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दार्जिलिंग में 50 साल में सबसे कम हुआ चाय उत्पादन, बागान मालिकों को मदद की जरूरत - Darjeeling tea in crisis

Darjeeling Tea Production- दार्जिलिंग चाय जिसे चाय की शैंपेन के नाम से जाना जाता है, आज कम उत्पादन, निर्यात से कम मांग और घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में सस्ती नेपाल चाय से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना कर रही है. पढ़ें एस सरकार की रिपोर्ट...

Photo taken from Darjeeling Tea Social media
फोटो दार्जिलिंग टी सोशल मीडिया से लिया गया है
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 9, 2024, 11:46 AM IST

नई दिल्ली: दार्जिलिंग चाय, जिसे चाय की शैंपेन माना जाता है. आज इस चाय का अस्तित्व संकट में पड़ गया है. 2023 में उत्पादन घटकर 6.3 मिलियन किलोग्राम रह गया है, जो 50 वर्षों में सबसे कम है. दार्जिलिंग जिले के 87 चाय बागानों में से आधे बिक्री के लिए तैयार हैं और जापान, जो कभी दार्जिलिंग चाय का सबसे बड़ा खरीदार था, ने अपना आयात कम कर दिया है.

Tea (File Photo)
चाय (फाइल फोटो)

दार्जिलिंग चाय बागान मालिकों को हो रहा नुकसान
निर्यातकों और दार्जिलिंग चाय बागान मालिकों ने कहा कि दार्जिलिंग चाय उद्योग आईसीयू में है. इसे पुनर्जीवित करने के लिए केंद्र सरकार को तत्काल ध्यान देने की जरूरत है. ये कह सकते है कि अगर सरकार ने तुंरत ध्यान नहीं दिया तो ये इंडस्ट्री खत्म हो जाएगी.

Tea (File Photo)
चाय (फाइल फोटो)

गोरखा मोर्चा से नहीं उबर पाया दार्जिलिंग चाय
दार्जिलिंग चाय उद्योग 2017 में गोरखा जनमुक्ति मोर्चा द्वारा पहाड़ियों में आंदोलन के दौरान मिले झटके से बाहर नहीं निकल सका है. बागान लगभग चार महीने तक बंद रहे और विदेशी खरीदार चले गए. कोविड महामारी ने दार्जिलिंग चाय बागानों की किस्मत को और खराब कर दिया.

Tea (File Photo)
चाय (फाइल फोटो)

सरकार से नहीं मिली मदद
बागान मालिकों को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा और वे चाय बागानों को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक धन नहीं लगा सके. आज तक, दार्जिलिंग चाय उद्योग को केंद्र से कोई रेस्टोरेशन पैकेज नहीं मिला है, भले ही उन्होंने सरकार को एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया हो.

नेपाल के आयात से हो रहा दार्जिलिंग चाय को नुकसान
सस्ती नेपाल चाय के आयात ने दार्जिलिंग चाय उद्योग के संकट को और गहरा कर दिया है, जो पहले से ही कम उत्पादन, निर्यात बाजारों में कम मांग और कम कीमत वसूली के कारण वित्तीय संकट से जूझ रहा है. व्यापार सूत्रों ने कहा कि नेपाल दार्जिलिंग चाय के निर्यात बाजारों में भी प्रवेश करने में सक्षम हो गया है और अब सीधे जर्मनी और जापान जैसे देशों को निर्यात कर रहा है. दार्जिलिंग के बागवान चिंतित हैं कि घरेलू उपभोक्ता नेपाल की चाय को दार्जिलिंग चाय के रूप में पी रहे हैं, जिससे उनकी मातृभूमि में भी उनका बाजार नष्ट हो रहा है.

