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NDA ज्वाइन करेंगे उद्धव ठाकरे! कयासों का बाजार गर्म, जानें क्या कह रहें राजनीतिक विश्लेषक - Uddhav Thackeray may Join NDA - UDDHAV THACKERAY MAY JOIN NDA

Uddhav Thackeray may Join NDA: लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे के बाद देश में लागातार सियासी परा चरम पर है. इस बीच कुछ नेताओं की ओर से दावा किया जा रहा है कि, शिवसेना प्रमुख और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे 15 दिन बाद मोदी सरकार में शामिल हो जाएंगे. इस खबर के माध्यम से जनिए कि क्या सच में उद्धव ठाकरे भाजपा के साथ आएंगे? पढ़ें पूरी खबर...

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jun 7, 2024, 9:18 PM IST

नई दिल्ली: 18वीं लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर तीसरी बार प्रधानमंत्री पद पर बैठेंगे, लेकिन इस साल आए चुनाव के नतीजों से बीजेपी और एनडीए को करारा झटका लगा है. अबकी बार 400 पार तो दूर बीजेपी 250 के आंकड़े तक नहीं पहुंच पाई. खासकर उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में पार्टी की हार का बीजेपी पर भारी असर पड़ा है.

महाराष्ट्र में, कांग्रेस और शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस, जो कि महा विकास अघाड़ी का घटक दल है, उसके साथ मिलकर उद्धव बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना ने राज्य में 30 सीटें जीतीं और भाजपा का सफाया कर दिया. फिर केंद्र की सत्ता में तीसरी बार बैठे नरेंद्र मोदी को चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार का दामन थामना पड़ा. ऐसे में अब बीजेपी को एक बार फिर से उद्धव बाला साहेब ठाकरे की शिवसेना की याद आ गई है और उसे लगने लगा है कि उनके साथी के बिना महाराष्ट्र में आगे बढ़ना नामुमकिन है.

राष्ट्रीय नेता का प्रस्ताव ठुकराया?
इस बार के चुनाव में उद्धव ठाकरे का करिश्मा ऐसा चला कि इसका असर न सिर्फ बीजेपी पर बल्कि उनके सहयोगी एकनाथ शिंदे गुट और अजित पवार गुट पर भी पड़ा. इसके लिए बीजेपी को राज्य में अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले अपनी रणनीति बदलनी होगी. इसके लिए पर्दे के पीछे से उद्धव ठाकरे को मनाने के फॉर्मूले आगे बढ़ाए जा रहे हैं. मुंबई के एक बड़े उद्योगपति से उद्धव ठाकरे के अच्छे रिश्ते हैं और इस उद्योगपति ने ठाकरे परिवार को अपने घर भी बुलाया था. लेकिन खबर है कि उद्धव ठाकरे ने एक राष्ट्रीय नेता के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. माना जा रहा है कि उद्धव ठाकरे ने यह स्टैंड ले लिया है कि वह किसी भी हालत में बीजेपी के साथ नहीं जाएंगे और कांग्रेस और एनसीपी शरद पवार का साथ नहीं छोड़ेंगे.

महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने की प्रतिबद्धता
इस बारे में बात करते हुए राजनीतिक विश्लेषक जयंत मैनकर ने कहा है कि इसकी कोई संभावना नहीं है कि उद्धव ठाकरे एक बार फिर बीजेपी के साथ जाएंगे. ये कुछ भाजपा नेताओं द्वारा फैलाई गई अफवाहें हैं. महाविकास अघाड़ी में विश्वास रखने वाले लोगों ने इसका श्रेय उद्धव ठाकरे को दिया और उनके पक्ष में वोट किया. ऐसे लोगों को उद्धव ठाकरे धोखा नहीं देंगे. बीजेपी ने 2019 में ही उद्धव ठाकरे को अपने साथ लेने का मौका खो दिया है. बीजेपी ने उद्धव ठाकरे की ढाई साल के मुख्यमंत्री पद की मांग को खारिज कर दिया और यही कारण है कि आज यह स्थिति हुई है.

ऐसे में राज्य में लोकसभा चुनाव में जनता ने महाविकास अघाड़ी के पक्ष में जो जनमत वोट दिया है, उसे तोड़ने का काम उद्धव ठाकरे कभी नहीं करेंगे. दरअसल, कार्यकर्ताओं की मांग बीजेपी नेताओं से ज्यादा है, मौजूदा राजनीतिक समीकरणों को देखते हुए बीजेपी को उद्धव ठाकरे के साथ जाना चाहिए. नहीं तो आने वाले विधानसभा में इसका खामियाजा भाजपा को लोकसभा से भी ज्यादा भुगतना पड़ सकता है.

वहीं, राजनीतिक विश्लेषक विजय चोरमारे ने कहा है कि उद्धव ठाकरे किसी भी हालत में बीजेपी के साथ नहीं जाएंगे. इसकी वजह यह है कि लोकसभा चुनाव में राज्य ने उद्धव ठाकरे को वोट दिया है, जब जनता ने एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद जिस महत्वाकांक्षा के साथ मैदान में उतरे थे, उसे पूरा करने के लिए जनता ने उन्हें वोट दिया है तो वह जनता के खिलाफ नहीं जाएंगे. इसमें कोई संदेह नहीं है कि उद्धव ठाकरे महाविकास अघाड़ी के साथ बने रहेंगे और महाविकास अघाड़ी के तीनों घटक दल मजबूती के साथ विधानसभा का सामना करेंगे.

