ETV Bharat / bharat

रूस-यूक्रेन युद्ध में फंसा भारतीय लौटा दिल्ली, नौकरी के झांसे में पहुंचा था रूस - Youth stranded in war reached Delhi - YOUTH STRANDED IN WAR REACHED DELHI

Youth stranded In War Reached Delhi: निजी भर्ती एजेंटों के झांसे में आकर रूस यूक्रेन युद्ध मोर्चे पर फंसा केरल का एक और युवक दिल्ली पहुंच गया है. इससे पहले, फर्जी जॉब रैकेट का शिकार होकर रूस-यूक्रेन युद्ध में फंसे डेविड मुथप्पन शनिवार को दिल्ली पहुंचे थे.

Youth stranded in Russia Ukraine war front tricked by private recruiting agents has reached Delhi.
रूस-यूक्रेन युद्ध में फंसा भारतीय लौटा दिल्ली.
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Apr 2, 2024, 4:23 PM IST

तिरुवनंतपुरम: झूठी नौकरी का वादा करके भारतीय युवाओं को रूसी भाड़े के सैनिकों के साथ यूक्रेन के खिलाफ लड़ने के लिए भेजा गया था. अंजुथेनगु के पांच मूल निवासियों में से एक, जिन्हें निजी भर्ती एजेंटों ने धोखा दिया था, अब दिल्ली पहुंच गए हैं.

अंजुथेंगु के मूल निवासी 27 वर्षीय प्रिंस के रिश्तेदारों ने बताया कि वह कल दिल्ली पहुंचे. उनके भाई प्रशांत ने कल शाम प्रिंस से फोन पर बात की. जानकारी के मुताबिक, प्रिंस ने अपने रिश्तेदारों से कहा था कि वह चिकित्सा उपचार और अन्य प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद घर लौटेंगे. परिजनों ने बताया कि प्रिंस रूस स्थित भारतीय दूतावास की मदद से दिल्ली पहुंचा. वह सीबीआई समेत केंद्रीय एजेंसियों को बयान देने के बाद ही घर लौटेंगे.

एक अन्य फंसे हुए युवक, पोझियूर के मूल निवासी डेविड मुथप्पन, शनिवार को मास्को में भारतीय दूतावास की मदद से दिल्ली पहुंचे थे. डेविड को प्रति माह 1.60 लाख रुपये के आकर्षक वेतन पर सुपरमार्केट में सुरक्षा की नौकरी की पेशकश की गई थी. नौकरी का झूठा झांसा देकर एजेंट ने डेविड से 3 लाख रुपए ऐंठे थे. वहां अधिकारियों ने उससे पासपोर्ट और सभी यात्रा दस्तावेज एकत्रित करके यूक्रेन सीमा पर युद्ध के मोर्चे पर भेज दिया.

अंजुथेंगु मूल निवासी राजकुमार, विनीत और टीनू सभी को सुरक्षा सेना सहायक के पद के लिए रूस में भर्ती किया गया था. भर्ती के पीछे मानव तस्करी टीम का हाथ था. तीनों 3 जनवरी को रूस गए थे. एजेंसी के प्रतिनिधि तीनों को सुरक्षा नौकरी की पेशकश कर रूस ले गए. रूस पहुंचने के बाद उन्होंने पासपोर्ट और मोबाइल फोन खरीदे. उनसे अनुबंध पर हस्ताक्षर कराए और सैन्य शिविर ले जाया गया.

23 दिनों की ट्रेनिंग के बाद प्रिंस को यूक्रेनी युद्ध मोर्चे पर भेज दिया गया. युद्ध के दौरान, प्रिंस बम और गोलियों से घायल हो गए थे. अस्पताल पहुंचकर प्रिंस ने अपने परिवार से संपर्क किया. साथ रहे टीनू और विनीत के बारे में प्रिंस को कोई जानकारी नहीं है कि वह कहां हैं.

पिछले बुधवार को युद्ध के मैदान में फंसे एक अन्य युवक विनीत ने केरल में अपने परिवार को एक वॉयस संदेश भेजा था. इसमें कथित तौर पर कहा गया था कि ज्यादातर फंसे हुए भारतीय लिस्टचांस के पास स्लोट्राविका में फंसे हुए हैं. उन्होंने कथित तौर पर कहा कि फंसे हुए भारतीय युवकों को दूतावास से कोई मदद नहीं मिली.

