नई दिल्ली : भारत सरकार ने एआई मिशन को लेकर बड़ा कदम उठाया है. केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि कैबिनेट ने देश में एआई विकास को प्रोत्साहित करने के लिए पांच साल के लिए 10,372 करोड़ रुपये के आउटले के साथ भारत एआई मिशन को मंजूरी दी है. इन पैसे का यूज सार्वजनिक-निजी भागीदारी में एक उच्च-स्तरीय स्केलेबल एआई इकोसिस्टम के निर्माण के लिए किया जाएगा. साथ ही भारत एआई मिशन जो एआई सेगमेंट और इस क्षेत्र में चल रहे रिसर्च को प्रोत्साहित करेगा.
भारत ने जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के आसपास के अवसरों को अनलॉक करने में वर्तमान में मौजूद एक प्रमुख कमी को दूर करने के लिए पहला कदम उठाया है, वह है कंप्यूटिंग हार्डवेयर. जैसा कि सरकार ने पांच साल के लिए 10,372 करोड़ रुपये आवंटित किए है, लेकिन इस क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा दे सकती है. निजी कंपनियां देश में डेटा सेंटर स्थापित कर रही हैं, और स्टार्टअप को पहुंच की अनुमति दे रही हैं ताकि वे अपने जेनरेटिव एआई मॉडल का परीक्षण और निर्माण कर सकें.
भारत में एआई बाजार
मार्केट रिसर्च फर्म स्टेटिस्टा की अंतर्दृष्टि के अनुसार, भारत में एआई बाजार का आकार 2023 में 4.1 बिलियन डॉलर से अधिक तक पहुंच गया है. मशीन लर्निंग (एमएल) की हिस्सेदारी 2.7 बिलियन डॉलर के साथ सबसे बड़ी है.
एआई सिस्टम को प्रशिक्षित करना
सरकार ने इसके लिए टोटल बजट 4,564 करोड़ रुपये कंप्यूटिंग इंफ्रास्टक्चर बनाने के लिए रखे गए है. एनवीडिया की ए100 चिप - जिसे एआई एप्लिकेशन के लिए सबसे अत्याधुनिक माना जाता है. इसकी कीमत लगभग 10,000 डॉलर है, जिसका मतलब है कि 10,000 ऐसी ग्राफिक्स प्रोसेसिंग इकाइयों (जीपीयू) के डेटा सेंटर की लागत कम से कम 100 मिलियन डॉलर (800 करोड़ रुपये से अधिक) हो सकती है. यह सारा काम सरकार और प्राइवेट कंपनियों के बीच पार्टनरशिप से होगा. टोटल बजट का 50 फीसदी सरकार देगी. बाकी प्राइवेट कंपनियों देंगी. अगर कंप्यूटिंग की कीमतें कम होती है तो प्राइवेट कंपनियों को उसी बजट में और अधिक कंप्यूटिंग पावर लगानी होगी.
बता दें कि इस मिशन के तहत एक राष्ट्रीय डेटा प्रबंधन कार्यालय स्थापित किया जाएगा जो डेटा की गुणवत्ता में सुधार करने और उन्हें एआई विकास और तैनाती के लिए उपलब्ध कराने के लिए विभिन्न सरकारी विभागों और मंत्रालयों के साथ समन्वय करेगा.
अगले पांच साल क्या है सरकार का प्लान?
एआई मिशन के तहत सरकार का10 हजार से अधिक GPU यूनिट्स लगाने का प्लान है. ये GPU एआई को चलाने में मदद करेंगे. इसके अलावा सरकार हिंदी सहित अन्य भारतीय भाषाओं पर आधारिच डेटासेट्स के साथ 100 अरब से अधिक पैरामीटर्स वाले फाइंडेशन मॉडल्स भी डेवलप करेगी. बता दें कि इन मॉडल का सरकार स्वास्थ्य देखभाल, कृषि जैसे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में यूज करेगी.
अभी तक एआई से जुड़े बड़े सिस्टम और सॉफ्टवेयर को विदेशों से मंगवाने पड़ते थे. लेकिन इस एआईइंडिया मिशन के तहत भारत में ही ऐसे सिस्टम बनाने की कोशिश की जाएगी. इससे भारतीय साइंटिस्ट और कंपनियों को नई चीजें सिखने में मदद मिलेगी. इस मिशन से कई और भी फायदे है जैसे आजकल के युवा एआई का यूज कर के कई नई चीजे बना रहे है. इस मिशन के तहत सरकार युवाओं को फंडिग देकर उनकी मदद करेगी और रोजगार के नए अवसर बनाएगी.
इंडिया एआई मिशन के फायदे
- इंडियाएआई कंप्यूट फीचर- इंडियाएआई कंप्यूट भारत के तेजी से बढ़ते एआई स्टार्ट-अप और रिसर्च इकोसिस्टम की बढ़ती मांगों को पूरा करने के लिए एक उच्च-स्तरीय स्केलेबल एआई कंप्यूटिंग इकोसिस्टम का निर्माण करेगा. इस इकोसिस्टम में सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से निर्मित 10,000 या अधिक ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट (जीपीयू) का एआई कंप्यूट इंफ्रास्ट्रक्चर शामिल होगा. इसके अलावा, एआई इनोवेटर्स को एक सेवा और पूर्व-प्रशिक्षित मॉडल के रूप में एआई की पेशकश करने के लिए एक एआई मार्केटप्लेस डिजाइन किया जाएगा. यह एआई इनोवेशन के लिए महत्वपूर्ण संसाधनों के लिए वन-स्टॉप समाधान के रूप में काम करेगा.
