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संभलकर रहें, लगातार बढ़ रही बैंकिंग धोखाधड़ी, सिर्फ 7 महीने में दोगुनी हुईं घटनाएं, रिपोर्ट देखकर चौंक जाएंगे - Cyber Scams In FY24

Cyber Scams In FY24- भारत में साइबर धोखाधड़ी के कारण होने वाली हानि की राशि वित्त वर्ष 2023 में 69.68 करोड़ रुपये से दोगुनी होकर वित्त वर्ष 2024 में 177.05 करोड़ रुपये हो गई है. पढ़ें पूरी खबर...

Cyber Scams In FY24
साइबर धोखाधड़ी (प्रतीकात्मक फोटो) (Canva)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 6, 2024, 11:52 AM IST

Updated : Aug 6, 2024, 12:07 PM IST

नई दिल्ली: भारत में बैंकिंग धोखाधड़ी में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है. यह खतरनाक ट्रेंड मुख्य रूप से साइबर अपराधियों की बढ़ती हुई चालाकी के कारण है. सोमवार को संसद को बताया गया कि वित्त वर्ष 2023-24 में क्रेडिट, डेबिट कार्ड और इंटरनेट बैंकिंग धोखाधड़ी के कारण 177 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.

लोकसभा में एक लिखित उत्तर में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 में क्रेडिट, डेबिट कार्ड और इंटरनेट बैंकिंग धोखाधड़ी के कारण 177 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. वित्त वर्ष 2022 में घाटा 80.33 करोड़ रुपये, वित्त वर्ष 2021 में 50.10 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2020 में 44.22 करोड़ रुपये था. साइबर धोखाधड़ी से होने वाली हानियों में यह बढ़ोतरी पिछले कुछ वर्षों में देखी गई चिंताजनक है.

अनऑथराइज्ड लेनदेन पर क्या होगा?
जहां नुकसान ग्राहक की लापरवाही के कारण होता है, ग्राहक को तब तक पूरा नुकसान उठाना पड़ता है जब तक वह बैंक को अनऑथराइज्ड लेनदेन की सूचना नहीं देता. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अनऑथराइज्ड लेनदेन के मामले में ग्राहकों पर पड़ने वाले वित्तीय बोझ को सीमित करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं. अगर बैंक की लापरवाही साबित होती है या सिस्टम में कहीं और गलती है, तो ग्राहक किसी भी नुकसान से बच सकते हैं, बशर्ते वे 3 कार्य दिवसों के भीतर घटना की सूचना दें. ऐसे मामलों में जहां ग्राहक 4 से 7 कार्य दिवसों के बीच अनधिकृत लेनदेन की सूचना देता है, उनकी देयता खाते के प्रकार के आधार पर 5,000 रुपये से 25,000 रुपये तक हो सकती है. 7 कार्य दिवसों से परे, ग्राहक की देयता बैंक की आंतरिक नीति द्वारा निर्धारित की जाती है. अनधिकृत लेनदेन के मामलों में ग्राहक की लापरवाही साबित करने के लिए बैंक जिम्मेदार है.

वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि अनऑथराइज्ड इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेन के मामले में ग्राहक की जिम्मेदारी साबित करने का दायित्व बैंक पर होगा.

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नई दिल्ली: भारत में बैंकिंग धोखाधड़ी में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है. यह खतरनाक ट्रेंड मुख्य रूप से साइबर अपराधियों की बढ़ती हुई चालाकी के कारण है. सोमवार को संसद को बताया गया कि वित्त वर्ष 2023-24 में क्रेडिट, डेबिट कार्ड और इंटरनेट बैंकिंग धोखाधड़ी के कारण 177 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.

लोकसभा में एक लिखित उत्तर में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 में क्रेडिट, डेबिट कार्ड और इंटरनेट बैंकिंग धोखाधड़ी के कारण 177 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. वित्त वर्ष 2022 में घाटा 80.33 करोड़ रुपये, वित्त वर्ष 2021 में 50.10 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2020 में 44.22 करोड़ रुपये था. साइबर धोखाधड़ी से होने वाली हानियों में यह बढ़ोतरी पिछले कुछ वर्षों में देखी गई चिंताजनक है.

अनऑथराइज्ड लेनदेन पर क्या होगा?
जहां नुकसान ग्राहक की लापरवाही के कारण होता है, ग्राहक को तब तक पूरा नुकसान उठाना पड़ता है जब तक वह बैंक को अनऑथराइज्ड लेनदेन की सूचना नहीं देता. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अनऑथराइज्ड लेनदेन के मामले में ग्राहकों पर पड़ने वाले वित्तीय बोझ को सीमित करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं. अगर बैंक की लापरवाही साबित होती है या सिस्टम में कहीं और गलती है, तो ग्राहक किसी भी नुकसान से बच सकते हैं, बशर्ते वे 3 कार्य दिवसों के भीतर घटना की सूचना दें. ऐसे मामलों में जहां ग्राहक 4 से 7 कार्य दिवसों के बीच अनधिकृत लेनदेन की सूचना देता है, उनकी देयता खाते के प्रकार के आधार पर 5,000 रुपये से 25,000 रुपये तक हो सकती है. 7 कार्य दिवसों से परे, ग्राहक की देयता बैंक की आंतरिक नीति द्वारा निर्धारित की जाती है. अनधिकृत लेनदेन के मामलों में ग्राहक की लापरवाही साबित करने के लिए बैंक जिम्मेदार है.

वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि अनऑथराइज्ड इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेन के मामले में ग्राहक की जिम्मेदारी साबित करने का दायित्व बैंक पर होगा.

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Last Updated : Aug 6, 2024, 12:07 PM IST
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