इस बीच, विदेश मंत्रालय ने जानकारी दी है कि मॉस्को में भारतीय दूतावास रूसी अधिकारियों के साथ नियमित संपर्क में है. विनीत का कहना है कि वह अभी भी युद्ध के मैदान में हैं. इस बीच, एंचुथेंगु से मलयाली राजकुमार सेबेस्टियन और पोझियूर से डेविड मुथप्पन भारत पहुंचे. मानव तस्करी के बारे में स्पष्ट जानकारी जुटाने के लिए सीबीआई वापस लौटे भारतीयों से पूछताछ कर रही है.

पढ़ें: मानव तस्करी रैकेट मामला: जगह-जगह चल रहा है सीबीआई का सर्च ऑपरेशन

तिरुवनंतपुरम: झूठी नौकरी का वादा करके भारतीय युवाओं को रूसी भाड़े के सैनिकों के साथ यूक्रेन के खिलाफ लड़ने के लिए भेजा गया था. अंजुथेनगु के पांच मूल निवासियों में से एक, जिन्हें निजी भर्ती एजेंटों ने धोखा दिया था, अब दिल्ली पहुंच गए हैं.

अंजुथेंगु के मूल निवासी 27 वर्षीय प्रिंस के रिश्तेदारों ने बताया कि वह कल दिल्ली पहुंचे. उनके भाई प्रशांत ने कल शाम प्रिंस से फोन पर बात की. जानकारी के मुताबिक, प्रिंस ने अपने रिश्तेदारों से कहा था कि वह चिकित्सा उपचार और अन्य प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद घर लौटेंगे. परिजनों ने बताया कि प्रिंस रूस स्थित भारतीय दूतावास की मदद से दिल्ली पहुंचा. वह सीबीआई समेत केंद्रीय एजेंसियों को बयान देने के बाद ही घर लौटेंगे.

एक अन्य फंसे हुए युवक, पोझियूर के मूल निवासी डेविड मुथप्पन, शनिवार को मास्को में भारतीय दूतावास की मदद से दिल्ली पहुंचे थे. डेविड को प्रति माह 1.60 लाख रुपये के आकर्षक वेतन पर सुपरमार्केट में सुरक्षा की नौकरी की पेशकश की गई थी. नौकरी का झूठा झांसा देकर एजेंट ने डेविड से 3 लाख रुपए ऐंठे थे. वहां अधिकारियों ने उससे पासपोर्ट और सभी यात्रा दस्तावेज एकत्रित करके यूक्रेन सीमा पर युद्ध के मोर्चे पर भेज दिया.

अंजुथेंगु मूल निवासी राजकुमार, विनीत और टीनू सभी को सुरक्षा सेना सहायक के पद के लिए रूस में भर्ती किया गया था. भर्ती के पीछे मानव तस्करी टीम का हाथ था. तीनों 3 जनवरी को रूस गए थे. एजेंसी के प्रतिनिधि तीनों को सुरक्षा नौकरी की पेशकश कर रूस ले गए. रूस पहुंचने के बाद उन्होंने पासपोर्ट और मोबाइल फोन खरीदे. उनसे अनुबंध पर हस्ताक्षर कराए और सैन्य शिविर ले जाया गया.

23 दिनों की ट्रेनिंग के बाद प्रिंस को यूक्रेनी युद्ध मोर्चे पर भेज दिया गया. युद्ध के दौरान, प्रिंस बम और गोलियों से घायल हो गए थे. अस्पताल पहुंचकर प्रिंस ने अपने परिवार से संपर्क किया. साथ रहे टीनू और विनीत के बारे में प्रिंस को कोई जानकारी नहीं है कि वह कहां हैं.

पिछले बुधवार को युद्ध के मैदान में फंसे एक अन्य युवक विनीत ने केरल में अपने परिवार को एक वॉयस संदेश भेजा था. इसमें कथित तौर पर कहा गया था कि ज्यादातर फंसे हुए भारतीय लिस्टचांस के पास स्लोट्राविका में फंसे हुए हैं. उन्होंने कथित तौर पर कहा कि फंसे हुए भारतीय युवकों को दूतावास से कोई मदद नहीं मिली.

इस बीच, विदेश मंत्रालय ने जानकारी दी है कि मॉस्को में भारतीय दूतावास रूसी अधिकारियों के साथ नियमित संपर्क में है. विनीत का कहना है कि वह अभी भी युद्ध के मैदान में हैं. इस बीच, एंचुथेंगु से मलयाली राजकुमार सेबेस्टियन और पोझियूर से डेविड मुथप्पन भारत पहुंचे. मानव तस्करी के बारे में स्पष्ट जानकारी जुटाने के लिए सीबीआई वापस लौटे भारतीयों से पूछताछ कर रही है.

पढ़ें: मानव तस्करी रैकेट मामला: जगह-जगह चल रहा है सीबीआई का सर्च ऑपरेशन

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.