नई दिल्ली: भारत में सोना सिर्फ समृद्धि और धन का प्रतीक नहीं बल्कि दीर्घकालिक निवेश का भी प्रतीक माना जाता है. अलग-अलग वजहों के कारण देश में हर रोज सोने की कीमत में बदलाव होता है. चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सोने को कंज्यूम करता है. सोने की अधिकांश आवश्यकता आयात और स्थानीय स्तर पर रिसाइकल घरेलू सर्राफा के माध्यम से पूरी की जाती है. इसलिए अंतरराष्ट्रीय कीमतों के अलावा, जो डॉलर में व्यक्त होती है, आयात शुल्क और अन्य कर घरेलू सोने की रेट निर्धारित करने में भूमिका निभाते हैं.
भारत में सोना इतना कीमती क्यों है?
- बता दें कि सोना एक रेयर मेटल है, और यह अनुमान लगाया गया है कि अब तक खनन किया गया सारा सोना एक ही घन में फिट होगा जो प्रत्येक तरफ लगभग 21 मीटर है. यह कमी इसके मूल्य में योगदान करती है.
- इसके अलावा सोना एक बहुत ही टिकाऊ मेटल है, जिसका अर्थ है कि इसे बिना खराब हुए लंबे समय तक रखा जा सकता है.
- सोना बहुत लचीला है, जिसका अर्थ है कि इसे आसानी से विभिन्न रूपों में आकार दिया जा सकता है. इसे आभूषणों और अन्य सजावटी वस्तुओं के लिए एक लोकप्रिय विकल्प बनाता है.
- सोने का धन और विलासिता से जुड़े होने का एक लंबा इतिहास है, और इसने दुनिया भर की कई संस्कृतियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. भारत में, सोने का विशेष रूप से मजबूत सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व है और इसे अक्सर शादियों और अन्य विशेष अवसरों पर उपहार के रूप में दिया जाता है.
आज इस खबर के माध्यम से जानते है कि एक समय में सोने की कीमत 64 रुपये के करीब थी, जो आज 75,000 के पार चली गई है. इसमें साल 1964 से चालू वर्ष तक सोने की औसत वार्षिक कीमत (24 कैरेट प्रति 10 ग्राम) शामिल है. इससे भविष्य के रुझानों को समझने में मदद मिल सकती है जो निवेश योजना बनाते समय भी यूज होगा.
साल | 24 कैरेट सोने की कीमत |
1964 | 63.25 रुपये |
1965 | 71.75 रुपये |
1970 | 184.00 रुपये |
1975 | 540.00 रुपये |
1980 | 1,330.00 रुपये |
1985 | 2,130.00 रुपये |
1990 | 3,200.00 रुपये |
1995 | 4,680.00 रुपये |
2000 | 4,400.00 रुपये |
2005 | 7,000.00 रुपये |
2010 | 18,500.00 रुपये |
2011 | 26,400.00 रुपये |
2012 | 31,050.00 रुपये |
2013 | 29,600.00 रुपये |
2014 | 28,006.50 रुपये |
2015 | 26,343.50 रुपये |
2016 | 28,623.50 रुपये |
2017 | 29,667.50 रुपये |
2018 | 31,438.00 रुपये |
2019 | 35,220.00 रुपये |
2020 | 48,651.00 रुपये |
2021 | 48,720.00 रुपये |
2022 | 52,670.00 रुपये |
2023 | 65,330.00 रुपये |
2024 (आज तक) | 75,400.00 रुपये |
कब से बढ़ रहा सोने की कीमत?
भारत में 2023 में सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव बना हुआ है. 2022 से तुलना करें तो सोने की कीमतों में काफी उछाल आया है. वर्ष के पहले छह महीनों में, पीली धातु की कीमतों में लगभग 3,000 रुपये की वृद्धि हुई है, जिसमें लगभग 6.5 फीसदी की वृद्धि देखी गई है. रूस-यूक्रेन युद्ध, अमेरिकी फेड दर में वृद्धि और मुद्रास्फीति ने सोने की दरें बढ़ने में भूमिका निभाई है. इसके अलावा कोविड-19 महामारी के कारण वर्ष की सकारात्मक शुरुआत के बाद 2020 में सोने की कीमत में उतार-चढ़ाव का रुख देखा गया. निवेशकों के लिए कीमती धातु के सुरक्षित आश्रय के रूप में काम करने से सोने की मांग बढ़ी और इसकी कीमत भी बढ़ी.
क्या सोने की कीमत 1 लाख पार कर जाएगी?
रिपोर्ट के मुताबिक चांदी के भविष्य को लेकर बहुत सकारात्मक हैं. सोने की कीमतें 1 लाख रुपये (100,000 रुपये) और संभावित रूप से 1.2 लाख रुपये (120,000 रुपये) तक पहुंच सकती हैं. साल-दर-साल आधार पर, चांदी अब तक 11 फीसदी से अधिक बढ़ी है जबकि सोना लगभग 15 फीसदी बढ़ा है. मजबूत मांग और आर्थिक अनिश्चितताओं के दौरान एक सुरक्षित-संपत्ति के रूप में इसकी भूमिका शामिल है.
2020 के बाद से भू-राजनीतिक तनाव ने बाजार में जोखिम प्रीमियम बढ़ा दिया है. 2022 में, रूस-यूक्रेन युद्ध, पिछले साल इजरायल और हमास के बीच संघर्ष और अन्य तनावों के साथ-साथ भू-राजनीतिक अनिश्चितता ने बाजार में अस्थिरता बढ़ा दी है और मांग को एक सुरक्षित वस्तु के रूप में बढ़ा दिया है. इन सब वजहों से साल-दर साल सोने की कीमतों में लगातार उछाल देखने को मिल रहा है. इस बढ़ोतरी को देखते हुए ऐसा लग रहा है कि इस साल सोने का भाव 1 लाख रुपये पार कर जाएगा.