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नई दिल्ली: 18वीं लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर तीसरी बार प्रधानमंत्री पद पर बैठेंगे, लेकिन इस साल आए चुनाव के नतीजों से बीजेपी और एनडीए को करारा झटका लगा है. अबकी बार 400 पार तो दूर बीजेपी 250 के आंकड़े तक नहीं पहुंच पाई. खासकर उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में पार्टी की हार का बीजेपी पर भारी असर पड़ा है.

महाराष्ट्र में, कांग्रेस और शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस, जो कि महा विकास अघाड़ी का घटक दल है, उसके साथ मिलकर उद्धव बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना ने राज्य में 30 सीटें जीतीं और भाजपा का सफाया कर दिया. फिर केंद्र की सत्ता में तीसरी बार बैठे नरेंद्र मोदी को चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार का दामन थामना पड़ा. ऐसे में अब बीजेपी को एक बार फिर से उद्धव बाला साहेब ठाकरे की शिवसेना की याद आ गई है और उसे लगने लगा है कि उनके साथी के बिना महाराष्ट्र में आगे बढ़ना नामुमकिन है.

राष्ट्रीय नेता का प्रस्ताव ठुकराया?
इस बार के चुनाव में उद्धव ठाकरे का करिश्मा ऐसा चला कि इसका असर न सिर्फ बीजेपी पर बल्कि उनके सहयोगी एकनाथ शिंदे गुट और अजित पवार गुट पर भी पड़ा. इसके लिए बीजेपी को राज्य में अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले अपनी रणनीति बदलनी होगी. इसके लिए पर्दे के पीछे से उद्धव ठाकरे को मनाने के फॉर्मूले आगे बढ़ाए जा रहे हैं. मुंबई के एक बड़े उद्योगपति से उद्धव ठाकरे के अच्छे रिश्ते हैं और इस उद्योगपति ने ठाकरे परिवार को अपने घर भी बुलाया था. लेकिन खबर है कि उद्धव ठाकरे ने एक राष्ट्रीय नेता के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. माना जा रहा है कि उद्धव ठाकरे ने यह स्टैंड ले लिया है कि वह किसी भी हालत में बीजेपी के साथ नहीं जाएंगे और कांग्रेस और एनसीपी शरद पवार का साथ नहीं छोड़ेंगे.

महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने की प्रतिबद्धता
इस बारे में बात करते हुए राजनीतिक विश्लेषक जयंत मैनकर ने कहा है कि इसकी कोई संभावना नहीं है कि उद्धव ठाकरे एक बार फिर बीजेपी के साथ जाएंगे. ये कुछ भाजपा नेताओं द्वारा फैलाई गई अफवाहें हैं. महाविकास अघाड़ी में विश्वास रखने वाले लोगों ने इसका श्रेय उद्धव ठाकरे को दिया और उनके पक्ष में वोट किया. ऐसे लोगों को उद्धव ठाकरे धोखा नहीं देंगे. बीजेपी ने 2019 में ही उद्धव ठाकरे को अपने साथ लेने का मौका खो दिया है. बीजेपी ने उद्धव ठाकरे की ढाई साल के मुख्यमंत्री पद की मांग को खारिज कर दिया और यही कारण है कि आज यह स्थिति हुई है.

ऐसे में राज्य में लोकसभा चुनाव में जनता ने महाविकास अघाड़ी के पक्ष में जो जनमत वोट दिया है, उसे तोड़ने का काम उद्धव ठाकरे कभी नहीं करेंगे. दरअसल, कार्यकर्ताओं की मांग बीजेपी नेताओं से ज्यादा है, मौजूदा राजनीतिक समीकरणों को देखते हुए बीजेपी को उद्धव ठाकरे के साथ जाना चाहिए. नहीं तो आने वाले विधानसभा में इसका खामियाजा भाजपा को लोकसभा से भी ज्यादा भुगतना पड़ सकता है.

वहीं, राजनीतिक विश्लेषक विजय चोरमारे ने कहा है कि उद्धव ठाकरे किसी भी हालत में बीजेपी के साथ नहीं जाएंगे. इसकी वजह यह है कि लोकसभा चुनाव में राज्य ने उद्धव ठाकरे को वोट दिया है, जब जनता ने एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद जिस महत्वाकांक्षा के साथ मैदान में उतरे थे, उसे पूरा करने के लिए जनता ने उन्हें वोट दिया है तो वह जनता के खिलाफ नहीं जाएंगे. इसमें कोई संदेह नहीं है कि उद्धव ठाकरे महाविकास अघाड़ी के साथ बने रहेंगे और महाविकास अघाड़ी के तीनों घटक दल मजबूती के साथ विधानसभा का सामना करेंगे.

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