Tea (File Photo)
चाय (फाइल फोटो)

गोल्डन टिप्स कंपनी ने क्या कहा?
गोल्डन टिप्स कंपनी के प्रबंध निदेशक माधव सारदा ने कहा कि नेपाल में इलम जिले और पश्चिम बंगाल में दार्जिलिंग की जलवायु समान है. यह मात्र एक काल्पनिक रेखा है जो दोनों को विभाजित करती है. इलम में उत्पादित चाय लगभग दार्जिलिंग के समान है। इसलिए बहुत सारी चाय इलम से भारत में प्रवेश कर रही है और घरेलू बाजार में दार्जिलिंग चाय के रूप में बेची जा रही है. मात्रा हर साल धीरे-धीरे बढ़ रही है.

Photo taken from Darjeeling Tea Social media
फोटो दार्जिलिंग टी सोशल मीडिया से लिया गया है

सारदा ने कहा कि नेपाली चाय दार्जिलिंग चाय से लगभग 35 से 50 फीसदी तक सस्ती है. उन्हें दार्जिलिंग चाय के साथ मिश्रित किया जाता है और दार्जिलिंग चाय के रूप में बेचा जाता है. उपभोक्ता दार्जिलिंग चाय और नेपाली चाय के बीच अंतर नहीं कर पाते हैं. उन्होंने कहा कि यहां तक कि चाय विशेषज्ञ भी कभी-कभी दोनों के बीच अंतर करने में विफल हो जाते हैं.

दार्जिलिंग टी एसोसिएशन ने दिया बयान
दार्जिलिंग टी एसोसिएशन के प्रमुख सलाहकार संदीप मुखर्जी ने कहा कि दार्जिलिंग के 87 चाय बागानों में से 7 स्थायी रूप से बंद हैं. उनमें से कई किसी तरह जीवित हैं और श्रमिकों का वैधानिक बकाया चुकाने में सक्षम नहीं हैं. दार्जिलिंग उद्योग का भाग्य अनिश्चित है और हम नहीं जानते कि बागान कब तक अपना संचालन जारी रखेंगे

Photo taken from Darjeeling Tea Social media
फोटो दार्जिलिंग टी सोशल मीडिया से लिया गया है

दार्जिलिंग चाय उद्योग आईसीयू में है और इस साल निर्यात कम होगा. भारतीय चाय निर्यातक संघ (आईटीईए) के अध्यक्ष अंशुमान कनोरिया ने कहा कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों को दार्जिलिंग चाय को पुनर्जीवित करने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए.

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नई दिल्ली: दार्जिलिंग चाय, जिसे चाय की शैंपेन माना जाता है. आज इस चाय का अस्तित्व संकट में पड़ गया है. 2023 में उत्पादन घटकर 6.3 मिलियन किलोग्राम रह गया है, जो 50 वर्षों में सबसे कम है. दार्जिलिंग जिले के 87 चाय बागानों में से आधे बिक्री के लिए तैयार हैं और जापान, जो कभी दार्जिलिंग चाय का सबसे बड़ा खरीदार था, ने अपना आयात कम कर दिया है.

Tea (File Photo)
चाय (फाइल फोटो)

दार्जिलिंग चाय बागान मालिकों को हो रहा नुकसान
निर्यातकों और दार्जिलिंग चाय बागान मालिकों ने कहा कि दार्जिलिंग चाय उद्योग आईसीयू में है. इसे पुनर्जीवित करने के लिए केंद्र सरकार को तत्काल ध्यान देने की जरूरत है. ये कह सकते है कि अगर सरकार ने तुंरत ध्यान नहीं दिया तो ये इंडस्ट्री खत्म हो जाएगी.

Tea (File Photo)
चाय (फाइल फोटो)

गोरखा मोर्चा से नहीं उबर पाया दार्जिलिंग चाय
दार्जिलिंग चाय उद्योग 2017 में गोरखा जनमुक्ति मोर्चा द्वारा पहाड़ियों में आंदोलन के दौरान मिले झटके से बाहर नहीं निकल सका है. बागान लगभग चार महीने तक बंद रहे और विदेशी खरीदार चले गए. कोविड महामारी ने दार्जिलिंग चाय बागानों की किस्मत को और खराब कर दिया.

