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टाटा फैमली में सब एक से बढ़कर एक, कहां से आया मिस्त्री परिवार, जानें जमशेदजी से माया तक... - TATA Business Journey

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jun 20, 2024, 6:01 AM IST

TATA Business Journey- देश में टाटा परिवार का नाम अलग है. टाटा समूह नमक से लेकर सॉफ्टवेयर तक फैला हुआ है. आइए इस खबर में जमशेदजी टाटा से लेकर रतन टाटा और माया टाटा तक के उनके परिवार के बारे में जानते है. पढ़ें पूरी खबर...

TATA Business Journey
(फाइल फोटो) (Getty Image)

नई दिल्ली: टाटा समूह के बारे में जिक्र करने की जरुरत नहीं है. इसे हर कोई जानता है. दुनिया भर में यह कंपनी नमक से लेकर सॉफ्टवेयर तक करीब 100 सेक्टर में कारोबार कर रही है. साथ ही टीसीएस और टाटा मोटर्स भी अच्छा प्रदर्शन कर रही है. आज हम इस खबर के माध्यम से जानते है टाटा परिवार बारे में , जो करीब 150 सालों से देश के कारोबारी क्षेत्र में अपना परचम लहरा रहा है.

आइये जानते है जमशेदजी टाटा से लेकर रतन और माया टाटा तक और उनके कारोबार को.

  1. जमशेदजी टाटा- जमशेदजी टाटा का जन्म साल 1839 में गुजरात के नवसारी जिले में हुआ था. वे बहुत ही देशभक्त थे. जमशेदजी टाटा अपने कारोबार के जरिए कुछ लोगों को आजीविका देना चाहते थे. साल 1868 में सबसे पहले कपास का कारोबार शुरू किया. उसके बाद आलीशान होटल और ताज होटल बनाए गए. जमशेद की मौत के बाद उनका कारोबार उनके बेटे दोराबजी टाटा को सौंप दिया गया. जमशेद जी टाटा द्वारा किए गए कारोबार - कपास, स्टील, कपड़ा
  2. दोराबजी टाटा- दोराबजी टाटा का जन्म साल 1959 में हुआ था. उन्हें कारोबार अपने पिता जमशेदजी टाटा से विरासत में मिला था. दोराबजी ने बिजनेस में वह सब हासिल किया जो उनके पिता हासिल करना चाहते थे. टाटा समूह काफी विस्तार कर चुका है. दोराबजी टाटा को खेल बहुत पसंद थे. इसीलिए उन्होंने 1924 में पेरिस ओलंपिक में जाने वाली भारतीय टीम को वित्तीय सहायता प्रदान की थी. उन्होंने अपनी पत्नी की मृत्यु के बाद एक ट्रस्ट की स्थापना की. यह जाति, नस्ल और धर्म से परे सभी की मदद करता है. यह शोध में भी मदद करता है और आपदा न्यूनीकरण उपाय करता है. इसे सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट कहा जाता था. दोराबजी टाटा द्वारा किए गए बिजनेस - टाटा पावर, न्यू इंडिया एश्योरेंस (अब सरकार द्वारा संचालित)
  3. रतनजी टाटा- जमशेदजी टाटा के छोटे बेटे रतनजी टाटा भी बिजनेस में माहिर थे. वे बहुत दान-पुण्य करते थे. रतनजी टाटा आपदा राहत गतिविधियों में शामिल थे. शैक्षणिक संस्थानों, स्वास्थ्य सेवाओं के लिए धन मुहैया कराते थे. पुरातत्व विभाग के उत्खनन को भी वित्तपोषित करते थे. 1916 में उन्होंने अपनी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा धर्मार्थ कार्यों के लिए दान कर दिया. सर रतन टाटा ट्रस्ट की स्थापना 1919 में हुई थी. रतनजी टाटा की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी नवाज भाई सेट ने कुछ समय तक सभी कारोबार संभाले.
