नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने माइक्रोसॉफ्ट के स्वामित्व वाले नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म लिंक्डइन पर सरकार की प्रमुख योजना मेक इन इंडिया के दस साल पूरे होने का जश्न मनाया. इस योजना को 25 सितंबर 2014 को भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए लॉन्च किया गया था. क्योंकि मैन्युफैक्चरिंग और कृषि देश के सकल घरेलू उत्पाद में एक छोटे से हिस्से का योगदान करते हैं. जबकि सेवा क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था में 50 फीसदी से अधिक की हिस्सेदारी रखता है.
प्रधानमंत्री ने लिंक्डइन पर लिखा कि आज आप में से हर एक को सलाम करने का अवसर है, जिन्होंने इस पहल को एक बड़ी सफलता बनाया है. आप में से हर एक अग्रणी, दूरदर्शी और इनोवेशन है, जिनके अथक प्रयासों ने 'मेक इन इंडिया' की सफलता को बढ़ावा दिया है. इस तरह हमारे देश को वैश्विक ध्यान और जिज्ञासा का केंद्र बनाया है.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह एक सामूहिक प्रयास था और इसका प्रभाव दिखाता है कि 'भारत' अजेय है. उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा प्रयास था जो दस साल पहले एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य के साथ शुरू हुआ था. मैन्युफैक्चरिंग में भारत की प्रगति को बढ़ाना, यह सुनिश्चित करना कि हमारा जैसा प्रतिभाशाली राष्ट्र केवल आयातक न होकर निर्यातक भी हो. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस कार्यक्रम का प्रभाव सभी क्षेत्रों में दिखाई दे रहा है.
मोबाइल हैंडसेट
मोबाइल हैंडसेट के घरेलू मैन्युफैक्चरिंग योजना की सफलता को दिखाने के लिए कई उदाहरण दिए, विशेष रूप से देश में मोबाइल फोन के घरेलू विनिर्माण में तेजी से वृद्धि हो रही है.
प्रधानमंत्री ने लिखा कि 2014 में, हमारे पास पूरे देश में केवल दो मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट थीं. आज, यह संख्या बढ़कर 200 से अधिक हो गई है. हमारा मोबाइल निर्यात मात्र 1,556 करोड़ रुपये से बढ़कर 1.2 लाख करोड़ रुपये हो गया है - यह आश्चर्यजनक 7500 फीसदी की वृद्धि है! आज, भारत में उपयोग किए जाने वाले 99 फीसदी मोबाइल फोन मेड इन इंडिया हैं. हम वैश्विक स्तर पर दूसरे सबसे बड़े मोबाइल निर्माता बन गए हैं.
दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश होने के नाते भारत पारंपरिक रूप से मोबाइल फोन, खास तौर पर चीन से आयातित मोबाइल हैंडसेट का बड़ा आयातक रहा है. आज भी भारत के मोबाइल हैंडसेट बाजार पर श्याओमी, ओप्पो, वीवो और आईटेल जैसी चीनी कंपनियों का दबदबा है. हालांकि इनमें से कई कंपनियां देश में ही अपना उत्पादन कर रही हैं. दक्षिण कोरियाई टेक दिग्गज सैमसंग ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के आसपास के क्षेत्र में एक बड़ी प्रोडक्शन यूनिट स्थापित की है.
स्टील सेक्टर
प्रधानमंत्री ने जिस दूसरी सफलता की कहानी के बारे में बात की, वह है घरेलू स्टील निर्माण को बताया. प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे स्टील उद्योग को देखें – हम तैयार स्टील के नेट निर्यातक बन गए हैं, जिसका उत्पादन 2014 से 50 फीसदी से अधिक बढ़ा है.
मोबाइल हैंडसेट निर्माण और स्टील उद्योग के अलावा, सोलर एनर्जी एक और क्षेत्र है जहां प्रधानमंत्री मोदी की सरकार घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है.
उन्होंने कहा कि रेनेवेबल एनर्जी में, हम वैश्विक स्तर पर चौथे सबसे बड़े उत्पादक हैं. इसकी क्षमता में सिर्फ एक दशक में 400 फीसदी की वृद्धि हुई है. हमारा इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग, जो 2014 में व्यावहारिक रूप से अस्तित्व में नहीं था, अब 3 बिलियन डॉलर का है.
