वॉशिंगटन: अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर बड़ा बयान दिया है. आईएमएफ ने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर 7 फीसदी रहने की संभावना है. आईएमएफ ने आगे कहा कि जहां भारत की जीडीपी वृद्धि दर 2023 में 8.2 प्रतिशत से घटकर 2024 में 7 प्रतिशत पर आ गई थी. वहीं, अगले वित्त वर्ष 2025-26 के लिए यह 6.5 फीसदी निर्धारित की गई है.
वैश्विक अर्थव्यवस्था के बारे में आईएमएफ ने कहा कि मुद्रास्फीति के खिलाफ लड़ाई काफी हद तक जीत ली गई है, हालांकि कुछ देशों में अभी भी दबाव बना हुआ है. रिपोर्ट में आगे कहा गया कि 2022 की तीसरी तिमाही में सालाना आधार पर 9.4 प्रतिशत के उच्चतम स्तर पर पहुंचने के बाद, अब 2025 के अंत तक मुद्रास्फीति दर 3.5 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है, जो 2000 और 2019 के बीच 3.6 प्रतिशत के औसत स्तर से नीचे है.
यहां जारी वार्षिक विश्व आर्थिक परिदृश्य में अनुमान लगाया गया है कि 2024-2025 में वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर 3.2 प्रतिशत पर स्थिर रहेगी, हालांकि कुछ देशों, विशेष रूप से निम्न आय वाले विकासशील देशों में वृद्धि दर में काफी कमी देखी गई है. आईएमएफ ने विश्व आर्थिक परिदृश्य में कहा कि भारत में जीडीपी वृद्धि दर 2023 में 8.2 प्रतिशत से घटकर 2024 में 7 प्रतिशत और 2025 में 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है, क्योंकि महामारी के दौरान जो दबी हुई मांग थी वह अब खत्म हो रही है और अर्थव्यवस्था अपने क्षमता के मुताबिक अब ग्रोथ दिखा रही है.
वहीं, नवीनतम आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, 2024-25 में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 2023-24 के 8.2 प्रतिशत से घटकर 6.5 से 7 प्रतिशत रहने की उम्मीद है. फ्रांसीसी इकोनॉमिस्ट और आईएमएफ के मुख्य अर्थशास्त्री पियरे ओलिवियर गौरींचस के अनुसार, वैश्विक अर्थव्यवस्था पूरी मुद्रास्फीति प्रक्रिया के दौरान असामान्य रूप से लचीली बनी रही. उन्होंने कहा कि वर्ष 2024-2025 में वृद्धि दर 3.2 प्रतिशत पर स्थिर रहने का अनुमान है, लेकिन कुछ निम्न आय और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में वृद्धि दर में काफी गिरावट देखी गई है, जो अक्सर बढ़ते संघर्षों से जुड़ी होती है.
विकसित देशों की अर्थव्यवस्थाओं में, संयुक्त राज्य अमेरिका में विकास दर मजबूत है, जो इस वर्ष 2.8 प्रतिशत है, लेकिन 2025 में यह अपनी क्षमता पर वापस आ जाएगी. यूरोपीय अर्थव्यवस्थाओं के लिए, अगले साल मामूली वृद्धि की उम्मीद है, उत्पादन क्षमता के करीब है. उन्होंने कहा कि उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में विकास का दृष्टिकोण बहुत स्थिर है, इस साल और अगले साल लगभग 4.2 प्रतिशत, उभरते एशिया से लगातार मजबूत प्रदर्शन जारी है.
मुद्रास्फीति पर अच्छी खबरों के बावजूद, नकारात्मक जोखिम बढ़ रहे हैं और अब यह दृष्टिकोण पर हावी हो गया है. क्षेत्रीय संघर्षों में वृद्धि, विशेष रूप से मध्य पूर्व में, कमोडिटी बाज़ारों के लिए गंभीर जोखिम पैदा कर सकती है. उन्होंने कहा कि अवांछनीय व्यापार और औद्योगिक नीतियों की ओर बदलाव हमारे आधारभूत पूर्वानुमान की तुलना में उत्पादन को काफी कम कर सकता है. मौद्रिक नीति लंबे समय तक बहुत सख्त रह सकती है, और वैश्विक वित्तीय स्थितियां अचानक सख्त हो सकती हैं.
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