नई दिल्ली: जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून की मांग के बीच, वित्त मंत्री ने जनसंख्या को कंट्रोल करने के लिए पैनल बनाने की बात कहीं है. तेजी से जनसंख्या वृद्धि और जनसांख्यिकीय परिवर्तनों से होने वाली चुनौतियों से सामना करने के लिए पैनल बनाई जाएगी. वित्त मंत्री कहा कि समिति को 'विकसित भारत' के लक्ष्य के संबंध में इन चुनौतियों से व्यापक रूप से निपटने के लिए सिफारिशें करने का काम सौंपा जाएगा.
वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार जुलाई में पूर्ण बजट में 'विकसित भारत' को आगे बढ़ाने के लिए एक विस्तृत रोडमैप पेश करेगी. बता दें कि वित्त मंत्री ने जनसंख्या को कंट्रोल करने के लिए पैनल बनाने कि बात तब कहीं है जब देश में जनसंख्या नियंत्रण पर कानून बनाने की मांग की जा रही है.
सीतारमण ने तेजी से जनसंख्या वृद्धि और जनसांख्यिकीय परिवर्तनों से उत्पन्न चुनौतियो का उल्लेख किया और कहा कि जनगणना के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में कुल प्रजनन दर में गिरावट आई है.
2011 की जनगणना के अनुसार, भारत की कुल रिप्रोडक्शन रेट (प्रति महिला बच्चे) 2001 में 2.5 से घटकर 2011 में 2.2 हो गई है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार, 2019-21 के दौरान भारत की कुल प्रजनन दर और गिरकर 2.0 हो गई है, जो है प्रति महिला 2.1 बच्चों की रिप्लेसमेंट लेवल रिप्रोडक्शन क्षमता से भी नीचे है. कुछ राज्यों जैसे अरुणाचल प्रदेश (1.8), छत्तीसगढ़ (1.8), हरियाणा (1.9), ओडिशा (1.8) और पंजाब (1.6) की कुल रिप्रोडक्शन रेट राष्ट्रीय औसत से भी कम है.
जनसंख्या पर यूएन की रिपोर्ट
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, अप्रैल 2023 में भारत दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में चीन से आगे निकल गया है. संयुक्त राष्ट्र की भविष्यवाणी के अनुसार, अप्रैल 2023 के अंत तक, भारत की आबादी 1,425,775,850 लोगों तक पहुंचने की उम्मीद थी, जो मुख्य भूमि चीन की आबादी के बराबर और फिर उससे आगे निकल जाएगी.
संयुक्त राष्ट्र ने आगे कहा कि चीन की जनसंख्या 2022 में 1.426 बिलियन पर पहुंच गई और गिरना शुरू हो गई. अनुमानों से संकेत मिलता है कि सदी के अंत से पहले चीनी आबादी का आकार 1 अरब से नीचे गिर सकता है. इसके विपरीत, भारत की जनसंख्या कई दशकों तक बढ़ती रहने की उम्मीद है.