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बजट 2024: सरकार को पैसा कहां से आता है और कहां खर्च होता है, 1 रुपया के उदाहरण से समझें - Budget 2024

Budget 2024 Central Revenue and Expenditure: भारत सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 48 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का बजट पेश किया है. बजट सरकार के आय-व्यय का लेखा-जोखा होता है. इसमें बताया जाता है कि सरकार को किस क्षेत्र या मद से कितने पैसे आते हैं और कहां पैसा खर्च होता है.

Budget 2024 Central Revenue and Expenditure
बजट 2024 (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 23, 2024, 5:56 PM IST

हैदराबाद: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को एनडीए सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट संसद में पेश किया. भारत सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 48 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के खर्च का लक्ष्य रखा है. बजट में रोजगार, कौशल विकास, एमएसएमई और मध्यम वर्ग पर विशेष जोर दिया गया है.

बजट सरकार के आय-व्यय का लेखा-जोखा होता है. इसमें बताया जाता है कि सरकार को किस क्षेत्र या मद से कितने पैसे आने की उम्मीद है और किस मद पर कितना पैसा खर्च हो सकता है. हम इसे एक रुपया के बजट से समझने की कोशिश करते हैं कि सरकार को एक रुपये कहां से आता है और यह कहां खर्च होता है.

कहां से आता है एक रुपया
सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, उधार और अन्य देनदारियों से 27 पैसे आते हैं. इनकम टैक्स से 19 पैसे, जीएसटी व अन्य टैक्स से 18 पैसे, कॉर्पोरेट टैक्स से 17 पैसे, सीमा शुल्क से 4 पैसे, केंद्रीय उत्पाद शुल्क से 5 पैसे , गैर-कर रसीद से 9 पैसे और गैर-ऋण पूंजी प्राप्तियों से एक पैसा सरकार को मिलता है.

कहां खर्च होता है
अब हम जानते हैं कि सरकार यह एक रुपया कहां खर्च करती है. आंकड़ों के मुताबिक, ब्याज भुगतान के रूप में सरकार के 19 पैसे जाते हैं. वहीं, केंद्र की ओर से प्रायोजित योजनाओं में 8 पैसे, केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं में 16 पैसे, रक्षा क्षेत्र पर 8 पैसे, सब्सिडी पर 6 पैसे, वित्त आयोग और अन्य ट्रांसफर पर 9 पैसे, टैक्स और शुल्क में राज्यों के हिस्से के रूप में 21 पैसे, पेंशन के रूप में 4 पैसे और अन्य व्यय के रूप में 9 पैसे खर्च होते हैं.

बता दें, बजट में पूंजीगत व्यय के लिए 11,11,111 करोड़ का प्रावधान किया गया है. वहीं, कृषि और इससे संबंधित क्षेत्रों के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है और डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना का उपयोग करते हुए 400 जिलों में खरीफ फसलों का डिजिटल फसल सर्वेक्षण किया जाएगा. उत्पादकता बढ़ाने तथा कृषि में सहनीयता लाने के उपायों समेत कृषि अनुसंधान पर जोर, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा और राष्ट्रीय सहकारिता नीति जैसे विभिन्न उपायों की घोषणा की गई.

यह भी पढ़ें- ब्याज-रक्षा पर सबसे ज्यादा खर्च, टॉप 10 प्रमुख क्षेत्र...जिनके लिए सबसे अधिक आवंटन हुआ, जानें

हैदराबाद: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को एनडीए सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट संसद में पेश किया. भारत सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 48 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के खर्च का लक्ष्य रखा है. बजट में रोजगार, कौशल विकास, एमएसएमई और मध्यम वर्ग पर विशेष जोर दिया गया है.

बजट सरकार के आय-व्यय का लेखा-जोखा होता है. इसमें बताया जाता है कि सरकार को किस क्षेत्र या मद से कितने पैसे आने की उम्मीद है और किस मद पर कितना पैसा खर्च हो सकता है. हम इसे एक रुपया के बजट से समझने की कोशिश करते हैं कि सरकार को एक रुपये कहां से आता है और यह कहां खर्च होता है.

कहां से आता है एक रुपया
सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, उधार और अन्य देनदारियों से 27 पैसे आते हैं. इनकम टैक्स से 19 पैसे, जीएसटी व अन्य टैक्स से 18 पैसे, कॉर्पोरेट टैक्स से 17 पैसे, सीमा शुल्क से 4 पैसे, केंद्रीय उत्पाद शुल्क से 5 पैसे , गैर-कर रसीद से 9 पैसे और गैर-ऋण पूंजी प्राप्तियों से एक पैसा सरकार को मिलता है.

कहां खर्च होता है
अब हम जानते हैं कि सरकार यह एक रुपया कहां खर्च करती है. आंकड़ों के मुताबिक, ब्याज भुगतान के रूप में सरकार के 19 पैसे जाते हैं. वहीं, केंद्र की ओर से प्रायोजित योजनाओं में 8 पैसे, केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं में 16 पैसे, रक्षा क्षेत्र पर 8 पैसे, सब्सिडी पर 6 पैसे, वित्त आयोग और अन्य ट्रांसफर पर 9 पैसे, टैक्स और शुल्क में राज्यों के हिस्से के रूप में 21 पैसे, पेंशन के रूप में 4 पैसे और अन्य व्यय के रूप में 9 पैसे खर्च होते हैं.

बता दें, बजट में पूंजीगत व्यय के लिए 11,11,111 करोड़ का प्रावधान किया गया है. वहीं, कृषि और इससे संबंधित क्षेत्रों के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है और डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना का उपयोग करते हुए 400 जिलों में खरीफ फसलों का डिजिटल फसल सर्वेक्षण किया जाएगा. उत्पादकता बढ़ाने तथा कृषि में सहनीयता लाने के उपायों समेत कृषि अनुसंधान पर जोर, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा और राष्ट्रीय सहकारिता नीति जैसे विभिन्न उपायों की घोषणा की गई.

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