नई दिल्ली: यूपीआई सेवाओं के माध्यम से डिजिटल भुगतान प्रणाली में बड़े बदलाव की पहल करने वाला भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) एक और नई तरह की सेवा शुरू करने जा रहा है. बताया जा रहा है कि बैंक लोन लेना आसान बनाने के लिए जल्द ही राष्ट्रीय स्तर पर 'यूनिफाइड लेंडिंग इंटरफेस' (यूएलआई) शुरू किया जाएगा. आरबीआई ने पिछले साल 'फ्रिक्शनलेस क्रेडिट' नाम से एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया था. इसके सफल नतीजों के मद्देनजर जल्द ही देशभर में इन सेवाओं का विस्तार करने की तैयारी है.
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि डिजिटल पेमेंट सिस्टम में यूपीआई जैसी भूमिका निभा रहा है, 'यूएलआई' भी बैंक लोन देने में वैसी ही भूमिका निभाएगा.
यूएलआई भारत के डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के सफर में अहम भूमिका निभाने जा रहा है. उन्होंने बेंगलुरु में आयोजित एक कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेते हुए यह बात कही.
शक्तिकांत दास ने कहा कि जेएएम, यूपीआई, यूएलआई, सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी धीरे-धीरे जारी की जा रही हैं. यह भारत के डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के सफर में एक क्रांतिकारी कदम है. इससे इसकी विभिन्न शाखाओं के बीच संपर्क बढ़ेगा. नतीजतन, बिना किसी दस्तावेज के, कुछ ही पलों में लोन देना संभव हो जाएगा.
यूएलआई कैसे काम करता है?
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि यूएलआई भूमि रिकॉर्ड और अन्य महत्वपूर्ण डिजिटल सूचनाओं के आधार पर काम करता है. इससे लोन स्वीकृति प्रक्रिया सरल हो जाएगी. शक्तिकांत दास ने बताया कि लोन पाने के लिए अब किसी तरह के डॉक्युमेंटेशन की जरूरत नहीं है. बताया जा रहा है कि इससे मुख्य रूप से एमएसएमई और कृषि लोन जारी करने में तेजी आएगी.
साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया है कि इससे ग्रामीण लोगों और छोटी रकम के लोन के लिए प्रयासरत लोगों को तेजी से लोन मिल सकेगा. आरबीआई ने पिछले साल 17 अगस्त को फ्रिक्शनलेस क्रेडिट नाम से एक पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च किया था. इसे आरबीआई के रिजर्व बैंक इनोवेशन हब ने किया था. इसकी सफलता को देखते हुए अब यूएलआई लॉन्च करने की तैयारी की जा रही है.