नई दिल्ली: इन दिनों शेयर बाजार रिकॉर्ड हाई पर कारोबार कर रहा है. ऐसे में निवेशकों के मन में कई तरह के सवाल खड़े होते है. निवेशकों को हमेशा ये डर लगा रहता है कि इस रिकॉर्ड हाई बाजार में निवेश करना सही रहेगा या नहीं? शेयर बाजार वने आज एक फिर से अपने रिकॉर्ड हाई लेवल को छू लिया, सेंसेक्स ने 82,000 का आंकड़ा पार किया तो निफ्टी ने 25,100 का आंकड़ा पार कर लिया है. ऐसे में निवेशक नया निवेश करने में डर रहे हैं. आपके मन में ऐसे कई सवाल आते होंगे, आप सोच रहे है कि निवेश करें या करेंक्शन का इंतजार करें?
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अघर आप पिछले रिकॉर्ड देखें तो 50,000 और 75,000 के लेवल पर सेंसेक्स पहुंचा था तो ये खरीदने के मौके थे. आपको डबल डिजिट में मुनाफा होगा, अगर आप पहले के रिकॉर्ड हाई लेवल पर खरीदते. एक्सपर्ट का कहना है कि 70,000 से 80,000 का 10,000 अंकों का उछाल 14.4 फीसदी की ग्रोथ को दिखाता है. 80,000 से 90,000 तक पहुंचने के लिए महज 12.5 फीसदी की बढ़ोतरी चाहिए. नए हाई के बावजूद लगातार निवेश करना एक समझदार नीति है.
निवेश मंथन के संपादक राजीव रंजन झा- निवेशकों को शेयर बाजार में सूचकांकों के ऊंचे या नीचे स्तर देख कर डरने की जरूरत नहीं होती है. इसके बदले निवेशकों को बाजार के मूल्यांकन पर नजर रखनी चाहिए. अगर मूल्यांकन बहुत ऊंचे हो गये हों, तो जरूर डरना चाहिए और जब मूल्यांकन बहुत सस्ते हो जायें तो उस समय निवेश के लिए शेयरों को चुनना सबसे अच्छा रहता है. इस समय पूरे बाजार के स्तर पर देखें तो मूल्यांकन बहुत महंगे नहीं हैं, लेकिन ऐतिहासिक औसत स्तरों या उचित मूल्यांकन स्तर से थोड़ा आगे जरूर दिख रहे हैं. यह तो बाजार में कोई नहीं कह रहा कि अभी मूल्यांकन सस्ते हैं.
ऐसे में निवेशकों के पास दो रास्ते हैं. पहला यह कि वे पूरे बाजार या किसी पूरे क्षेत्र के बारे में नजरिया बनाने के बदले चुनिंदा शेयरों पर ध्यान दें और जहां किसी कंपनी की आगे की कारोबारी संभावनाएं अच्छी होने के साथ-साथ मूल्यांकन महंगा नहीं लग रहा हो, वैसे शेयरों को चुनें. दूसरा तरीका यह है कि इंडेक्स फंडों में एसआईपी के जरिये हर महीने निवेश करते रहें, जिसमें आपके गलत होने की संभावना बहुत कम हो जाती है.