सूरत: सूरत में फर्जीवाडे़ का एक नया मामला सामने आया है. सिंगनपोर पुलिस ने फर्जी मार्कशीट बनाकर धोखाधड़ी करने वाले एक बड़े रैकेट का भंडाफोड़ किया है. पुलिस ने सिंगनपोर इलाके में फर्जी मार्कशीट बनाने वाले एक एकेडमी के संचालक को गिरफ्तार किया है. जानकारी के मुताबिक पुलिस ने उसके कार्यालय से फर्जी मार्कशीट नंबर, प्रिंटर, कंप्यूटर, मेमोरी कार्ड, कूरियर कवर, पेन ड्राइव और विभिन्न विश्वविद्यालयों और संस्थानों के नाम वाले यश एजुकेशन स्टिकर की मात्रा जब्त की है.
पुलिस से उपलब्ध डिटेल के अनुसार कतारगाम रोड पर श्रीजीनगर के निवासी भरत रामजी कलाथिया ने सिंगनपोर पुलिस स्टेशन में नीलेश मगन सावलिया के खिलाफ एक आवेदन दिया. आवेदन में कहा गया था नीलेश से उसने अपने बेटे अक्षर को विदेश जाने के लिए केरल राज्य बोर्ड के हस्ताक्षर के साथ 12वीं कक्षा उत्तीर्ण होने का प्रमाण पत्र बनवाया था. लेकिन चूंकि वह सर्टिफिकेट फर्जी था, इसलिए केरल पुलिस ने जनवरी में उनके बेटे अक्षर के खिलाफ मामला दर्ज किया और उसे गिरफ्तार कर लिया. बता दें जमानत पर रिहा होने के बाद भरत कलाथिया ने मामला दर्ज कराया था.
मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस ने सिंगनपुर रोड पर यश एजुकेशन एकेडमी पर छापा मारा था. वहां से पुलिस ने यश एजुकेशन एकेडमी के संचालक नीलेश मगन सावलिया को फर्जी मार्कशीट बनाने की सामग्री के साथ गिरफ्तार कर लिया. कार्यालय की तलाशी के दौरान प्रिंटर, कंप्यूटर, यश एजुकेशन स्टिकर, माइक्रो मेमोरी कार्ड, पेन ड्राइव, डायरी और विभिन्न रबर स्टांप के साथ विभिन्न विश्वविद्यालयों की 137 फर्जी मार्कशीट भी मिलीं थी.
पुलिस पूछताछ में नीलेश सावलिया ने कबूल किया कि वह साल 2011 से इसी तरह से फर्जी मार्कशीट बना रहा है. दिल्ली में नोएडा के रहने वाले मनोजकुमार, राहुल सैनी और करण मार्कशीट बनाकर जरूरतमंद लोगों को देते थे. हालांकि, सच तो यह है कि कई लोगों ने इस फर्जी मार्कशीट के आधार पर नौकरी भी हासिल कर ली है.
डीसीपी पिनाकिन परमार ने बताया कि पिछले 14 साल से दिल्ली के ठगों मे मनोजकुमार और राहुल सैनी करण नाम के शख्स के साथ मिलकर अलग-अलग यूनिवर्सिटी की फर्जी मार्कशीट बना रहा था. फर्जी मार्कशीट बनाने वाला नीलेश सावलिया आदतन अपराधी है और एक मार्कशीट का चार्ज रु. 20 हजार से रु. 5 लाख तक करता था.
जानकारी के मुताबिक नीलेश यश एजुकेशन एकेडमी नामक संस्था चलाते हैं. एक बार जब ग्राहक नीलेश के पास पढ़ाई से संबंधित डिग्री और सर्टिफिकेट लेने आते हैं तो वह उन्हें ऑनलाइन परीक्षा देने के लिए कहता है, जिसके लिए वह राज्य परीक्षा बोर्ड और विश्वविद्यालय पाठ्यक्रम शुल्क के अनुसार रुपये और प्रक्रिया शुल्क के नाम पर 20 हजार से रु. 5 लाख तक अपना कमीशन लेता था.
डीसीपी पिनाकिन परमार ने कहा कि गिरोह के सदस्य आवेदक का डिटेल मिलने के बाद वह उस डिटेल को फरीदाबाद में मनोज और उसके साथियों को भेजता था. इसके बाद गिरोह सर्टिफिकेट तैयार कर कूरियर के जरिए सूरत में नीलेश सावलिया को भेजता था. हालांकि इस घटना से पुलिस भी हैरान है क्योंकि नीलेश 2011 से यह रैकेट चला रहा है और अब तक कई फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर लोग विदेश जाकर वहां नौकरी हासिल कर चुके हैं. बता दें पुलिस ने नीलेश सावलिया के ऑफिस से अलग-अलग यूनिवर्सिटी की कुल 137 फर्जी मार्कशीट बरामद की हैं.
जानकारी के मुताबिक आरोपी विभिन्न विश्वविद्यालयों और संस्थानों से डिग्री तैयार करते थे. जिसमें जे. एन राजस्थान विद्यापीठ, जनार्दन रायनगर विद्यापीठ, इंटरमीडिएट काउंसिल ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन दिल्ली, सिंघानिया यूनिवर्सिटी, विलियम कैरी यूनिवर्सिटी, टेक्नो ग्लोबल यूनिवर्सिटी, बुंदेलखण्ड यूनिवर्सिटी, मुंबई यूनिवर्सिटी, आईआईसी यूनिवर्सिटी, बुन्देलखण्ड यूनिवर्सिटी झांसी, काउंसिल ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन मोहाली, माध्यमिक शिक्षा परिषद यूपी, सीएमजे यूनिवर्सिटी मेघालय, इंस्टीट्यूट ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट एंड इंजीनियरिंग सूरत, छत्रपति शाहूजी महाराज यूनिवर्सिटी, सौराष्ट्र यूनिवर्सिटी, बैंगलोर यूनिवर्सिटी, चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी मेरठ, कर्नाटक ओपन यूनिवर्सिटी, ईस्टर्न इंस्टीट्यूट फॉर इंटीग्रेटेड मैनेजमेंट यूनिवर्सिटी, सीएमजे यूनिवर्सिटी शामिल है.