. इस वजह से मैंने इसको करने के लिए हामी भरी थी. उन्होंने कहा कि मैंने कई फिल्में की हैं, लेकिन मेरी फिल्मों को देखने के बाद आपको यह साफ हो जाएगा कि मैं किस तरह की फिल्मों को करना चाहता हूं.
उन्होंने कहा कि हमने इस फिल्म में इसी तरह के फैमिली ड्राॅमा को दिखाया है. उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि मेरे घर में मेरे रहने वाले मां-बाप ही मेरे भगवान के रूप में हैं, मैं उनकी सेवा उनकी पूजा कर लूं यह मेरे लिए बड़ी बात है. मुझे मंदिर जाने की जरूरत बहुत कम पड़ती है. इस फिल्म में भी आप पिता और बेटे का रिश्ता देखेंगे. उन्होंने कहा कि जब मैं किसी शहर में जाता हूं तो सब लोग बोलते हैं कि वहां के लोग बहुत अच्छे हैं. मैं ऐसा बोलना नहीं चाहता, क्योंकि कोई शहर कोई जिला या कोई राज्य नहीं बल्कि पूरा देश एक बराबर है. उन्होंने कहा कि मैं यही कोशिश करता हूं कि सब लोगों के साथ मिल कर रहूं. मैं फिल्म का नाम बिना लिए यह कहना चाहता हूं कि जो फिल्में हजारों करोड़ों का कारोबार करती हैं, वह अहमियत नहीं रखता, बल्कि अहमियत यह रखता है कि वह फिल्म संदेश क्या देकर जाती है.
उन्होंने कहा कि जब हम शूटिंग करते हैं तो हमें कैमरा लाइट सबका ध्यान रखना होता है और उस समय मैं बोलने जाऊं मेरे बगल में अगर कोई आता है तो मैं डिस्टर्ब होता हूं और मुझे तकलीफ होती है. उस समय मेरा जो रवैया था वह गलत था. उसको लेकर मैंने माफी भी मांगी है. थोड़ा जनता को भी समझना चाहिए कि एक एक्टर क्या चाहता है. उन्होंने कहा कि बस मैं अपने काम के प्रति डिवोटेड हूं, इस वजह से ऐसी चीजों को मैं पसंद नहीं करता हूं.