Tea (File Photo)
चाय (फाइल फोटो)

सरकार से नहीं मिली मदद
बागान मालिकों को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा और वे चाय बागानों को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक धन नहीं लगा सके. आज तक, दार्जिलिंग चाय उद्योग को केंद्र से कोई रेस्टोरेशन पैकेज नहीं मिला है, भले ही उन्होंने सरकार को एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया हो.

नेपाल के आयात से हो रहा दार्जिलिंग चाय को नुकसान
सस्ती नेपाल चाय के आयात ने दार्जिलिंग चाय उद्योग के संकट को और गहरा कर दिया है, जो पहले से ही कम उत्पादन, निर्यात बाजारों में कम मांग और कम कीमत वसूली के कारण वित्तीय संकट से जूझ रहा है. व्यापार सूत्रों ने कहा कि नेपाल दार्जिलिंग चाय के निर्यात बाजारों में भी प्रवेश करने में सक्षम हो गया है और अब सीधे जर्मनी और जापान जैसे देशों को निर्यात कर रहा है. दार्जिलिंग के बागवान चिंतित हैं कि घरेलू उपभोक्ता नेपाल की चाय को दार्जिलिंग चाय के रूप में पी रहे हैं, जिससे उनकी मातृभूमि में भी उनका बाजार नष्ट हो रहा है.

Tea (File Photo)
चाय (फाइल फोटो)

गोल्डन टिप्स कंपनी ने क्या कहा?
गोल्डन टिप्स कंपनी के प्रबंध निदेशक माधव सारदा ने कहा कि नेपाल में इलम जिले और पश्चिम बंगाल में दार्जिलिंग की जलवायु समान है. यह मात्र एक काल्पनिक रेखा है जो दोनों को विभाजित करती है. इलम में उत्पादित चाय लगभग दार्जिलिंग के समान है। इसलिए बहुत सारी चाय इलम से भारत में प्रवेश कर रही है और घरेलू बाजार में दार्जिलिंग चाय के रूप में बेची जा रही है. मात्रा हर साल धीरे-धीरे बढ़ रही है.

Photo taken from Darjeeling Tea Social media
फोटो दार्जिलिंग टी सोशल मीडिया से लिया गया है

सारदा ने कहा कि नेपाली चाय दार्जिलिंग चाय से लगभग 35 से 50 फीसदी तक सस्ती है. उन्हें दार्जिलिंग चाय के साथ मिश्रित किया जाता है और दार्जिलिंग चाय के रूप में बेचा जाता है. उपभोक्ता दार्जिलिंग चाय और नेपाली चाय के बीच अंतर नहीं कर पाते हैं. उन्होंने कहा कि यहां तक कि चाय विशेषज्ञ भी कभी-कभी दोनों के बीच अंतर करने में विफल हो जाते हैं.

दार्जिलिंग टी एसोसिएशन ने दिया बयान
दार्जिलिंग टी एसोसिएशन के प्रमुख सलाहकार संदीप मुखर्जी ने कहा कि दार्जिलिंग के 87 चाय बागानों में से 7 स्थायी रूप से बंद हैं. उनमें से कई किसी तरह जीवित हैं और श्रमिकों का वैधानिक बकाया चुकाने में सक्षम नहीं हैं. दार्जिलिंग उद्योग का भाग्य अनिश्चित है और हम नहीं जानते कि बागान कब तक अपना संचालन जारी रखेंगे

Photo taken from Darjeeling Tea Social media
फोटो दार्जिलिंग टी सोशल मीडिया से लिया गया है

दार्जिलिंग चाय उद्योग आईसीयू में है और इस साल निर्यात कम होगा. भारतीय चाय निर्यातक संघ (आईटीईए) के अध्यक्ष अंशुमान कनोरिया ने कहा कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों को दार्जिलिंग चाय को पुनर्जीवित करने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए.

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