  4. नवल टाटा- नवल टाटा रतनजी टाटा के बेटे हैं. उन्होंने कारोबार में भी महारत हासिल की. ​​नवल टाटा के बेटे जाने-माने व्यवसायी रतन टाटा हैं. उन्होंने स्टील और टाटा पावर कारोबार को सफलता की ओर अग्रसर किया.
  5. रतन टाटा- रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को हुआ था. वर्तमान में रतन टाटा भारत में एक प्रमुख व्यवसायी के रूप में उभर रहे हैं. उनके कार्यकाल के दौरान ही टाटा समूह ने सर्वोच्च ऊंचाइयों को छुआ. 1991 में उन्होंने टाटासंस के चेयरमैन का पद संभाला. इससे पहले उन्होंने टाटा स्टील में विभिन्न पदों पर काम किया. रतन टाटा परोपकार के मामले में अग्रणी हैं. कंपनी की अधिकांश आय दान में दी जाती है. रतन टाटा की शादी नहीं हुई है. उन्होंने आम आदमी के लिए नैनो कार बनाने का फैसला किया. लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला. लेकिन उनके सभी कारोबार मुनाफे में चल रहे हैं.
  6. जिमी टाटा- जिमी टाटा रतन टाटा के भाई हैं. वह मुंबई में आरामदेह जीवन जी रही हैं.
  7. नोयल टाटा- नोयल टाटा रतन टाटा के सौतेले भाई हैं. 1957 में जन्मे. नोयल की शादी टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री की बहन आलू मिस्त्री से हुई है. दोनों के तीन बच्चे हैं. वर्तमान में नोयल टाटा इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन के चेयरमैन, टाटा इंटरनेशनल के प्रबंध निदेशक और टाटा स्टील के उपाध्यक्ष हैं.
  8. नेविल टाटा- नेविल टाटा नोएल टाटा के बेटे हैं. उन्होंने जूडेओ इंस्टीट्यूट की स्थापना की. वर्तमान में यह विकास के पथ पर अग्रसर है.
  9. माया टाटा- माया टाटा नोएल टाटा की बेटी हैं. वह भी व्यवसाय के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रही हैं. ऐसा लगता है कि माया टाटा जल्द ही टाटा समूह की कंपनियों की जिम्मेदारी संभालेंगी. 34 वर्षीय माया ने हाल ही में टाटा मेडिकल सेंटर ट्रस्ट बोर्ड के सदस्य के रूप में कार्यभार संभाला है. माया के साथ उनकी बहन लीह और भाई नेविल भी टाटा समूह में प्रमुख पदों पर काम कर रहे हैं. इन सभी ने वास्तव में रतन टाटा के अधीन व्यवसाय के सबक सीखे हैं. माया टाटा ने बेयर्स बिजनेस स्कूल, द यूनिवर्सिटी ऑफ वारविक, यूके से पढ़ाई की. बाद में टाटा समूह में विभिन्न पदों पर काम किया. सबसे पहले उन्होंने टाटा ऑपरच्युनिटीज फंड में काम किया. यह टाटा कैपिटल नामक एक प्राइवेट इक्विटी फंड कंपनी है जो टाटा समूह से संबंधित है। लेकिन अब यह बंद हो चुकी है. लेकिन खबर है कि एमे टाटा की कारोबारी विरासत को आगे बढ़ाएंगी.

