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23 लाख का ऑफर ठुकराया, कम वेतन वाली नौकरी चुनी, दोस्त ने बताई वजह, पोस्ट वायरल - JOB AND WORK CULTURE

Job and Work Culture: युवा पेशेवर नौकरी का चयन करते समय वित्तीय पैकेज को प्राथमिकता देते हैं. लेकिन बहुत जल्द नौकरी से ऊब जाते हैं.

This professional rejects Rs 23 lakh job offer for Rs 18 lakh
प्रतीकात्मक तस्वीर (Getty Images)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 13, 2024, 5:37 PM IST

हैदराबाद: आजकल युवा पेशेवर जॉब ऑफर का मूल्यांकन करते समय अधिक वेतन पर जोर देते हैं, इसकी वजह जॉब मार्केट में बहुत ज्यादा प्रतिस्पर्धा है. ऐसे में एक कॉर्पोरेट पेशेवर ने कम वेतन वाली नौकरी का प्रस्ताव स्वीकार करके ऐसे युवाओं के लिए मिसाल पेश की है, जिसकी सोशल मीडिया में चर्चा हो रही है. उनका यह निर्णय कर्मचारियों की प्राथमिकताओं में बड़े बदलाव को भी दर्शाता है.

मार्केटिंग पेशेवर देव कटारिया ने लिंक्डइन पर एक पोस्ट साझा कर बताया कि कैसे उनके दोस्त ने हाल ही में ₹23 LPA (23 लाख रुपये प्रति वर्ष) के आकर्षक नौकरी के प्रस्ताव के बजाय ₹18 LPA की नौकरी स्वीकार करने का विकल्प चुना.

कटारिया शुरू में अपने दोस्त के इस निर्णय से सहमत नहीं थे, लेकिन उनके तर्क ने युवा पेशेवरों के बीच बढ़ते चलन पर प्रकाश डाला, जो सिर्फ वित्तीय प्रोत्साहनों को प्राथमिकता देते हैं.

लचीलापन और हाइब्रिड वर्क कल्चर
कटारिया के मित्र ने जिस कंपनी का जॉब ऑफर चुना, वह अपने हाइब्रिड वर्क कल्चर के लिए जानी जाती है, जो कर्मचारियों के प्रति लचीला रुख रखती है और सप्ताह में पांच दिन काम करने की अनुमति देती है, जो स्वस्थ कार्य-जीवन संतुलन में योगदान देता है.

वहीं, कटारिया के मित्र को जिस कंपनी से ₹23 LPA का जॉब ऑफर मिला था, वहां हफ्ते में छह दिन टाइट ड्यूटी करनी पड़ती है. इसके अलावा हाइब्रिड वर्क का कोई विकल्प नहीं है, ऐसे वर्क कल्चर में नौकरी पेशा लोगों के लिए खुद के लिए बहुत ज्यादा समय नहीं बचता है.

कटारिया ने बताया कि कैसे पिछली नौकरी के व्यस्त घंटों के कारण उनके दोस्त के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा था. इस कारण उन्होंने परिवार और व्यक्तिगत हितों को तरजीह दी. कटारिया ने पोस्ट में लिखा कि उनके दोस्त का यह निर्णय हमें याद दिलाता है कि मुआवजा सिर्फ नंबरों तक सीमित नहीं है; इसमें वह जीवन स्तर भी शामिल है जिसकी हम तलाश करते हैं.

कार्य-जीवन संतुलन जरूरी
हाल ही में हुए एक सर्वे के अनुसार, जेनरेशन जेड (1990 के दशक के आखिर और 2010 के दशक की शुरुआत में पैदा हुए लोगों की पीढ़ी) के 47 प्रतिशत पेशेवर दो साल के भीतर नौकरी छोड़ने की योजना बनाने लगते हैं और उतने ही पेशेवर कंपनियों का मूल्यांकन करते समय कार्य-जीवन संतुलन को प्राथमिकता देते हैं.

अनस्टॉप की यह रिपोर्ट 5,350 से अधिक जेनरेशन जेड और 500 एचआर पेशेवरों के सर्वेक्षण पर आधारित है. रिपोर्ट में जेनरेशन जेड के पेशेवरों के बीच बड़ी चिंता को उजागर किया गया है, जिसमें 51 प्रतिशत ने वर्तमान में नौकरी जाने का डर व्यक्त किया है.

