नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) 6 से 8 फरवरी तक चलने वाली है. इस बैठक में रेपो रेट को बढ़ाने या घटाने पर चर्चा की जाएगी. इस चर्चा के बाद आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास 8 फरवरी को अपनी मौद्रिक नीति की घोषणा करेंगे. आरबीआई गवर्नर की अध्यक्षता में छह सदस्यीय पैनल इस पर विचार-विमर्श करेगा. बता दें कि तीन दिनों के लिए रेपो रेट परंपरा के अनुसार, आरबीआई गवर्नर गुरुवार सुबह 10 बजे एमपीसी के फैसले का खुलासा करेंगे, उसके बाद मीडिया को संबोधित करेंगे.
आरबीआई नीतिगत रेपो रेट को स्थिर रख सकता
कई अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि भारत का केंद्रीय बैंक ब्याज दरों को 6.5 फीसदी पर अपरिवर्तित रखेगा. आरबीआई ने दरों को अब एक साल के लिए स्थिर रखा है, आखिरी बढ़ोतरी फरवरी 2023 में देखी गई थी. पिछले कुछ वर्षों में ज्यादातर वैश्विक विकास जैसे कि कोविड-19 महामारी या यूक्रेन युद्ध से प्रेरित होकर, मुद्रास्फीति या तो आरबीआई के 4-6 फीसदी सहनशीलता स्तर से ऊपर या उच्च सीमा पर रही. पिछले साल जुलाई में 7.44 फीसदी को छूने के बाद दिसंबर 2023 में मुद्रास्फीति घटकर 5.69 फीसदी पर आ गई.
मॉनेटरी पॉलिसी की बैठक क्यों होती है?
आरबीआई, अधिनियम, 1934 और 2016 संशोधन के तहत, केंद्रीय बैंक को विकास के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए मूल्य स्थिरता बनाए रखने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ भारत की मौद्रिक नीति के संचालन की जिम्मेदारी सौंपी गई है. मुद्रास्फीति लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एमपीसी को साल में कम से कम चार बार बैठक करने की आवश्यकता होती है. सभी छह सदस्यों को रेट पर निर्णय लेने के लिए वोट करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है, साथ ही राज्यपाल को किसी भी स्थिति में दोबारा वोट करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है.