नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को केंद्रीय बजट 2024 को पेश करेंगी. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सरकार बजट 2024 सत्र के दौरान बैंकिंग विनियमन अधिनियम के साथ-साथ कुछ अन्य कानूनों में नए संशोधन ला सकती है. इससे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) में सरकार की हिस्सेदारी 51 फीसदी से कम हो सकती है.
कौन से बैंक कानून संशोधित किए जा सकते हैं?
बैंकिंग कंपनी अधिनियम, 1970 और बैंकिंग कंपनी अधिनियम, 1980 जैसे अन्य अधिनियमों में संशोधन भी हो सकते हैं. क्योंकि निजीकरण को बढ़ाने के लिए संशोधनों की आवश्यकता है. ये वही कानून हैं जिनके कारण पहले राष्ट्रीयकरण हुआ था.
सरकार ने पहले 2021 के शीतकालीन सत्र के लिए इन कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव रखा था. इसमें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट 2021 पेश करते हुए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी. लेकिन ये पारित नहीं हो सके.
रिपोर्ट के मुताबिक आईडीबीआई बैंक के अलावा 2021-22 में दो पीएसबी और एक सामान्य बीमा कंपनी का निजीकरण करने का प्रस्ताव रखा है. अप्रैल 2020 में, सरकार ने 10 पीएसबी को चार में समेकित किया, जिससे पीएसबी की कुल संख्या मार्च 2017 में 27 से घटकर 12 हो गई.
पहले भारत के कुछ बैंक विलय क्या थे?
यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स का पंजाब नेशनल बैंक में विलय कर दिया गया, जिससे नई इकाई भारत का दूसरा सबसे बड़ा पीएसबी बन गया.
सिंडिकेट बैंक का केनरा बैंक में, इलाहाबाद बैंक का इंडियन बैंक में और आंध्रा बैंक और कॉरपोरेशन बैंक का यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में विलय कर दिया गया. बैंक ऑफ बड़ौदा ने 2019 में विजया बैंक और देना बैंक का अपने साथ विलय कर लिया.
एसबीआई ने अपने पांच सहयोगी बैंकों का विलय कर दिया, जिसमें स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद और भारतीय महिला बैंक शामिल हैं. यह अप्रैल 2017 में हुआ था.