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तरक्की की राह पर भारत, गरीबी 5 फीसदी से नीचे रह गई

NITI Aayog- नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम ने बताया कि भारत की गरीबी पांच फीसदी से नीचे रह गई है, जो देश के आर्थिक परिदृश्य में सुधार का संकेत है. पढ़ें पूरी खबर...

Poverty
गरीबी
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 26, 2024, 12:31 PM IST

Updated : Feb 26, 2024, 3:54 PM IST

नई दिल्ली: नीति आयोग के हाल के रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत का गरीबी स्तर गिरकर केवल पांच फीसदी रह गया है. ये देश के आर्थिक परिदृश्य में सुधार का संकेत है. इस बात की जानकारी नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम ने दी हैं. उन्होंने नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ) द्वारा किए गए लेटेस्ट कंज्यूमर एक्सपेंडिचर सर्वे का हवाला दिया, जो घरेलू उपभोग खर्च में उल्लेखनीय वृद्धि का संकेत देता है.

Poverty
गरीबी

प्रति व्यक्ति मासिक घरेलू खर्च दोगुना हुआ
गौरतलब है कि यह रिपोर्ट एक दशक से अधिक के अंतराल के बाद जारी की गई है, जिससे पता चलता है कि 2011 से 2012 की तुलना में 2022 से 2023 में प्रति व्यक्ति मासिक घरेलू खर्च दोगुना से अधिक हो गया. बीवीआर सुब्रमण्यम ने गरीबी के स्तर और गरीबी एलिमिनेशन उपायों की प्रभावशीलता का आकलन करने में सर्वेक्षण के महत्व पर प्रकाश डाला है.

भारत में गरीबी अब पांच फीसदी से नीचे
सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम ने सर्वेक्षण के निष्कर्षों पर भरोसा जताया और कहा कि आंकड़े बताते हैं कि भारत में गरीबी अब पांच फीसदी से नीचे है. सर्वेक्षण में लोगों को 20 अलग-अलग समूहों में वर्गीकृत किया गया, जिससे पता चला कि ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति औसत मासिक खर्च 3,773 रुपये है, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 6,459 रुपये है. सुब्रमण्यम ने बताया कि गरीबी मुख्य रूप से 0-5 फीसदी आय वर्ग में बनी रहती है. अगर हम गरीबी रेखा लेते हैं और इसे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के साथ आज की दर तक बढ़ाते हैं, तो हम देखते हैं कि सबसे कम आंशिक, 0-5 फीसदी की औसत खपत लगभग समान है. इसका मतलब है गरीबी नीति आयोग के सीईओ ने कहा कि देश केवल 0-5 फीसदी समूह में है.

Poverty
गरीबी

ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में खपत बढ़ी
सुब्रमण्यम ने कहा कि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में खपत 2.5 गुना बढ़ गई है, जो समग्र प्रगति का संकेत है. इसके अलावा, उन्होंने ग्रामीण और शहरी उपभोग के बीच कम होते अंतर को रेखांकित किया और आर्थिक समानता की दिशा में एक सकारात्मक ट्रैजेक्टरी का सुझाव दिया. सर्वेक्षण से एक महत्वपूर्ण निष्कर्ष अनाज और खाद्य पदार्थों की खपत में गिरावट है, जो अधिक समृद्ध जीवन शैली की ओर बदलाव का संकेत देता है.

लोग अब दूध, फल, सब्जियां और प्रोसेस खाद्य पदार्थों जैसे गैर-खाद्य पदार्थों की ओर अधिक आय आवंटित कर रहे हैं, जो बढ़ी हुई समृद्धि और बदलते उपभोग पैटर्न को दिखाता है.

सुब्रमण्यम ने मुद्रास्फीति और जीडीपी पर एनएसएसओ सर्वेक्षण के संभावित प्रभावों पर भी प्रकाश डाला, जिसमें वर्तमान उपभोग पैटर्न को सटीक रूप से रिफ्लेक्ट करने के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक को पुनर्संतुलित करने की आवश्यकता का सुझाव दिया गया है.

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नई दिल्ली: नीति आयोग के हाल के रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत का गरीबी स्तर गिरकर केवल पांच फीसदी रह गया है. ये देश के आर्थिक परिदृश्य में सुधार का संकेत है. इस बात की जानकारी नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम ने दी हैं. उन्होंने नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ) द्वारा किए गए लेटेस्ट कंज्यूमर एक्सपेंडिचर सर्वे का हवाला दिया, जो घरेलू उपभोग खर्च में उल्लेखनीय वृद्धि का संकेत देता है.

Poverty
गरीबी

प्रति व्यक्ति मासिक घरेलू खर्च दोगुना हुआ
गौरतलब है कि यह रिपोर्ट एक दशक से अधिक के अंतराल के बाद जारी की गई है, जिससे पता चलता है कि 2011 से 2012 की तुलना में 2022 से 2023 में प्रति व्यक्ति मासिक घरेलू खर्च दोगुना से अधिक हो गया. बीवीआर सुब्रमण्यम ने गरीबी के स्तर और गरीबी एलिमिनेशन उपायों की प्रभावशीलता का आकलन करने में सर्वेक्षण के महत्व पर प्रकाश डाला है.

भारत में गरीबी अब पांच फीसदी से नीचे
सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम ने सर्वेक्षण के निष्कर्षों पर भरोसा जताया और कहा कि आंकड़े बताते हैं कि भारत में गरीबी अब पांच फीसदी से नीचे है. सर्वेक्षण में लोगों को 20 अलग-अलग समूहों में वर्गीकृत किया गया, जिससे पता चला कि ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति औसत मासिक खर्च 3,773 रुपये है, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 6,459 रुपये है. सुब्रमण्यम ने बताया कि गरीबी मुख्य रूप से 0-5 फीसदी आय वर्ग में बनी रहती है. अगर हम गरीबी रेखा लेते हैं और इसे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के साथ आज की दर तक बढ़ाते हैं, तो हम देखते हैं कि सबसे कम आंशिक, 0-5 फीसदी की औसत खपत लगभग समान है. इसका मतलब है गरीबी नीति आयोग के सीईओ ने कहा कि देश केवल 0-5 फीसदी समूह में है.

Poverty
गरीबी

ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में खपत बढ़ी
सुब्रमण्यम ने कहा कि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में खपत 2.5 गुना बढ़ गई है, जो समग्र प्रगति का संकेत है. इसके अलावा, उन्होंने ग्रामीण और शहरी उपभोग के बीच कम होते अंतर को रेखांकित किया और आर्थिक समानता की दिशा में एक सकारात्मक ट्रैजेक्टरी का सुझाव दिया. सर्वेक्षण से एक महत्वपूर्ण निष्कर्ष अनाज और खाद्य पदार्थों की खपत में गिरावट है, जो अधिक समृद्ध जीवन शैली की ओर बदलाव का संकेत देता है.

लोग अब दूध, फल, सब्जियां और प्रोसेस खाद्य पदार्थों जैसे गैर-खाद्य पदार्थों की ओर अधिक आय आवंटित कर रहे हैं, जो बढ़ी हुई समृद्धि और बदलते उपभोग पैटर्न को दिखाता है.

सुब्रमण्यम ने मुद्रास्फीति और जीडीपी पर एनएसएसओ सर्वेक्षण के संभावित प्रभावों पर भी प्रकाश डाला, जिसमें वर्तमान उपभोग पैटर्न को सटीक रूप से रिफ्लेक्ट करने के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक को पुनर्संतुलित करने की आवश्यकता का सुझाव दिया गया है.

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Last Updated : Feb 26, 2024, 3:54 PM IST
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