नई दिल्ली: भारत में भीषण गर्मी के बीच डिहाइड्रेशन से बचाव के लिए ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन (ओआरएस) की बिक्री में उछाल देखने को मिल रहा है. फार्माट्रैक के आंकड़ों के मुताबिक इस भीषण गर्मी में मई में पिछले साल की तुलना में बिक्री में 20 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी हुई है. हाई टेंपरेचर के हेल्थ पर सबसे बड़ा प्रभाव डायरिया है. डिहाइड्रेशन से बचाव के लिए लोग अक्सर सस्ते और प्रभावी ओआरएस को चुनते है, जिसमें अत्यधिक पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स होता है.
फार्माट्रैक द्वारा साझा किए गए ट्रेंड डेटा के अनुसार, ओआरएस के बाजार में मौसमी प्रवृत्ति है, जिसमें फरवरी से तापमान बढ़ने के साथ खपत बढ़ जाती है. हालांकि जून और जुलाई में मानसून का आगमन होता है. लेकिन खपत अधिक रहती है क्योंकि मानसून में बहुत सी जल जनित बीमारियां होती हैं. इससे पेचिश और डायरिया जैसी बीमारियां होती हैं.
ओआरएस के फायदे
ओआरएस किसी भी घर में आसानी से उपलब्ध सामग्री को मिलाकर बनाया जाता है. ओआरएस डायरिया से होने वाली बीमारियों के बाद डिहाइड्रेशन से अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता को कम करता है.
वैसे तो भारत में तापमान आमतौर पर मई और जून में सबसे ज्यादा होता है. लेकिन इस मौसम में उत्तर-पश्चिमी और पूर्वी इलाकों में सामान्य दिनों की तुलना में दोगुने से ज्यादा गर्मी के दिन देखे गए हैं. देश के कई हिस्सों में तापमान नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है, जहां दिल्ली के दो इलाकों में एक दिन पहले 49.9 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया, जो शहर के लिए अब तक का सबसे ज्यादा तापमान है.
क्या कहते हैं आंकड़े?
आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल मई के महीने में बाजार ने 84 करोड़ रुपये के ORS घोल के 6.8 करोड़ पाउच बेचे है. इसकी तुलना में पिछले साल मई में 69 करोड़ रुपये की 5.8 करोड़ यूनिट बेची गई थीं. पिछले चार सालों में ORS का मूविंग एनुअल टर्नओवर (MAT) दोगुने से ज्यादा हो गया है. मई 2020 में मूविंग एनुअल टर्नओवर (MAT) 334 करोड़ रुपये रहा, जो मई 2024 में बढ़कर 716 करोड़ रुपये हो गया है.
ओआरएस क्यों महत्वपूर्ण है?
ओआरएस को इस सदी की सबसे महत्वपूर्ण मेडिकल ट्रीटमेंट कहा जाता है. इसके लिए किसी विशेषज्ञता या चिकित्सा ज्ञान की आवश्यकता नहीं होती है, और इसलिए, यह दुनिया के दूरदराज के इलाकों में भी जीवन बचाता है, जहां स्वास्थ्य सेवा की पहुंच नहीं है.