नई दिल्ली: नॉर्वे के केंद्रीय बैंक ने घोषणा की कि वह ईथिकल कारणों से तीन कंपनियों को अपने सरकार पेंशन फंड से बाहर निकाल रहा है. इसमें अडाणी पोर्ट, स्पेशल इकोमॉमिक जोन, अमेरिका की एल3हैरिस टेक्नोलॉजीज और चीन की वीचई पावर शामिल है. युद्ध और संघर्ष क्षेत्रों में मानवाधिकारों के उल्लंघन में कंपनी की भागीदारी के 'अस्वीकार्य' जोखिमों के कारण अडाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन को नॉर्वे के USD1.7 ट्रिलियन सॉवरेन वेल्थ फंड के पोर्टफोलियो से रोक दिया गया है.
अरबपति गौतम अडाणी की परिवहन और लॉजिस्टिक्स कंपनी 2022 के शुरुआत में म्यांमार में एक बंदरगाह टर्मिनल में इसकी भागीदारी के कारण एनबीआईएम द्वारा निगरानी में है. सॉवरेन वेल्थ फंड के प्रबंधक, नोर्गेस बैंक ने एक बयान में घोषणा की कि उसने चीन की वीचाई पावर, भारत के अडाणी पोर्ट्स और स्पेशल इकोनॉमिक जोन और एल3हैरिस टेक्नोलॉजीज को बाहर रखने का विकल्प चुना है.
बैंक के अनुसार, ट्रांसपोर्ट इकपमेंट बनाने वाली कंपनी वीचाई पावर को भी इस चिंता के कारण फंड से प्रतिबंधित किया जा रहा है कि चीनी बिजनेस शत्रुता में लगे देशों को हथियारों के हस्तांतरण का समर्थन करता है, जहां "हथियारों का उपयोग उन तरीकों से किया जाता है जो अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन करते हैं.
बैंक के अनुसार, अमेरिकी का एल3हैरिस भी इस फंड के लिए पात्र नहीं है क्योंकि वह परमाणु हथियारों के लिए भागों का विकास और उत्पादन करता है.
नॉर्वे का सॉवरेन वेल्थ फंड
नॉर्वे की ऑयल वेल्थ का मैनेज करने और वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लिए दीर्घकालिक बचत देने के लिए, सरकारी पेंशन फंड ग्लोबल की स्थापना की गई थी. इस फंड की स्थापना 1969 में उत्तरी सागर में तेल की खोज के जवाब में, तेल राजस्व को जिम्मेदारी से प्रबंधित करने और आर्थिक असंतुलन को रोकने के लक्ष्य के साथ की गई थी. इस फंड की स्थापना 1990 में पारित कानून द्वारा की गई थी, और पहली जमा राशि 1996 में बनाई गई थी. यह विश्व स्तर पर सबसे बड़े सॉवरेन वेल्थ फंड में से एक है.