प्रधानमंत्री ने एक अन्य प्रमुख योजना - आत्मनिर्भर भारत के तहत देश के रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने के बारे में भी बात की, जिसे कोविड-19 वैश्विक महामारी के मद्देनजर रक्षा क्षेत्र सहित अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में आयात पर देश की निर्भरता को कम करने के लिए शुरू किया गया था.
उन्होंने कहा कि भारत न केवल रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए काम कर रहा है, बल्कि वह 85 से अधिक देशों को अपने रक्षा हार्डवेयर का निर्यात भी कर रहा है, क्योंकि देश का रक्षा निर्यात हाल के वर्षों में 1,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 21,000 करोड़ रुपये हो गया है.
सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग के लिए भारत का बड़ा प्रयास
कोविड-19 वैश्विक महामारी और बाद में यूरोप में रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में बाधा आई है. परिणामस्वरूप, 2021 में भारत के ऑटोमोटिव क्षेत्र का उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हुआ. इसने भारत की कमजोरी और आयातित चिप्स या सेमी-कंडक्टर पर अत्यधिक निर्भरता को दिखाया, जो आज मोबाइल फोन, टैबलेट, लैपटॉप जैसे अधिकांश इलेक्ट्रॉनिक सामान और टेलीविजन, फ्रिज, वाशिंग मशीन और एयर-कंडिशनर जैसे ऑटोमोबाइल और घरेलू सामान को पावर देते हैं.
भारत द्वारा वैश्विक चिप असेंबलरों और उत्पादकों को देश में लाने के हाल के प्रयासों के बारे में बात करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश आकर्षित किया है.
उन्होंने कहा कि पांच प्लांट को मंजूरी मिलने से इनकी संयुक्त क्षमता प्रतिदिन 7 करोड़ से अधिक चिप्स बनाने की होगी.
खिलौना क्षेत्र
अपने मासिक रेडियो टॉक शो- 'मन की बात' को याद करते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उन्होंने इस रेडियो टॉक शो में पहले ही जीवंत खिलौना उद्योग की आवश्यकता के बारे में बात की थी.
हमारे लोगों ने दिखाया कि यह कैसे किया जाता है! पिछले कुछ वर्षों में, हमने निर्यात में 239 फीसदी की वृद्धि देखी है. आयात आधे से भी कम हो गए हैं, जिससे विशेष रूप से हमारे स्थानीय निर्माताओं और विक्रेताओं को लाभ हुआ है, छोटे बच्चों का तो कहना ही क्या.
प्रधानमंत्री मोदी ने मेक इन इंडिया कार्यक्रम की सफलता के एक शानदार उदाहरण के रूप में शानदार वंदे भारत ट्रेनों के बारे में भी बात की.
आज के भारत के कई प्रतीक - हमारी वंदे भारत ट्रेनें, ब्रह्मोस मिसाइलें और हमारे हाथों में मोबाइल फोन - सभी गर्व से मेक इन इंडिया लेबल को दिखाते हैं. इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर अंतरिक्ष क्षेत्र तक, यह भारतीय सरलता और गुणवत्ता का प्रतिनिधित्व करता है.
देश के मध्यम और लघु उद्योगों (एमएसएमई क्षेत्र) पर इस योजना के सकारात्मक प्रभाव के बारे में बात करते हुए, जो मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार देते हैं, प्रधानमंत्री ने कहा कि एमएसएमई क्षेत्र पर इसका प्रभाव उल्लेखनीय है.
आगे की राह - उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उनकी सरकार अपने तीसरे कार्यकाल में इस भावना को और भी मजबूत बनाने के लिए प्रतिबद्ध है. उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाएं गेम चेंजर रही हैं, जिससे हजारों करोड़ रुपये का निवेश संभव हुआ है और लाखों नौकरियां पैदा हुई हैं. हमने व्यापार करने में आसानी के मामले में भी महत्वपूर्ण प्रगति की है.