- इंडिया एआई इनोवेशन सेंटर- इंडियाएआई इनोवेशन सेंटर महत्वपूर्ण क्षेत्रों में स्वदेशी बड़े मल्टीमॉडल मॉडल (एलएमएम) और डोमेन-विशिष्ट बेसिक मॉडल के विकास और तैनाती का काम करेगा.
- इंडिया एआई डेटासेट प्लेटफॉर्म- इंडियाएआई डेटासेट प्लेटफॉर्म एआई इनोवेशन के लिए गुणवत्ता वाले नॉन पर्सनल डेटासेट तक पहुंच को सुव्यवस्थित करेगा. भारतीय स्टार्टअप और रिसर्चर को नॉन पर्सनल डेटासेट तक पहुंच के लिए एक इंटीग्रेटेड डेटा प्लेटफॉर्म डेवलप किया जाएगा.
- इंडिया एआई एप्लीकेशन डेवलपमेंट इनिशिएटिव- इंडियाएआई एप्लीकेशन डेवलपमेंट इनिशिएटिव केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य विभागों और अन्य संस्थानों से प्राप्त समस्या डिटेल्स के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों में एआई एप्लिकेशन को बढ़ावा देगा.
- इंडिया एआई फ्यूचर स्किल्स- इंडियाएआई फ्यूचर स्किल्स की संकल्पना एआई कार्यक्रमों में प्रवेश की बाधाओं को कम करने के लिए की गई है. यह अंडर ग्रेजुएट मास्टर लेवल और पीएचडी में एआई पाठ्यक्रमों को बढ़ाएगी. इसके अलावा, बुनियादी स्तर के पाठ्यक्रम प्रदान करने के लिए भारत भर के टियर 2 और टियर 3 शहरों में डेटा और एआई लैब्स स्थापित की जाएंगी.
- इंडिया एआई स्टार्टअप फाइनेंसिंग- इंडियाएआई स्टार्टअप फाइनेंसिंग स्तंभ की परिकल्पना डीप-टेक एआई स्टार्टअप को समर्थन और गति देने और उन्हें भविष्य की एआई परियोजनाओं को सक्षम करने के लिए फंडिंग तक सुव्यवस्थित पहुंच प्रदान करने के लिए की गई है.
- सुरक्षित और विश्वसनीय एआई- एआई के जिम्मेदार विकास, तैनाती और अपनाने को आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त रेलिंग की आवश्यकता को पहचानते हुए, सुरक्षित और विश्वसनीय एआई पीलर स्वदेशी उपकरणों और ढांचे के विकास, स्व-मूल्यांकन सहित जिम्मेदार एआई परियोजनाओं के कार्यान्वयन को सक्षम करेगा.
सरकार के अनुसार, IndiaAI मिशन भारत की तकनीकी स्वायत्तता की रक्षा करते हुए रचनात्मकता को आगे बढ़ाएगा और आंतरिक क्षमताओं को बढ़ाएगा. इसके अतिरिक्त, इसका उद्देश्य देश के जनसांख्यिकीय लाभ का लाभ उठाते हुए रोजगार के अवसर पैदा करना है जिसके लिए उन्नत कौशल की आवश्यकता होती है.
इंडिया एआई से सरकार को क्या होगा फायदा?
इंडिया एआई मिशन की घोषणा कैबिनेट द्वारा 1.26 लाख करोड़ रुपये की चिप परियोजनाओं को मंजूरी देने के एक हफ्ते बाद हुई, जिसमें देश का पहला कमर्शियल मैन्युफैक्चरिंग प्लांट भी शामिल हो सकता है. भारत ने इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग को एक प्रमुख आर्थिक चालक के रूप में पहचाना है. सरकार मैन्युफैक्चरिंग को चालू करने के लिए पैसा खर्च करने को तैयार है.
यह एक ऐसी रणनीति है जिसका अनुसरण यूरोपीय संघ भी कर रहा है. एआई के अत्यधिक विनियमन पर चिंताओं को दूर करने के लिए, जो नवाचार को बाधित कर सकता है, यूरोपीय आयोग ने इस साल की शुरुआत में बड़े पैमाने पर एआई मॉडल बनाने के लिए स्टार्टअप और अन्य व्यवसायों को हार्डवेयर - जैसे सुपर कंप्यूटर और कंप्यूटिंग क्षमता - तक पहुंचने में सक्षम बनाने के लिए नियमों का एक सेट जारी किया था.
कैबिनेट ने विकास के विभिन्न स्तरों पर डीपटेक स्टार्टअप्स के सरकार द्वारा वित्तपोषण को मंजूरी दे दी है. कुल परिव्यय में से लगभग 2,000 करोड़ रुपये इसके लिए निर्धारित किये गये हैं.