देहरादून(उत्तराखंड): उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में आदमखोर भेड़ियों ने आतंक मचाया हुआ है, जिसके चलते 35 गांवों में खौफ का माहौल है. मौजूदा स्थिति यह है कि अब तक भेड़ियों का झुंड 8 बच्चों और एक महिला की जान ले चुका है. 30 लोग घायल हो चुके हैं. उत्तर प्रदेश वन विभाग ने अबतक चार भेड़ियों को पकड़ लिया है. दो भेड़ियों की तलाश जारी है. बहराइच जिले के इन गांव के लोगों में आदमखोर भेड़ियों की इतनी दहशत है कि लोग रात-रात भर जाकर अपने परिवार की सुरक्षा कर रहे हैं. यही नहीं, उत्तर प्रदेश वन विभाग के कर्मचारी ग्रामीणों को सुरक्षित रहने संबंधित तमाम जानकारियां भी दे रहे हैं.
उत्तर प्रदेश के बहराइच में हुए आदमखोर भेड़िए के हमले का मामला सामने आने के बाद से ही ये मामला देश भर में चर्चाओं का विषय बना हुआ है. भेड़ियों का इंसानों पर हमला करने के बेहद कम ही मामले सामने आए हैं. जिसके चलते देश भर के वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट इस मामले पर अपने-अपने विचारों को साझा कर रहे हैं.
कम आक्रामक होते हैं भेड़िए, सर्वाइवल बना सकता है आदमखोर: उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में भेड़ियों के आतंक पर उत्तराखंड के पूर्व प्रमुख वन संरक्षक जयराज ने ईटीवी भारत से बातचीत की. उन्होंने बताया भेड़ियों के आक्रामक होने की सूचनाओं बेहद कम ही सुनाई देती हैं. किसी विपरीत परिस्थिति में कुछ भी हो सकता है. भेड़ियों में एक बड़ी खूबी ये भी होती है कि भेड़िए विषम परिस्थितियों में भी अपने आपको बचाना जानते हैं. जिसके चलते भेड़ियों के व्यवहार में बदलाव आने की संभावना रहती है. सामान्य तौर पर भेड़िया किसी भी इंसान पर हमला नहीं करता, क्योंकि भेड़िया काफी शर्मीले स्वभाव का होता है. जब कुछ ऐसी परिस्थितियों बन जाती है कि भेड़ियों के सरवाइव करने में दिक्कत पैदा होने लगती है तो फिर वो जानवर या इंसान नहीं देखता है, तब वह काफी आक्रामक हो जाता है.
हमेशा झुंड में चलते हैं भेड़िये, इंसानों को करते हैं नजरअंदाज: भेड़िया काफी समझदार जानवर है. यह हमेशा एक झुंड में चलता है. जब ये आक्रामक होते हैं तो फिर ग्रुप हंटिंग की स्ट्रैटेजी बनाते हैं. उस सीएस दौरान भेड़ियों का झुंड काफी अधिक घातक हो जाता है. इस दौरान उनकी मारक क्षमता काफी अधिक बढ़ जाती है. लिहाजा वो काफी अधिक नुकसान पहुंचाते हैं. उन्होंने बताया वाइल्डलाइफ एनिमल्स कि यह खूबी होती है कि वह इंसानों को सामान्य तौर पर अवॉइड करते हैं, लेकिन जब उन्हें खतरा महसूस होता है तो फिर वह आक्रामक हो जाते हैं.
अपने क्षेत्रों में दखल, भूख अटैक का कारण: इस मानसून सीजन के दौरान अत्यधिक भारी बारिश हो रही है. जिसके चलते आबादी वाले क्षेत्रों के साथ ही जंगलों में भी बाढ़ जैसे स्थिति उत्पन्न हो रही है. ऐसे में भेड़िए जहां रह रहे हैं वहां बाढ़ जैसी स्थिति बनी है. जिसके चलते भेड़ियों का झुंड अपने आप को बचाने के लिए आबादी वाले क्षेत्रों में जा रहा है. साथ ही अपनी भूख मिटाने को लेकर आदमखोर भेड़ियों का झुंड इंसानों पर हमला कर रहा है. बच्चों पर हमला करने का मुख्य वजह यही है कि ये भेड़िए बच्चों पर आसानी से हमला कर ले जा सकते हैं.
थर्मल ड्रोन के जरिये भेड़ियों की सर्चिंग: उत्तर प्रदेश वन विभाग ने काफी मशक्कत के बाद अभी तक चार भेड़ियों को पकड़ लिया है. अनुमान लगाया जा रहा है कि 7 से 8 भेड़ियों का एक झुंड है. बाकी बचे हुए भेड़ियों को पकड़ने के लिए उत्तर प्रदेश वन विभाग की टीम थर्मल ड्रोन का इस्तेमाल कर रही है. थर्मल ड्रोन के जरिए टेंपरेचर वेरिएशन से पता चल जाता है कि भेड़िए कहीं खेतों में तो छुपे नहीं हैं. फिलहाल, यह अनुमान लगाया जा रहा है कि 7 से 8 भेड़ियों का झुंड ही हमला कर रहा है. इस अनुमान के अनुसार बचे हुए भेड़िए पकड़े जाने के बाद अगर किलिंग बंद हो जाती है तो अच्छी बात है.
छुपकर हमला करता है भेड़िया, गर्दन पर करता है वार: भेड़ियों के हमले करने का तरीका ये है कि भेड़िए हमेशा छुपकर और अंधेरे में हमला करते हैं. भेड़िये सीधा गर्दन को पकड़ते हैं. भेड़िए भी लगभग गुलदार की तरह ही हमला करते हैं. भेड़िया एक सोशल एनिमल है, यानी इनका अपने ग्रुप के प्रति काफी अधिक सोशल बिहेवियर होता है. ऐसे में, इस ग्रुप के चार आदमखोर भेड़िए पकड़े जा चुके हैं, लिहाजा, भेड़ियों के बचे हुए सदस्य और अधिक आक्रामक हो सकते हैं. ऐसे में इन चार आदमखोर भेड़ियों के पकड़े जाने के बाद वन विभाग के लिए चुनौती और अधिक बढ़ गई है.
असुरक्षित होने पर आक्रामक, आदमखोर होने पर डर खत्म: जयराज ने बताया इंसान भेड़ियों के खाने का हिस्सा नहीं हैं, लेकिन भेड़िए कब आदमखोर बन जाएं ये कहना काफी मुश्किल है. कई बार दुर्घटनाओं के चलते भेड़िए आदमखोर बन जाते हैं. इसके साथ ही जब लोग जंगलों में लकड़ियां लेने जाते हैं या फिर इनके रहने वाले स्थान पर अचानक पहुंच जाते हैं तो ऐसे में जानवर चौंक जाते हैं. जिसके चलते ये असुरक्षित महसूस करते हुए आक्रामक हो जाते हैं. जब जानवर एक बार किसी इंसान को मार देता है तो उसमे इंसानों का डर खत्म होने लगता है. फिर वह धीरे धीरे आदमखोर हो जाता है. इसके साथ ही जब जानवर बूढ़ा हो जाता है तो उसको जंगलों में शिकार करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. जिसके चलते वो अपना पेट भरने के लिए आदमखोर हो जाता है.
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