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माओवाद के खात्मे के लिए महिलाओं को मिला हथकरघे का साथ, महिला सशक्तिकरण से बदल रही तस्वीर - Women empowered IN Bastar

नक्सल प्रभावित बस्तर में अब तेजी से हालात बदल रहे हैं. जिस बस्तर से कभी बारूद की गंध आती थी वहां अब विकास की बयार बह रही है. सरकार की कोशिश का असर अब जमीनी स्तर पर दिखाई देने लगा है. महिलाएं अब घरों से निकलकर काम पर जा रही हैं. हथकरघा की ट्रेनिंग लेकर घर और परिवार दोनों का पेट भर रही हैं. बच्चों को भी पढ़ने के लिए स्कूल भेज रही हैं.

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jul 6, 2024, 9:21 PM IST

Women empowered IN Bastar
महिला सशक्तिकरण से बदल रही तस्वीर (ETV Bharat)

दंतेवाड़ा: बस्तर जो कभी सिर्फ नक्सलवाद के लिए जाना जाता था अब उसकी तस्वीर तेजी से बदल रही है. बस्तर में विकास की रफ्तार तेजी से बढ़ रही है. कभी नक्सलियों के डर से महिलाएं गांव से बाहर नहीं जाती थीं. अब महिलाएं बेधड़क घरों से न सिर्फ बाहर निकल रही हैं बल्कि काम पर भी जा रही हैं. दंतेवाड़ा के नक्सल प्रभावित इलाकों की महिलाएं अब हथकरघा की ट्रेनिंग ले रही हैं.

महिलाओं को दिया जा रहा हथकरघा चलाने का प्रशिक्षण: दंतेवाड़ा के नक्सल प्रभावित इलाकों में रहने वाली महिलाओं को सशक्त करने की कोशिश रंग लाने लगी है. दूर दराज के गांवों में रहने वाली महिलाओं की आय बढ़ाने के लिए उनको हथकरघा चलाने की ट्रेनिंग दी जा रही है. बड़ी संख्या में महिलाएं इसकी ट्रेनिंग के लिए ट्रेनिंग सेंटर पर पहुंच रही हैं. बस्तर की महिलाएं भी चाहती हैं कि उनकी आय में बढ़ोत्तरी हो. उनके बच्चे भी अच्छे स्कूलों में जाकर पढ़ाई करें. नक्सलवाद का दंश क्षेल रहे माओवादी इलाके के लोग अब डर और हिंसा से अजीज आ चुके हैं.

महिलाओं को सशक्त बनाने की मुहिम: महिलाओं को सशक्त बनाने की ये मुहिम खादी ग्राम उद्योग से जुड़ी एक बड़ी परियोजना का हिस्सा है. इसका उद्देश्य हाथ से बने कपड़े बनाना है. 4 महीने के प्रशिक्षण के तहत महिलाओं को हथकरघा अभ्यास के लिए सरकार की ओर से मशीनें भी दी जा रही हैं. ट्रेनिंग के दौरान उन्हें उत्पादन के लिए हर मीटर कपड़े पर 30 रुपये की आय भी मिल रही है. प्रशिक्षण पूरा होने के बाद ये महिलाएं हथकरघा मशीन से कपड़े बनाकर अपनी आजीविका चला सकती हैं.

सोर्स ANI

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महिलाओं को दिया जा रहा हथकरघा चलाने का प्रशिक्षण: दंतेवाड़ा के नक्सल प्रभावित इलाकों में रहने वाली महिलाओं को सशक्त करने की कोशिश रंग लाने लगी है. दूर दराज के गांवों में रहने वाली महिलाओं की आय बढ़ाने के लिए उनको हथकरघा चलाने की ट्रेनिंग दी जा रही है. बड़ी संख्या में महिलाएं इसकी ट्रेनिंग के लिए ट्रेनिंग सेंटर पर पहुंच रही हैं. बस्तर की महिलाएं भी चाहती हैं कि उनकी आय में बढ़ोत्तरी हो. उनके बच्चे भी अच्छे स्कूलों में जाकर पढ़ाई करें. नक्सलवाद का दंश क्षेल रहे माओवादी इलाके के लोग अब डर और हिंसा से अजीज आ चुके हैं.

महिलाओं को सशक्त बनाने की मुहिम: महिलाओं को सशक्त बनाने की ये मुहिम खादी ग्राम उद्योग से जुड़ी एक बड़ी परियोजना का हिस्सा है. इसका उद्देश्य हाथ से बने कपड़े बनाना है. 4 महीने के प्रशिक्षण के तहत महिलाओं को हथकरघा अभ्यास के लिए सरकार की ओर से मशीनें भी दी जा रही हैं. ट्रेनिंग के दौरान उन्हें उत्पादन के लिए हर मीटर कपड़े पर 30 रुपये की आय भी मिल रही है. प्रशिक्षण पूरा होने के बाद ये महिलाएं हथकरघा मशीन से कपड़े बनाकर अपनी आजीविका चला सकती हैं.

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