चंडीगढ़: दुनिया के सात अजूबों में शामिल फ्रांस के एफिल टावर का उद्घाटन 31 मार्च को किया गया था. इसलिए 31 मार्च को 'वर्ल्ड एफिल टावर डे' के तौर पर मनाया जाता है. साल 1889 में एफिल टावर को जनता के सामने रखा गया था. फ्रांस की सबसे चर्चित इमारतों में से एक यह इमारत 134 साल पुरानी है और आज भी लाखों पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. क्या आप जानते हैं कि चंडीगढ़ में भी मिनी एफिल टावर है.
चंडीगढ़ में एफिल टावर रेप्लिका: फ्रांस के एफिल टावर की तर्ज पर सिटी ब्यूटीफुल चंडीगढ़ के सेक्टर-10 में भी एक एफिल टावर रेप्लिका बनाया गया है. यह एफिल टावर म्यूजियम और आर्ट गैलरी के ठीक सामने बना हुआ है. जिसकी ऊंचाई करीब 56 फीट तक है. मिनी एफिल टावर की ऊंचाई और आकाश के नीले रंगों के बीच शहर में एक अलग ही पहचान के लिए जाना जाता है.
एफिल टावर बना सेल्फी स्पॉट: स्थानीय लोगों और खासकर युवाओं के बीच यह काफी लोकप्रिय है. इस एफिल टावर के सामने अक्सर लोगों की भीड़ सेल्फी लेने के लिए लगी रहती है. इसे चंडीगढ़ के आर्ट कॉलेज के प्रोफेसर डीएस कपूर ने डिजाइन किया है. चंडीगढ़ एफिल टावर के डिजाइनर प्रो. डी एस कपूर ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.
ऐसे हुई एफिल टावर बनाने की शुरुआत: डीएस कपूर ने बताया कि मिनी एफिल टावर बहुत पुराना या ऐतिहासिक नहीं है. चंडीगढ़ लेजर वैली में हर साल आर्ट कॉलेज और चंडीगढ़ प्रशासन की मदद से कार्निवल फेस्टिवल मनाया जाता है. वहीं, 2005 को चंडीगढ़ कार्निवल की थीम फ्रांस की थी. क्योंकि कार्निवल के दौरान निकाली जाने वाली झांकियों की शुरुआत डीएस कपूर ने की थी, जो कि चंडीगढ़ की विरासत को उजागर करता है, जो शहर में हर साल नवंबर महीने में मनाया जाता है.
फ्रांस की तर्ज पर बना है एफिल टावर: डीएस कपूर ने बताया कि 2005 में कार्निवल की थीम फन फ्रोलिक और फ्रांस थी, प्रशासनिक बैठकों में काफी विचार करने के बाद एफिल टावर के रूप में एक विशाल गेट बनाने का निर्णय लिया गया. उन्होंने बताया कि सबसे पहले हमने बांस से निर्मित करने का निर्णय लिया. जिसके बाद विचार हुआ कि क्यों न इसे फ्रांस की तर्ज पर स्थायी रूप से लोहे के कोणीय से बनाया जाए.
डीएस कपूर ने प्रशासन से की अपील: जिसके बाद डीएस कपूर ने टावर की रूपरेखा तैयार की और अपनी देखरेख और मार्गदर्शन में इसका निर्माण शुरू किया. परिणामस्वरूप, वार्षिक चंडीगढ़ कार्निवल के प्रवेश द्वार के रूप में काम करने के लिए इसे निष्पादित करने और लेजर वैली में स्थापित करने में व्यावहारिक रूप से एक सप्ताह का समय लग गया और मेरे लिए आज तक बहुत गर्व का क्षण है. इसे बनाने के लिए करीब 15-20 दिन का समय लगा था. हालांकि प्रशासन ने एफिल टावर में हर साल रंग करने की बात कही थी, लेकिन डीएस कपूर ने प्रशासन से अपील की एफिल टावर की जल्दी मेंटेनेंस की जाए. क्योंकि इसकी हालत धीरे-धीरे खराब होती जा रही है.
चंडीगढ़ में फ्रांस की कला का नमूना: प्रोफेसर कपूर ने बताया कि अब तक मैं कभी भी फ्रांस नहीं गया हूं, लेकिन मैंने फ्रांस को यहीं पर स्थापित किया है. चंडीगढ़ का हर व्यक्ति जानता है कि चंडीगढ़ को डिजाइन करने वाले फ्रांस के ही आर्किटेक्चर थे. ऐसे में मेरा फ्रांस की कला को लेकर एक अलग ही प्यार है. जिसके चलते मैं शहर में अपना एक लैंडमार्क छोड़ना चाहता था. आज इस एफिल टावर को देखकर खुशी होती है कि शहर का हर एक व्यक्ति इसके पास आकर अपनी यादों को संजोते हैं.
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