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SEBI ने निवेशकों को दी खुशखबरी, ब्रोकर फीस से लेकर अकाउंट लिमिट में बदलाव - SEBI

SEBI- मार्केट रेगुलेटर सेबी ने निवेशकों के लिए बड़ा कदम उठाया है. सेबी ने कहा है कि ब्रोकर फीस को वॉल्यूम से नहीं जोड़ा जाना चाहिए. साथ ही नियामक ने डीमैट अकाउंट में न्यूनतम पैसे की सीमा को भी बढ़ा दिया है. पढ़ें पूरी खबर...

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 2, 2024, 12:34 PM IST

नई दिल्ली: निवेशक के लिए कदम उठाते हुए सेबी ने बड़ा फैसला लिया है. सेबी ने स्टॉक एक्सचेंजों और डिपॉजिटरी जैसी बाजार संस्थाओं से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि ब्रोकरों से ली जाने वाली फीस एक समान हो और वॉल्यूम से जुड़ी न हो. बाजार नियामक ने एनएक्टिव म्यूचुअल फंडों के लिए आसान अनुपालन संरचना और कम पूंजी आवश्यकताओं का भी प्रस्ताव रखा. बाजार नियामक ने स्टॉक एक्सचेंजों, क्लियरिंग कॉरपोरेशन और डिपॉजिटरी को स्टॉक ब्रोकरों और डिपॉजिटरी प्रतिभागियों जैसे सदस्यों से ली जाने वाली फीस की समीक्षा करने का निर्देश दिया है.

सेबी एक्सचेंजों, क्लियरिंग कॉरपोरेशन और डिपॉजिटरी को मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशंस (MII) के रूप में परिभाषित करता है. इनके सर्विस फी ब्रोकर द्वारा लिए जाते हैं जो बदले में उन्हें निवेशकों से वसूलते हैं.

वर्तमान में, इनमें से कुछ संस्थाएं वॉल्यूम-आधारित मूल्य निर्धारण मॉडल का यूज करती हैं, जो जटिल हो सकता है. इसमें पारदर्शिता की कमी हो सकती है. इसका मतलब यह है कि स्टॉक ब्रोकर निवेशकों से इन संस्थाओं को पेमेंट करने के लिए आवश्यक राशि से अधिक पैसे कलेक्ट कर सकते हैं. यह निवेशकों के लिए भ्रामक हो सकता है. अलग-अलग आकार के सदस्यों के लिए असमान बन सकता है.

सेबी ने छोटे निवेशकों को दिया तोहफा
शेयर बाजार में छोटे निवेशकों की भागीदारी बढ़ाने के लिए और उनपर बोझ कम करने के लिए सेबी ने बेसिक सर्विस डीमैट अकाउंट में न्यूनतम पैसे की सीमा को 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 10 रुपये कर दिया है. नई लिमिट 1 सिंतबर 2024 से लागू होगी.

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नई दिल्ली: निवेशक के लिए कदम उठाते हुए सेबी ने बड़ा फैसला लिया है. सेबी ने स्टॉक एक्सचेंजों और डिपॉजिटरी जैसी बाजार संस्थाओं से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि ब्रोकरों से ली जाने वाली फीस एक समान हो और वॉल्यूम से जुड़ी न हो. बाजार नियामक ने एनएक्टिव म्यूचुअल फंडों के लिए आसान अनुपालन संरचना और कम पूंजी आवश्यकताओं का भी प्रस्ताव रखा. बाजार नियामक ने स्टॉक एक्सचेंजों, क्लियरिंग कॉरपोरेशन और डिपॉजिटरी को स्टॉक ब्रोकरों और डिपॉजिटरी प्रतिभागियों जैसे सदस्यों से ली जाने वाली फीस की समीक्षा करने का निर्देश दिया है.

सेबी एक्सचेंजों, क्लियरिंग कॉरपोरेशन और डिपॉजिटरी को मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशंस (MII) के रूप में परिभाषित करता है. इनके सर्विस फी ब्रोकर द्वारा लिए जाते हैं जो बदले में उन्हें निवेशकों से वसूलते हैं.

वर्तमान में, इनमें से कुछ संस्थाएं वॉल्यूम-आधारित मूल्य निर्धारण मॉडल का यूज करती हैं, जो जटिल हो सकता है. इसमें पारदर्शिता की कमी हो सकती है. इसका मतलब यह है कि स्टॉक ब्रोकर निवेशकों से इन संस्थाओं को पेमेंट करने के लिए आवश्यक राशि से अधिक पैसे कलेक्ट कर सकते हैं. यह निवेशकों के लिए भ्रामक हो सकता है. अलग-अलग आकार के सदस्यों के लिए असमान बन सकता है.

सेबी ने छोटे निवेशकों को दिया तोहफा
शेयर बाजार में छोटे निवेशकों की भागीदारी बढ़ाने के लिए और उनपर बोझ कम करने के लिए सेबी ने बेसिक सर्विस डीमैट अकाउंट में न्यूनतम पैसे की सीमा को 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 10 रुपये कर दिया है. नई लिमिट 1 सिंतबर 2024 से लागू होगी.

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