यह भी पढ़ें- सरकारी कर्मचारियों को पेंशन की गारंटी तो प्राइवेट नौकरी करने वालों के लिए ये योजना है सही

हैदराबाद: आजकल युवा पेशेवर जॉब ऑफर का मूल्यांकन करते समय अधिक वेतन पर जोर देते हैं, इसकी वजह जॉब मार्केट में बहुत ज्यादा प्रतिस्पर्धा है. ऐसे में एक कॉर्पोरेट पेशेवर ने कम वेतन वाली नौकरी का प्रस्ताव स्वीकार करके ऐसे युवाओं के लिए मिसाल पेश की है, जिसकी सोशल मीडिया में चर्चा हो रही है. उनका यह निर्णय कर्मचारियों की प्राथमिकताओं में बड़े बदलाव को भी दर्शाता है.

मार्केटिंग पेशेवर देव कटारिया ने लिंक्डइन पर एक पोस्ट साझा कर बताया कि कैसे उनके दोस्त ने हाल ही में ₹23 LPA (23 लाख रुपये प्रति वर्ष) के आकर्षक नौकरी के प्रस्ताव के बजाय ₹18 LPA की नौकरी स्वीकार करने का विकल्प चुना.

कटारिया शुरू में अपने दोस्त के इस निर्णय से सहमत नहीं थे, लेकिन उनके तर्क ने युवा पेशेवरों के बीच बढ़ते चलन पर प्रकाश डाला, जो सिर्फ वित्तीय प्रोत्साहनों को प्राथमिकता देते हैं.

लचीलापन और हाइब्रिड वर्क कल्चर
कटारिया के मित्र ने जिस कंपनी का जॉब ऑफर चुना, वह अपने हाइब्रिड वर्क कल्चर के लिए जानी जाती है, जो कर्मचारियों के प्रति लचीला रुख रखती है और सप्ताह में पांच दिन काम करने की अनुमति देती है, जो स्वस्थ कार्य-जीवन संतुलन में योगदान देता है.

वहीं, कटारिया के मित्र को जिस कंपनी से ₹23 LPA का जॉब ऑफर मिला था, वहां हफ्ते में छह दिन टाइट ड्यूटी करनी पड़ती है. इसके अलावा हाइब्रिड वर्क का कोई विकल्प नहीं है, ऐसे वर्क कल्चर में नौकरी पेशा लोगों के लिए खुद के लिए बहुत ज्यादा समय नहीं बचता है.

कटारिया ने बताया कि कैसे पिछली नौकरी के व्यस्त घंटों के कारण उनके दोस्त के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा था. इस कारण उन्होंने परिवार और व्यक्तिगत हितों को तरजीह दी. कटारिया ने पोस्ट में लिखा कि उनके दोस्त का यह निर्णय हमें याद दिलाता है कि मुआवजा सिर्फ नंबरों तक सीमित नहीं है; इसमें वह जीवन स्तर भी शामिल है जिसकी हम तलाश करते हैं.

कार्य-जीवन संतुलन जरूरी
हाल ही में हुए एक सर्वे के अनुसार, जेनरेशन जेड (1990 के दशक के आखिर और 2010 के दशक की शुरुआत में पैदा हुए लोगों की पीढ़ी) के 47 प्रतिशत पेशेवर दो साल के भीतर नौकरी छोड़ने की योजना बनाने लगते हैं और उतने ही पेशेवर कंपनियों का मूल्यांकन करते समय कार्य-जीवन संतुलन को प्राथमिकता देते हैं.

अनस्टॉप की यह रिपोर्ट 5,350 से अधिक जेनरेशन जेड और 500 एचआर पेशेवरों के सर्वेक्षण पर आधारित है. रिपोर्ट में जेनरेशन जेड के पेशेवरों के बीच बड़ी चिंता को उजागर किया गया है, जिसमें 51 प्रतिशत ने वर्तमान में नौकरी जाने का डर व्यक्त किया है.

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