नई दिल्ली: जीएसटी काउंसिल टर्म लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसियों को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से छूट दे सकती है. हालांकि, यह निवेश कंपोनेंट वाली बीमा पॉलिसियों पर कर लगाना जारी रख सकती है. मनीकंट्रोल के एक रिपोर्ट के मुताबिक 9 सितंबर को जीएसटी काउंसिल की बैठक में इस निर्णय को औपचारिक रूप दिए जाने की संभावना है
आउटलेट के अनुसार निवेश वाले हिस्से वाली जीवन बीमा को छूट नहीं दी जाएगी. इसे छूट देने का कोई मतलब नहीं है. यह मूल रूप से एक निवेश है. निवेश नहीं, बल्कि जीवन की अनिश्चितताओं को छूट देनी है. जीएसटी से टर्म लाइफ इंश्योरेंस को छूट दिए जाने से सालाना लगभग 200 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा होने का अनुमान है. लेकिन इस फैसले से भारत में टर्म लाइफ इंश्योरेंस अधिक किफायती हो जाएगा, जिससे यह आकर्षक हो जाएगा. इससे बीमा किफायती हो जाएगा और बीमा कंपनियों के लिए वॉल्यूम बढ़ने की संभावना है.
भारत में बीमा की पहुंच अभी भी अन्य विकसित देशों की तुलना में कम है, और इससे निश्चित रूप से इस अंतर को पाटने में मदद मिलेगी.
टर्म लाइफ इंश्योरेंस क्या है?
टर्म लाइफ इंश्योरेंस एक नेट सिक्योरिटी योजना है जो पॉलिसी की अवधि के दौरान पॉलिसीधारक की मृत्यु के मामले में लाभार्थियों को वित्तीय सुरक्षा देती है. बीमा 10 से 30 साल की अवधि के लिए कवरेज देता है.
टर्म लाइफ इंश्योरेंस पर प्रीमियम क्या हैं?
टर्म लाइफ इंश्योरेंस के लिए प्रीमियम आम तौर पर कम होते हैं क्योंकि यह बिना किसी बचत या निवेश कंपोनेंट के मृत्यु लाभ देता है. अगर पॉलिसीधारक अवधि से अधिक जीवित रहता है, तो कोई भुगतान नहीं होता है जब तक कि पॉलिसी में प्रीमियम राइडर की वापसी शामिल न हो.