नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि छोटे पैकेजों में नारियल तेल को एडिबल ऑयल के रूप में क्लासिफाइड किया जा सकता है. सीएनबीसी-टीवी18 की रिपोर्ट के अनुसार इससे 15 साल पुराना विवाद सुलझ गया है. अदालत ने कर विभाग की याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें छोटे पैकेजों में बेचे जाने वाले नारियल तेल को हेयर ऑयल के रूप में क्लासिफाइड करने और उस पर कर लगाने की मांग की गई थी.
इस फैसले से नारियल तेल बनाने और बेचने वाली कंपनियों पर टैक्स संबंधी बड़े प्रभाव पड़ेंगे. खाद्य तेल पर जीएसटी 5 फीसदी निर्धारित है, जबकि हेयर ऑयल पर 18 फीसदी टैक्स लगता है.
इसका क्या मतलब है?
यह निर्णय इस बात पर लंबे समय से चली आ रही अस्पष्टता को स्पष्ट करता है कि छोटे पैकेजों (आमतौर पर 200 मिली या 500 मिली से कम) में बेचे जाने वाले नारियल तेल को खाद्य तेल या कॉस्मेटिक तेल के रूप में वर्गीकृत किया जाना चाहिए या नहीं.
एडिबल ऑयल पर आम तौर पर गैर-खाद्य तेलों की तुलना में कम जीएसटी या वैट दरें लगती हैं. इन पर कॉस्मेटिक या इंडस्ट्रियल प्रोडक्ट्स के रूप में टैक्स लगाया जा सकता है. इस निर्णय से छोटे पैकेज वाले नारियल तेल पर कर कम हो सकता है, जिससे निर्माताओं और उपभोक्ताओं को लाभ होगा.
नारियल तेल उत्पादकों, विशेष रूप से केरल और तमिलनाडु (प्रमुख नारियल उत्पादक राज्य) को उत्पाद के वर्गीकरण की अलग-अलग राज्य व्याख्याओं के कारण कानूनी और वित्तीय चुनौतियों का सामना करना पड़ा है.