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बजट 2025 से आम आदमी को उम्मीदें! क्या इन परेशानियों को दूर करेंगी निर्मला सीतारमण? - UNION BUDGET

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण 8वीं बार बजट पेश करेंगी. इस बार पेश किए जा रहे बजट से आम लोगों को कई उम्मीदें हैं.

NIRAMALA SITHARAMAN
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Getty Images)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 29, 2025, 1:46 PM IST

नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को 2025-26 वित्तीय वर्ष के लिए केंद्रीय बजट पेश करेंगी. इस बजट से विभिन्न क्षेत्रों में सुधारों और प्रोत्साहनों की उम्मीद है. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण 8वीं बार बजट पेश करेंगी. वह अब तक लगातार सात बार बजट पेश कर चुकी हैं. इसमें एक अंतरिम बजट भी शामिल है. इस बार पेश किए जा रहे बजट से आम लोगों को कई उम्मीदें हैं.

आम आदमी भी बजट से राहत मिलने की उम्मीद लगाए बैठा है. दरअसल, इस समय आम आदमी महंगाई की मार झेल रहा है. खाने-पीने की चीजों के दाम से लेकर ऑटोसेक्टर तक हर क्षेत्र में महंगाई का असर दिख रहा है. ऐसे में में आम आदमी सरकार से उम्मीद कर रहा है कि वह बजट में कुछ ऐसे ऐलान करे, जिससे महंगाई कंट्रोल होने में मदद मिले.

RBI और सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूज महंगाई पर काबू नहीं पाया जा सका है. चाहें खाने-पीने का सामान हो या फिर डीजल-पेट्रोल लगभग हर चीज से दाम आसमान छू रहे हैं. इसका सबसे ज्यादा असर मिडिल क्लास और लोअर मिडिल क्लास पर पड़ रहा है. ऐसे में आम आदमी एक बार बजट से उम्मीदें कर रहा है.

टैक्स में राहत मिलने की आशा
ऐसा माना जा रहा है की इस बार सरकार आदमी को राहत देने के लिए टैक्स फ्री इनकम की लिमिट को बढ़ा सकती है. अभी ओल्ड टैक्स रिजीम में 10 लाख रुपये की वार्षिक आय से ज्यादा और नई टैक्स रिजीम में वार्षिक 15 लाख रुपये से ज्यादा आय होने पर तीस प्रतिशत टैक्स का भुगतान करना होता है. आम आदमी टैक्स छूट की सीमा में वृद्धि की डिमांड कर रहे हैं.

रोजगार बढ़ने की उम्मीद
आम आदमी को उम्मीद है कि बजट में रोजगार में इजाफा होने की उम्मीद है. दरअसल, युवा बड़ी-बड़ी डिग्री लेने के बाद भी बेरोजगार बैठे हैं और उन्हें नौकरी नहीं मिल पा रही. मां-बाप अपने बच्चों को महंगी फीस भरकर प्रोफेशनल पढ़ाई करवा रहे हैं. हालांकि, इसके बाद भी उन्हें नौकरी नहीं मिल रही है, जिससे अभिभावक काफी चिंतित हैं.

नहीं हो रहा इनकम ग्रोथ
इतना ही नहीं लोगों की सालाना आय में पिछले कई सालों में कोई खास ग्रोथ नहीं हुई है. इसके चलते उनकी सेविंग नहीं हो पाती. इतना ही नहीं कई कंपनियों ने कई साल से अपने कर्मचारियों सैलरी में इजाफा नहीं किया है. वहीं, दूसरे ओर रोजमर्रा के खर्च और महंगाई उनके लिए चिंता बनी हुई है.

यह भी पढ़ें- जरूरतमंदों पर बजट का खर्च, जानें सरकार के लिए सब्सिडी कैसे बनी चुनौती

नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को 2025-26 वित्तीय वर्ष के लिए केंद्रीय बजट पेश करेंगी. इस बजट से विभिन्न क्षेत्रों में सुधारों और प्रोत्साहनों की उम्मीद है. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण 8वीं बार बजट पेश करेंगी. वह अब तक लगातार सात बार बजट पेश कर चुकी हैं. इसमें एक अंतरिम बजट भी शामिल है. इस बार पेश किए जा रहे बजट से आम लोगों को कई उम्मीदें हैं.

आम आदमी भी बजट से राहत मिलने की उम्मीद लगाए बैठा है. दरअसल, इस समय आम आदमी महंगाई की मार झेल रहा है. खाने-पीने की चीजों के दाम से लेकर ऑटोसेक्टर तक हर क्षेत्र में महंगाई का असर दिख रहा है. ऐसे में में आम आदमी सरकार से उम्मीद कर रहा है कि वह बजट में कुछ ऐसे ऐलान करे, जिससे महंगाई कंट्रोल होने में मदद मिले.

RBI और सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूज महंगाई पर काबू नहीं पाया जा सका है. चाहें खाने-पीने का सामान हो या फिर डीजल-पेट्रोल लगभग हर चीज से दाम आसमान छू रहे हैं. इसका सबसे ज्यादा असर मिडिल क्लास और लोअर मिडिल क्लास पर पड़ रहा है. ऐसे में आम आदमी एक बार बजट से उम्मीदें कर रहा है.

टैक्स में राहत मिलने की आशा
ऐसा माना जा रहा है की इस बार सरकार आदमी को राहत देने के लिए टैक्स फ्री इनकम की लिमिट को बढ़ा सकती है. अभी ओल्ड टैक्स रिजीम में 10 लाख रुपये की वार्षिक आय से ज्यादा और नई टैक्स रिजीम में वार्षिक 15 लाख रुपये से ज्यादा आय होने पर तीस प्रतिशत टैक्स का भुगतान करना होता है. आम आदमी टैक्स छूट की सीमा में वृद्धि की डिमांड कर रहे हैं.

रोजगार बढ़ने की उम्मीद
आम आदमी को उम्मीद है कि बजट में रोजगार में इजाफा होने की उम्मीद है. दरअसल, युवा बड़ी-बड़ी डिग्री लेने के बाद भी बेरोजगार बैठे हैं और उन्हें नौकरी नहीं मिल पा रही. मां-बाप अपने बच्चों को महंगी फीस भरकर प्रोफेशनल पढ़ाई करवा रहे हैं. हालांकि, इसके बाद भी उन्हें नौकरी नहीं मिल रही है, जिससे अभिभावक काफी चिंतित हैं.

नहीं हो रहा इनकम ग्रोथ
इतना ही नहीं लोगों की सालाना आय में पिछले कई सालों में कोई खास ग्रोथ नहीं हुई है. इसके चलते उनकी सेविंग नहीं हो पाती. इतना ही नहीं कई कंपनियों ने कई साल से अपने कर्मचारियों सैलरी में इजाफा नहीं किया है. वहीं, दूसरे ओर रोजमर्रा के खर्च और महंगाई उनके लिए चिंता बनी हुई है.

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