हैदराबाद : वित्तीय वर्ष 2024 में रूस को निर्यात होने वाले इंजीनियरिंग वस्तुओं की मात्रा डबल हो गई है, जबकि अमेरिका को निर्यात होने वाली मात्रा में सात फीसदी की कमी आ गई है. यूएई के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट और गल्फ कॉपरेशन काउंसल के साथ हुए समझौते के बाद पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ्रीका को इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट में बढ़ोतरी हुई है. यह बढ़ोतरी क्रमशः 12 फीसदी और 15 फीसदी तक की हुई है. ये आंकड़े ईईपीसी के चेयरमेन अरुण कुमार गरोडिया ने जारी किए हैं.
चालू वित्त वर्ष 2023-24 (फरवरी तक) में रूस को भारतीय इंजीनियरिंग सामान का निर्यात लगभग दोगुना होकर 1.22 बिलियन अमेरिकी डॉलर का हो गया, जो पिछले वित्तीय वर्ष में 616.68 मिलियन अमेरिकी डॉलर था. इसी दौरान अमेरिका को होने वाले निर्यात में 7 फीसदी की वार्षिक गिरावट आई. वित्त वर्ष 2024 में फरवरी तक अमेरिका को इंजीनियरिंग सामान के निर्यात का मूल्य 15.95 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 17.10 बिलियन अमेरिकी डॉलर था.
अन्य प्रमुख बाजारों में चीन को भारत के इंजीनियरिंग सामान के निर्यात में वित्त वर्ष 2024 में फरवरी तक मामूली गिरावट देखी गई और यह 2.38 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा, जबकि पिछले वित्तीय वर्ष की इसी अवधि में यह 2.40 बिलियन अमेरिकी डॉलर था. संयुक्त अरब अमीरात और ऑस्ट्रेलिया में इंजीनियरिंग शिपमेंट, जिसके साथ भारत ने एफटीए पर हस्ताक्षर किए थे, वैश्विक व्यापार के लिए काफी चुनौतीपूर्ण होने के बावजूद वित्त वर्ष 2024 में फरवरी तक सकारात्मक रहा.
चालू वित्त वर्ष में फरवरी तक यूएई को इंजीनियरिंग निर्यात सालाना आधार पर 16 फीसदी बढ़कर 5.22 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जबकि इस अवधि में ऑस्ट्रेलिया के निर्यात में 5 फीसदी बढ़कर 1.30 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया. कुल मिलाकर, संचयी (कुमुलेटिव) इंजीनियरिंग निर्यात कम होने लगा और अप्रैल-फरवरी 2023-24 के दौरान 98.03 बिलियन अमेरिकी डॉलर की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि अप्रैल-फरवरी 2022-23 के दौरान 96.84 बिलियन अमेरिकी डॉलर की तुलना में 1.23 फीसदी की बढ़ोतरी हासिल की गई .
ईईपीसी के चेयरमैन गरोडिया ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में भारत से इंजीनियरिंग निर्यात लगातार विकास पथ पर रहा है यानी यह बढ़ता रहा है. फरवरी 2024 में भारत का इंजीनियरिंग निर्यात वित्त वर्ष 2023-24 में उच्चतम वर्ष-दर-वर्ष वृद्धि (15.9 फीसदी) दर्ज करते हुए 9.94 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया. उल्लेखनीय प्रदर्शन पिछले तीन महीनों में इस क्षेत्र के विकास ने संचयी निर्यात में भी वृद्धि दर्ज करना संभव बना दिया है.
उन्होंने आगे कहा कि यूएई के साथ एफटीए और जीसीसी के साथ बातचीत काफी प्रभावी रही है, क्योंकि भारत की इंजीनियरिंग निर्यात टोकरी में पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ्रीका की हिस्सेदारी पिछले साल के 12 फीसदी से बढ़कर इस साल 15 फीसदी हो गई है. यह प्रदर्शन कठिन वैश्विक स्थिति के बावजूद संभव हुआ है. गारोडिया ने कहा कि जैसा कि भारत का वर्तमान प्रदर्शन स्थिर हो रहा है, हमें उम्मीद है कि वैश्विक व्यापार में सकारात्मक बदलाव के साथ, हमारा निर्यात समुदाय अपने निर्यात प्रदर्शन को ऊपर उठाने में सक्षम होगा.
ईईपीसी के चेयरमैन ने कहा कि भारत के इंजीनियरिंग निर्यात ने फरवरी 2024 तक लगातार तीसरे महीने साल-दर-साल वृद्धि हासिल की और 15.9 फीसदी की वृद्धि दर वित्तीय वर्ष 2023-24 में सबसे अधिक थी. भारत के कुल व्यापारिक निर्यात में इंजीनियरिंग निर्यात की हिस्सेदारी जनवरी 2024 में 23.75 फीसदी से बढ़कर फरवरी 2024 में 24.01 फीसदी हो गई. संचयी आधार पर अप्रैल-फरवरी 2023-24 के दौरान हिस्सेदारी 24.82 फीसदी थी.
फरवरी 2024 में, 34 इंजीनियरिंग पैनलों में से 28 में साल-दर-साल सकारात्मक वृद्धि देखी गई, जबकि शेष 6 इंजीनियरिंग पैनलों में गिरावट का अनुभव हुआ. जिंक और उत्पाद, निकेल और उत्पाद, मोटर गाड़ियां, कारें, रेलवे परिवहन और हिस्से, जहाज और नाव और कार्यालय उपकरण का निर्यात गिरा. संचयी आधार पर, 34 इंजीनियरिंग पैनलों में से 20 में सकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई और शेष 14 इंजीनियरिंग पैनलों में आयरन और स्टील, एल्युमीनियम, जिंक, निकेल आदि सहित कुछ अलौह क्षेत्र, औद्योगिक मशीनरी और ऑटोमोबाइल के क्षेत्रों में नकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई.
अप्रैल-फरवरी 2023-24 के दौरान वृद्धि क्षेत्र-वार, फरवरी 2024 में पूर्वोत्तर एशिया, वाना, लैटिन अमेरिका, ईयू, सीआईएस, ओशिनिया, उत्तरी अमेरिका और उप-सहारा अफ्रीका जैसे लगभग सभी क्षेत्रों में सकारात्मक साल-दर-साल वृद्धि देखी गई. केवल आसियान और दक्षिण एशिया में गिरावट दर्ज की गई.