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नई दिल्ली: टाटा समूह के बारे में जिक्र करने की जरुरत नहीं है. इसे हर कोई जानता है. दुनिया भर में यह कंपनी नमक से लेकर सॉफ्टवेयर तक करीब 100 सेक्टर में कारोबार कर रही है. साथ ही टीसीएस और टाटा मोटर्स भी अच्छा प्रदर्शन कर रही है. आज हम इस खबर के माध्यम से जानते है टाटा परिवार बारे में , जो करीब 150 सालों से देश के कारोबारी क्षेत्र में अपना परचम लहरा रहा है.

आइये जानते है जमशेदजी टाटा से लेकर रतन और माया टाटा तक और उनके कारोबार को.

  1. जमशेदजी टाटा- जमशेदजी टाटा का जन्म साल 1839 में गुजरात के नवसारी जिले में हुआ था. वे बहुत ही देशभक्त थे. जमशेदजी टाटा अपने कारोबार के जरिए कुछ लोगों को आजीविका देना चाहते थे. साल 1868 में सबसे पहले कपास का कारोबार शुरू किया. उसके बाद आलीशान होटल और ताज होटल बनाए गए. जमशेद की मौत के बाद उनका कारोबार उनके बेटे दोराबजी टाटा को सौंप दिया गया. जमशेद जी टाटा द्वारा किए गए कारोबार - कपास, स्टील, कपड़ा
  2. दोराबजी टाटा- दोराबजी टाटा का जन्म साल 1959 में हुआ था. उन्हें कारोबार अपने पिता जमशेदजी टाटा से विरासत में मिला था. दोराबजी ने बिजनेस में वह सब हासिल किया जो उनके पिता हासिल करना चाहते थे. टाटा समूह काफी विस्तार कर चुका है. दोराबजी टाटा को खेल बहुत पसंद थे. इसीलिए उन्होंने 1924 में पेरिस ओलंपिक में जाने वाली भारतीय टीम को वित्तीय सहायता प्रदान की थी. उन्होंने अपनी पत्नी की मृत्यु के बाद एक ट्रस्ट की स्थापना की. यह जाति, नस्ल और धर्म से परे सभी की मदद करता है. यह शोध में भी मदद करता है और आपदा न्यूनीकरण उपाय करता है. इसे सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट कहा जाता था. दोराबजी टाटा द्वारा किए गए बिजनेस - टाटा पावर, न्यू इंडिया एश्योरेंस (अब सरकार द्वारा संचालित)
  3. रतनजी टाटा- जमशेदजी टाटा के छोटे बेटे रतनजी टाटा भी बिजनेस में माहिर थे. वे बहुत दान-पुण्य करते थे. रतनजी टाटा आपदा राहत गतिविधियों में शामिल थे. शैक्षणिक संस्थानों, स्वास्थ्य सेवाओं के लिए धन मुहैया कराते थे. पुरातत्व विभाग के उत्खनन को भी वित्तपोषित करते थे. 1916 में उन्होंने अपनी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा धर्मार्थ कार्यों के लिए दान कर दिया. सर रतन टाटा ट्रस्ट की स्थापना 1919 में हुई थी. रतनजी टाटा की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी नवाज भाई सेट ने कुछ समय तक सभी कारोबार संभाले.
  4. नवल टाटा- नवल टाटा रतनजी टाटा के बेटे हैं. उन्होंने कारोबार में भी महारत हासिल की. ​​नवल टाटा के बेटे जाने-माने व्यवसायी रतन टाटा हैं. उन्होंने स्टील और टाटा पावर कारोबार को सफलता की ओर अग्रसर किया.
  5. रतन टाटा- रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को हुआ था. वर्तमान में रतन टाटा भारत में एक प्रमुख व्यवसायी के रूप में उभर रहे हैं. उनके कार्यकाल के दौरान ही टाटा समूह ने सर्वोच्च ऊंचाइयों को छुआ. 1991 में उन्होंने टाटासंस के चेयरमैन का पद संभाला. इससे पहले उन्होंने टाटा स्टील में विभिन्न पदों पर काम किया. रतन टाटा परोपकार के मामले में अग्रणी हैं. कंपनी की अधिकांश आय दान में दी जाती है. रतन टाटा की शादी नहीं हुई है. उन्होंने आम आदमी के लिए नैनो कार बनाने का फैसला किया. लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला. लेकिन उनके सभी कारोबार मुनाफे में चल रहे हैं.
  6. जिमी टाटा- जिमी टाटा रतन टाटा के भाई हैं. वह मुंबई में आरामदेह जीवन जी रही हैं.
  7. नोयल टाटा- नोयल टाटा रतन टाटा के सौतेले भाई हैं. 1957 में जन्मे. नोयल की शादी टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री की बहन आलू मिस्त्री से हुई है. दोनों के तीन बच्चे हैं. वर्तमान में नोयल टाटा इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन के चेयरमैन, टाटा इंटरनेशनल के प्रबंध निदेशक और टाटा स्टील के उपाध्यक्ष हैं.
  8. नेविल टाटा- नेविल टाटा नोएल टाटा के बेटे हैं. उन्होंने जूडेओ इंस्टीट्यूट की स्थापना की. वर्तमान में यह विकास के पथ पर अग्रसर है.
  9. माया टाटा- माया टाटा नोएल टाटा की बेटी हैं. वह भी व्यवसाय के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रही हैं. ऐसा लगता है कि माया टाटा जल्द ही टाटा समूह की कंपनियों की जिम्मेदारी संभालेंगी. 34 वर्षीय माया ने हाल ही में टाटा मेडिकल सेंटर ट्रस्ट बोर्ड के सदस्य के रूप में कार्यभार संभाला है. माया के साथ उनकी बहन लीह और भाई नेविल भी टाटा समूह में प्रमुख पदों पर काम कर रहे हैं. इन सभी ने वास्तव में रतन टाटा के अधीन व्यवसाय के सबक सीखे हैं. माया टाटा ने बेयर्स बिजनेस स्कूल, द यूनिवर्सिटी ऑफ वारविक, यूके से पढ़ाई की. बाद में टाटा समूह में विभिन्न पदों पर काम किया. सबसे पहले उन्होंने टाटा ऑपरच्युनिटीज फंड में काम किया. यह टाटा कैपिटल नामक एक प्राइवेट इक्विटी फंड कंपनी है जो टाटा समूह से संबंधित है। लेकिन अब यह बंद हो चुकी है. लेकिन खबर है कि एमे टाटा की कारोबारी विरासत को आगे बढ़ाएंगी.

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